हेड लाइन्स

अफगानिस्तान में बच्चों को घातक विस्फोटकों से बचने का पढ़ाया जा रहा है पाठ – हेमंत सिंह (स्पेशल एडिटर)

Peace talks resumed after killing of 350 Taliban militants in Panjshir
तालिबानी आतंकी (फाईल फोटो)

काबुल। अफगानिस्तान के दक्षिणी हेलमंड प्रांत में नाद-ए-अली समेत कई गांव ऐसे हैं, जहां बच्चो को पढ़ाई के बजाय उन्हें हथियारों,मिसाइल सैल और लैंड माइंस पहचानना सिखाया जा रहा है। दरअसल, सबसे आखिर तक तालिबान का मुकाबला यहीं के लोगों ने किया। जब तालिबान ने देश पर कब्जा किया तो यहां के लोग तालिबानियों के डर से गांव छोड़कर परिवार भाग गए थे।

जो अब फिर वापस लौट आए हैं और अब उनके गांवों की यह हालत है कि स्कूल-घर मोर्टार और गोलियों से छलनी हैं। मकान खंडहर हो चुके हैं। अब मजबूरी में ये लोग इन खंडहरों में रहने के लिए मजबूर हैं। अब इन लोगों को शक है कि मैदानों और रास्तों में तालिबानी लैंड माइंस बिछा दिये होंगें,इसलिए लैंड माइंस और जमीन में दबे माईन की खोज किया जा रहा है। इसीलिए इन्हें इन घातक हथियारों की जानकारी दी रही है ताकि ये अपना बचाव कर सकें।

बताया जा रहा है कि जिन इलाकों में इन घातक विस्फोटकों की तलाश पूरी हो चुकी है वहां उन इलाकों में सफेद-लाल पत्थरों से चिह्नित किया जा रहा है। सफेद निशान का मतलब है कि इस जगह कोई खतरा नहीं है,और लाल निशान का मतलब है कि यहां बारूदी सुरंगें हैं।
बताते चले कि वर्ष 1988 से अब तक इन बारूदी सुरंगों अब तक 41 हजार लोगों की मौत हो चुकी है।

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