एक्सक्लूसिव रिपोर्ट

आपातकालीन आदेश व कर्फ्यू के बावजूद भी श्रीलंका में स्थिति नहीं हो रही नियंत्रित, चारों तरफ मचा हुआ है कोहराम – राकेश पांडेय/अमरनाथ यादव

कोलंबो। श्रीलंका में जारी भीषण आर्थिक संकट के दौरान रविवार को देश में 36 घंटों के राष्ट्रव्यापी कर्फ्यू का उल्लंघन करने और देश के सबसे गंभीर आर्थिक संकट के मद्देनजर सरकार विरोधी रैली आयोजित करने का प्रयास करने के लिए रविवार को देश के पश्चिमी प्रांत में 600 से अधिक व्यक्तियों को गिरफ्तार कर लिया गया।

बता दें कि इस घटनाक्रम में सरकार ने विरोध प्रदर्शन के इस पूर्व नियोजित कार्यक्रम के मद्देनजर शनिवार को कर्फ्यू की घोषणा की थी। जहां रविवार को पश्चिमी प्रांत में कुल 664 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया।

इस दौरान घंटों बिजली आपूर्ति बाधित रहने के विरोध में रविवार को एक 53 वर्षीय व्यक्ति नशे की हालत में राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के निजी आवास के बाहर बिजली के खंभे पर चढ़ गया और तेज करंट की चपेट में आ गया। राष्ट्रपति राजपक्षे ने शुक्रवार देर रात एक विशेष गजट अधिसूचना जारी कर श्रीलंका में एक अप्रैल से आपातकाल लगा दिया था। साथ ही शनिवार शाम छह बजे से सोमवार सुबह छह बजे तक 36 घंटे का कर्फ्यू लगाया था।

तो वहीं इस बीच प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के इस्तीफा देने की अफवाहें भी सामने आई,जिसे प्रधानमंत्री कार्यालय ने खारिज करते हुए साफ किया कि यह झूठी खबर हैं,ऐसी कोई योजना नहीं है।

उधर,सरकार ने रविवार को इंटरनेट मीडिया तक जनता की पहुंच को खत्म करने के लिए इंटरनेट सेवा पर भी रोक लगाने का आदेश दिया था और लोगों के एक जगह इकट्ठा होने पर रोक लगा दी थी। लेकिन करीब 15 घंटे बाद इंटरनेट सेवा बहाल कर दी गई।

इसी कड़ी में कुछ अन्य मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार एक संघीय सांसद के हवाले से बताया गया कि पुलिस ने रविवार को मध्य श्रीलंका में सैकड़ों प्रदर्शनकारी छात्रों पर आंसू गैस के गोले दागे। बताते चले कि श्रीलंका अपने इतिहास के सबसे भीषण आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। कम आपूर्ति के चलते ईंधन,रसोई गैस और जरूरी सामान के लिए लंबी कतारें लगी हैं। घंटों बिजली गुल रहती है और आम लोग हफ्तों से ऐसे हालात का सामना कर रहे हैं।

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