
नई दिल्ली । UNSC में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में दुनिया में आतंक, शांति और सुरक्षा सहित कई मुद्दों पर अपनी बात रखी है। उन्होंने कहा है कि सदस्य देशों के घरेलू मामलों में दखल न देने का सिद्धांत UNSC का प्रमुख सिद्धांत है। उन्होंने UNSC की बाधाओं और ‘संरचना में असमानता’ को लेकर बात की है।

तिरुमूर्ति ने आगे कहा कि UNSC के समूह वास्तव में समकालीन दुनिया का प्रतिनिधि नहीं है,उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 75वें सत्र में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन के एक अंश का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि ‘प्रतिक्रियाओं में, प्रक्रियाओं में और संयुक्त राष्ट्र के चरित्र में सुधार की जरूरत वक्त की मांग है।’

तिरुमूर्ति ने साफ़ कहा है कि आज की दुनिया 1945 से काफी अलग है, और अगर सदस्य देशों को सुरक्षा परिषद की निष्पक्षता में वाकई में विश्वास करना है, तो उसे कुछ निष्पक्ष मानदंडों के आधार पर निर्णय लेना चाहिए। उन्होंने जोर देते हुए कहा है कि UNSC को विश्वसनीय, वैध और प्रभावी होने के लिए वर्तमान वास्तविकताओं का प्रतिनिधि होना चाहिए। सदस्य देशों को यह आश्वस्त करना होगा कि परिषद द्वारा लिया गया निर्णय निष्पक्ष और सावधानीपूर्वक है और यह
महज एक राजनैतिक टूल नहीं है। तभी निवारक कूटनीति सभी सदस्यों द्वारा प्रभावी और स्वीकार्य होगी।
उन्होंनें आगे कहा कि नई और उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए हमें बॉर्डर्स के पार समन्वित और ठोस कार्रवाई करने की जरूरत है। इस संबंध में, संयुक्त राष्ट्र और क्षेत्रीय संगठनों के बीच साझेदारी को मजबूत करना और संबंधों को बढ़ाना बेहद महत्वपूर्ण है।
क्षेत्रीय ब्लॉक्स को फैसले लेने की प्रक्रिया में शामिल करने को लेकर तिरुमूर्ति ने कहा है कि ऐसे कई उदाहरण हैं जहां UNSC के फैसले क्षेत्रीय समूहों के निर्णय से अलग हैं। ऐसे में स्थानीय कारकों और जटिलताओं, क्षेत्रीय और उप-क्षेत्रीय संगठनों को साथ लेकर बेहतर समाधान खोजने को लेकर काम करने की जरूरत है।
