इजरायल के फाइटेर एअरक्राफ्ट (फाईल फोटो)
तेलअवीव। चालीस साल पहले इजरायल की वायुसेना ने आॅपरेशन ओपेरा लांच किया और उस आॅपरेशन के तहत पहली बार किसी दूसरे शक्तिशाली मुल्क में घुसकर उसके परमाणु रिएक्टर पर जबरदस्त हवाई हमला किया और उसे पूरी तरह से बर्बाद कर दिया था।
इस आॅपरेशन में इसराइल ने वायुसेना के आठ F-16 फाइटेर एअरक्राफ्ट की एक स्क्वाड्रन को इराक़ के ओसीराक़ परमाणु रिएक्टर को नष्ट करने के लिए इस्तेमाल किया था। और यह हमला 7 जून 1981 को किया था लेकिन इजरायल ने इस आॅपरेशन का आधिकारिक घोषणा हमला करने के दूसरे दिन किया था।
इस आॅपरेशन के संबंध में एक अन्य रिपोर्ट्स में इजरायल के हवाले से यह दावा किया गया था कि अगर उसने हमला नहीं किया होता, तो इराक़ परमाणु हथियार विकसित करने में सक्षम हो जाता।
इसी कड़ी में इसराइल के प्रधानमंत्री मनाखम बेगिन के हवाले से बताया गया कि दूसरे विश्व युद्ध में हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम जितने बड़े बम से इसराइली शहरों को बचाने के लिए, इराक़ के राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन पर हमला ज़रूरी था, ताकि उस ‘बुराई’ को रोका जा सके।
हालांकि हमले के बाद इसराइल ने यह दावा किया कि हमले में किसी की मौत नहीं हुई लेकिन बाद में जो रिपोर्ट्स सामने आई उसके अनुसार,परमाणु रिएक्टर चलाने वाला एक जूनियर फ्रांसीसी कर्मचारी और 10 इराक़ी सैनिक इस हमले में मारे गए थे,जो कि इजरायल के दावों को खंडन करने के लिए पर्याप्त थे।
कहा जाता है कि जिस समय इजराइली एअरक्राफ्ट धड़ाधड़ अपने टारगेट पर बम गिरा रहे थे तो उस समय,संयंत्र में कम से कम 25 पाउंड समृद्ध यूरेनियम होने की सूचना थी।
इस हमले के बारे में एक और रिपोर्ट सामने आई जिसमें यह दावा किया गया था कि इस हमलें की न्यूज इराक़ की एक न्यूज़ एजेंसी ने तब तक प्रसारित नहीं की जब तक कि इसराइल ने हमले का वीडियो जारी नहीं किया था।
उस समय अमेरिकी विशेषज्ञों के हवाले से यह भी बताया गया कि इस हमलें के दौरान बमबारी में एफ़-4 फैंटम और एफ़-15 फ़ाइटर जेट्स का इस्तेमाल किया गया था,जबकि एक अन्य मीडिया रिपोर्ट्स में यह कहा गया कि इसराइली प्रधानमंत्री बेगिन के आदेश पर इसराइल के अनगिनत एफ़-16 और एफ़-15 लड़ाकू जेट विमानों ने बग़दाद से 18 मील दूर ओसीराक़ रिएक्टर को नष्ट कर दिया।
इजराइली पत्रकार रोनन बर्गमैन के अनुसार हमले के दिन 7 जून को शाम 4 बजे, इजरायल एअरफोर्स आठ एफ-16 विमानों ने ओसीराक़ रिएक्टर पर हमला करने के लिए इसराइल के सिनाई रेगिस्तान में एटीजन एअरबेस से उड़ान भरी।
इन फाइटेर एअरक्राफ्ट की रक्षा करने और उन्हें छुपाए रखने के लिए अलग से छह एफ-15 विमानों को साथ लगाया गया था।
