कीव/वाशिंग्टन। रूस-यूक्रेन के बीच जारी भीषण जंग में अमेरिकी ऐजेंसियों द्वारा कई इंटेलीजेंस रिपोर्ट फर्जी थी, जिसकी पुष्टि खुद अमेरिकी ऐजेंसियों के कुछ अधिकारियों ने एक निजी टीवी चैनल पर साक्षात्कार के दौरान की है। वहीं अब अमेरिकी ऐजेंसियों पर सवाल उठने शुरू हो गए कि ऐसा क्यों किया गया ? तो वहीं इसके जवाब में यह कहा जा रहा है कि ताकि रूस की तरफ से यूक्रेन पर रसायनिक हमला ना किया जाये। बता दें कि रूस-यूक्रेन के बीच जारी जंग के दौरान कई बार यह दावा किया गया था कि रुस रसायनिक हथियारों का इस्तेमाल यूक्रेन के खिलाफ कर सकता है।
दरअसल, रूस और यूक्रेन के बीच जारी भीषण लड़ाई के दौरान अमेरिका की तरफ से यह हवा फैलाई गई थी कि रूस संभवतः यूक्रेन में रासायनिक हथियार इस्तेमाल करने की तैयारी कर रहा है। बाद में राष्ट्रपति बाइडेन ने ये बात सार्वजनिक रूप से कही। लेकिन तीन अमेरिकी अधिकारियों ने एक निजी टीवी चैनल से बातचीत के दौरान कहा कि अमेरिका के पास इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि रूस यूक्रेन के पास किसी प्रकार का रासायनिक हथियार ले आया है। इन अधिकारियों ने यहां तक कहा कि ये सूचना इसलिए जारी की गई ताकि रूस ऐसे प्रतिबंधित हथियारों का इस्तेमाल ना करे। चूंकि अधिकारियों का मानना था कि हर बार ऐसा रूसी राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन को आगे बढ़ने से रोकने के लिए किया गया।
वहीं,अमेरिकी पर्यवेक्षकों ने खुफिया सूचनाओं के हुए ऐसे इस्तेमाल को एक साहसी और सफल रणनीति कहा है। लेकिन साथ ही उनकी राय है कि ऐसी रणनीति जोखिम भरी है। टिम वेइनर सीआईए का इतिहास लिख चुके हैँ। साथ ही 2020 में आई अपनी किताब द फॉली एंड दो ग्लोरी के लिए चर्चित हुए थे। उन्होंने एनबीसी से कहा- ‘क्यूबा मिसाइल संकट के बाद राजसत्ता के उपकरण के रूप में खुफिया सूचना का यह सबसे कमाल का इस्तेमाल है। निश्चित रूप से इससे क्रेमलिन (रूसी राष्ट्रपति कार्यालय) के दुष्प्रचार का हथियार भोथरा हो गया।’
उधर,कई अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अमेरिका ने कई ऐसी सूचनाओं का इस्तेमाल किया,जिनके सही होने को लेकर अमेरिकी अधिकारियों का आत्म-विश्वास मजबूत नहीं था। लेकिन अमेरिकी अधिकारियों का दावा है कि इस उपाय के जरिए अमेरिका यूक्रेन पर रूसी हमले में कई हफ्तों तक की देर करने में सफल रहा। इससे अमेरिका को रूस के खिलाफ सहयोगी देशों का साझा मोर्चा बनाने में मदद मिली।
इसी कड़ी में एक अन्य पश्चिमी देश के अधिकारी ने कहा है कि ऐसी रणनीति खतरनाक है। इससे अमेरिका की साख को बेहद नुकसान पहुंचेगा। साथ ही रूस इसका फायदा उठाएगा। एनबीसी की रिपोर्ट आने के बाद से दुनिया के कई हिस्सों में सोशल मीडिया पर अमेरिका और उसकी खुफिया एजेंसियों की साख पर सवाल उठाए जा रहे हैं।