
कंधार। अफगानिस्तान में एक बार फिर मस्जिद में आत्मघाती हमला होने की रिपोर्ट आ रही है,कंधार में शिया समुदाय की एक मस्जिद में विस्फोट हुआ है। इस विस्फोट में नमाज पढ़ने आए 37 लोगों के मारे जाने की खबर है। बताते चले कि इससे एक हफ्ते पहले कुंदुज में एक शिया मस्जिद पर भी आत्मघाती हमला हुआ था।

प्राप्त जानकारी के मुताबिक शुक्रवार को कंधार के शिया मस्जिद में हुए धमाके में 37 लोगों के मारे जाने की रिपोर्ट है। धमाके के वक्त सैकड़ों की संख्या में लोग जुमे की नमाज पढ़ने के लिए इकट्ठा हुए थे। ऐसे में मरने वालों की संख्या और ज्यादा बढ़ने का अनुमान है। पिछले शुक्रवार को भी कुंदुज में एक शिया मस्जिद पर आत्मघाती हमला हुआ था। इस हमले में भी सैकड़ों से अधिक नमाजी मारे गए थे और वहीं भारी संख्या में लोग घायल भी हुए थे।

स्थानीय मीडिया के मुताबिक यह विस्फोट कंधार शहर के पुलिस डिस्ट्रिक्ट वन (पीडी1) की एक मस्जिद में हुआ। यह मस्जिद बीबी फातिमा मस्जिद या इमाम बरगाह के नाम से प्रसिद्ध है। धमाका नमाज के दौरान हुआ, जब सैकड़ों लोगों की भीड़ मौजूद थी। फिलहाल,इस हमले की जिम्मेदारी अभी तक किसी भी आतंकी संगठन ने नहीं ली है।

इसी क्रम में एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार माना जा रहा है कि इस विस्फोट के पीछे अफगानिस्तान में सक्रिय आईएसआईएस खुरसान गुट का हाथ हो सकता है। आईएसआईएस शिया मुस्लिमों का विरोध करता है। इतना ही नहीं, वह हजारा और दूसरे अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदायों का भी विरोधी है।

उल्लेखनीय है कि कुंदुज के शिया मस्जिद पर एक हफ्ते पहले हुए हमले की जिम्मेदारी आईएसआईएस ने ली थी। आईएस से जुड़ी अमाक समाचार एजेंसी ने मस्जिद में दोपहर की नमाज के दौरान हुए विस्फोट की घटना के कुछ घंटे बाद इस दावे की जानकारी दी थी। अपने दावे में आईएस ने आत्मघाती हमलावर की पहचान एक उइगर मुस्लिम के तौर पर की और कहा कि हमले में शियाओं और तालिबान दोनों को निशाना बनाया गया जोकि चीन से उइगरों की मांगों को पूरा करने में बाधा बन रहे हैं।

फिलहाल अभी तक अफगानिस्तान में जितने भी मस्जिद इन आतंकी हमलों का शिकार हुए हैं उनमें एक बात कामन है कि यह हमला सिर्फ शुक्रवार को ही हो रहा है। और यह हमला उईगर मुस्लिमों के हितों को अनदेखा करने की परिणीती दिख रही है क्योंकि तालिबान पहले ही चीन से समझौता कर चुका है कि वह उईगर मुस्लिमों को संरक्षण नहीं देगा।
बताते चले कि चीन उईगर मुस्लिमों को अपना जानी दुश्मन मानता है और इस समुदाय का दमन करने के लिए चीन ने कई टार्चर सेंटर खोल रखा है जहां पर इन उईगर मुस्लिमों को वर्षो से तरह तरह की तमाम यातनाएं दे रहा है जिस क्रम में युरोपिय देशों ने भी कइ बार आवाज उठाये हैं।
