इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट

अक्टूबर में सेना ने आतंकी हमले में 9 जवानों को खोया, जहां आतंकियों की तलाश में हेलीकाप्टर लगाया गया, 4 सप्ताह के बाद बिना किसी परिणाम के आपरेशन हुआ बंद, क्यों ? – चंद्रकांत मिश्र (एडिटर इन चीफ)


फाईल फोटो

श्रीनगर। इस साल 11 अक्टूबर को पुंछ के सुरनकोट के जंगल में सेना की एक टीम के साथ आतंकियों की मुठभेड़ होती है जिसमें सेना के एक नायब सूबेदार सहित पांच जवान शहीद हो जाते हैं,और हमलावर आतंकी बच निकलते है, जहां इनकी तलाश में सेना की दूसरी बड़ी टीम जंगल में सर्च आॅपरेशन करती है और 14 अक्टूबर यानि उस घटना के दो दिन बाद हीं फिर इन्ही आतंकियों के साथ संपर्क होता है जहां फिर एंकाउंटर होता है,इस दौरान सेना के एक जेसीओ समेत चार जवान शहीद हो जाते हैं। मतलब इन दो शूटआउट वो भी दिन के अतंराल पर नुकसान भारतीय सेना का ही होता है और ये आतंकी इस जंगल में गायब हो जाते हैं जिनकी तलाश जोरों पर होती है,इस दौरान हैलीकॉप्टर का भी उपयोग होता है,जहां चार हफ्ते तक इस जंगल में सर्च होता है लेकिन फिर मुलाकात नहीं होती इन आतंकियों के साथ,और बिना आधिकारिक घोषणा के इस आॅपरेशन को बंद कर दिया जाता है,पूछने पर आॅपरेशन की पुष्टि होती है लेकिन साथ में यह भी कहा जाता है कि सर्च आॅपरेशन अभी भी जारी है। बता दें कि यह जंगल 10 से 15 किलोमीटर तक फैला हुआ है।

बताते चले कि दोनों एंकाउंटर में सेना के कुल 9 लोगों की जान,जाने के बाद सेना ने पुंछ के इस सुरनकोट के जंगल में बहुत सघन तलाशी अभियान चलाया, जहां पर हेलीकाप्टर से भी निगरानी की गई इस दौरान 2003 का एक आतंकी जो कि कश्मीर के जेल में बंद था उसे भी इस जंगल में 24 अक्टूबर को ले जाया गया ताकि आतंकियों के ठिकानों को चिन्हित किया जा सके,जहां एक बार इन्ही आतंकियों के साथ फिर से शूट आउट होता है,जिसमें यह कैदी मुस्तफा मारा जाता है, इस दौरान सेना के जवानों को भी गोली लगती है लेकिन ये जवान बच जाते हैं।
इतनी सघन तलाशी अभियान के बावजूद ये आतंकी अभी भी भारतीय सेना की पकड़ से बाहर है,इस दौरान देश के CDS जनरल विपिन रावत भी घाटी में विजिट किये थे और आॅपरेशन इंचार्ज को आपरेशन से जुड़े आवश्यक दिशा निर्देश भी दिए थे लेकिन सारे के सारे उपाय इस जंगल में फेल साबित हुए, और ये आतंकी अभी भी सेना की पहुंच से दूर है,फिर चार सप्ताह तक चले इस आॅपरेशन को बगैर किसी आधिकारिक घोषणा के बंद कर दिया गया, लेकिन साथ में यह भी साफ किया गया है कि इलाके में अब भी सर्च जारी है। इस कड़ी में जब भी आतंकियों की संख्या के बारे में पूछा गया तो यही बताया गया कि ये 8-10 की संख्या में है जो कि सेना के लिए बड़ी चुनौती बने हुए हैं।
कुल मिलाकर सेना का इतना बड़ा नुकसान हुआ तो हुआ, इतनी सघनता से तलाशी भी की गई और देश के CDS भी आॅपरेशन के संबंध में दिशा निर्देश दिए, इसके बावजूद ये आतंकी पकड़ से अभी भी बहुत दूर है,क्यों ?

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