आॅपरेशन के योजनानुसार इन लड़ाकू विमानों को उड़ान भरने के बाद,अकाबा की खाड़ी,फिर जॉर्डन के दक्षिण और सऊदी अरब के उत्तरी हवाई हिस्से से होते हुए,इराक़ के दक्षिण-पश्चिमी हवाई क्षेत्र में दाखिल होना था और फिर बग़दाद के दक्षिण में स्थित ओसीराक़ परमाणु संयंत्र पर शक्तिशाली बमों से उसे तबाह करना था।
ऑपरेशन ओपेरा में कोई अप्रिय घटना होने पर तत्काल मदद के लिए कई लड़ाकू विमानों को तैयार रखा गया था,जिनमें से कुछ आसमान में चक्कर लगा रहे थे और कुछ जमीन पर तैयार खड़े थे। इनमें हवा में ईंधन भरने और एयरबोर्न कमांड एंड कंट्रोल के लिए बोइंग इंटेलिजेंस मुहैया करने के लिए विमान भी शामिल थे।
राडारों से बचने के लिए इजराइली पायलटों ने ज़मीन से 300 फ़ीट से भी नीचे उड़ान भरी, फिर ये विमान शाम साढ़े पांच बजे इराक़ में अपने टारगेट तक पहुंच गए।
जैसे ही वे लक्ष्य के क़रीब पहुंचे,आठ एफ़-16 विमान एक हज़ार फ़ीट की ऊंचाई पर पहुंचे और लक्ष्य के अनुसार, अपनी पोज़िशन बदली और अपने बमों को 35 डिग्री के कोण पर टारगेट पर गिराना शुरू कर दिया,एक के बाद एक हर एफ़-16 विमान ने रिएक्टर के ठोस कंक्रीट के गुंबद पर एक-एक टन वज़न के दो बम गिराए।
कहते हैं कि दुनिया में किसी परमाणु रिएक्टर पर यह पहला हमला था और किसी परमाणु केंद्र या इंस्टालेशन पर तीसरा हमला था। इराक के राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन ने उस समय घोषणा की थी कि परमाणु रिएक्टर ईरान के ख़िलाफ़ नहीं बल्कि इसराइल के ख़िलाफ़ है।
जबकि ईरान पर इराक़ के हमले के बाद शुरू हुए युद्ध के तुरंत बाद,30 सितंबर 1980 को दो ईरानी एफ़-4 फैंटम विमानों ने ओसीराक़ के परमाणु रिएक्टर पर बम गिराए थे, लेकिन इससे कोई ख़ास नुकसान नहीं हुआ था।
अचानक इस हमले से इराक़ी घबरा गए थे,उनकी तरफ़ से हमलावर विमानों पर एक भी मिसाइल नहीं दाग़ी गई।
आज भी, इसराइल के विश्लेषक हैरान होते हैं कि उनकी उम्मीद के विपरीत इसराइल के विमान वापसी में भी न तो एंटी-एयरक्राफ़्ट फ़ायर का निशाना बने और न उन पर सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें दाग़ी गईं।
हमले के तुरंत बाद, पहले तो इराक़ ने इसके लिए ईरान को ज़िम्मेदार बताया लेकिन जब पूरी दुनिया को सच्चाई का पता चल गयी तो उसे स्वीकार करना पड़ा कि हमला इसराइली विमानों ने किया था।
फिर जीरों कैजुअलटी पर इजरायल के सभी फाइटेर एअरक्राफ्ट वापस बेस पर लौट आये लेकिन इजरायल के इस आॅपरेशन ने पूरी दुनिया को हिला दिया था, चूंकि किसी दूसरे मुल्क में दिन दहाड़े उसके परमाणु संयंत्र पर हमला करके उसे पूरी तरह से बर्बाद कर देना अपने आप में बहुत बड़ी घटना थी।
दुनिया के कई देश इजरायल के इस कार्यवाही से बेहद खफा थे लेकिन अमेरिका अंदर ही अंदर बहुत खुश था इसीलिए अमेरिका ने संतुलित बयान जारी किया।