नौसैनिक (फाईल फोटो)
नई दिल्ली। भारतीय नौसेना के सबमरीन लीक मामलें में देश की सबसे बड़ी जांच ऐजेंसी CBI अब इस कांड में दोषी अफसरों और कारोबारियों के आवाजों के नमूनों को केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला को भेजी हैं, जहां पर परिणाम आने के बाद आगे की अन्य विधिक कार्यवाही ऐजेंसी द्वारा संपादित की जायेगी।
बताया जा रहा है कि सबमरीन लीक मामलें में आर्थिक लाभ के लिए नौसेना के उपकरणों की खरीद और रखरखाव से संबंधित गोपनीय जानकारी लीक की गई थी। साथ ही वह हैदराबाद की एक कंपनी एलन रिइनफोर्स्ड प्लास्टिक्स लिमिटेड से बारूदी सुरंग बिछाने वाले उपकरणों के सौदे में रिश्वतखोरी हुई थी।
अब इस घटना में ऐजेंसी ने कंपनी के कार्यकारी निदेशक टीपी शास्त्री की रिश्वतखोरी में कथित भूमिका सामने आने के बाद आठ सितंबर को उन्हें गिरफ्तार किया था। फिर सीबीआई ने नौसेना द्वारा प्रस्तावित पनडुब्बियों के उपकरणों की खरीद से संबंधित संवेदनशील दस्तावेजों के लीक होने और अन्य संबंधित जानकारी के मामले में सरकारी गोपनीयता अधिनियम के तहत आरोपित करने के लिए केंद्र से मंजूरी मांगी है। ऐजेंसी ने बीते दो सितंबर को सेवानिवृत्त नौसैनिक अधिकारियों कोमोडोर रणदीप सिंह और कमांडर सतविंदर जीत सिंह को एक साथ और एक ही दिन गिरफ्तार करी थी।
भारतीय पनडुब्बी (फाईल फोटो)
ऐजेंसी के FIR के अनुसार पनडुब्बी खरीदारी से संबंधित निदेशालय में कार्यरत रहे सतविंदर जीत सिंह ने मासिक भुगतान के बदले रणदीप सिंह को नौसेना उपकरणों के रखरखाव और खरीद को लेकर निविदाओं से संबंधित आंतरिक विचार-विमर्श के बारे में नियमित जानकारी प्रदान करता था। फिर बाद में आरोपी सतविंदर 31 जुलाई को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले लिया था।