एक्सक्लूसिव रिपोर्ट

ऑपरेशन सिंदूर में दिखा स्वदेशी हथियारों का दम, भारत की आत्मनिर्भरता बढ़ी

नई दिल्ली,  (हि.स.)।​ पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को खत्म करने के लिए चलाये गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में भारत ने स्वदेशी हथियारों का दम​ दिखाया है। भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान ​को चीन ​से आपूर्ति की गई वायु रक्षा प्रणालियों को जाम कर​के महज 23 मिनट में ​मिशन पूरा​ किया, जिससे भारत की ​बढ़ती स्वदेशी तकनीक​ का प्रदर्श​न हुआ। नियंत्रण रेखा या अंतर​राष्ट्रीय सीमा को पार किए बिना भारतीय सेना ने सटीक और रणनीतिक​ तौर पर आतंकवादी ढांचे पर हमला करके कई खतरों को खत्म कर दिया।​ इस दौरान ड्रोन युद्ध, लेयर्ड एयर डिफेंस या इलेक्ट्रॉनिक युद्ध​ में तकनीकी आत्मनिर्भरता भारत ​के लिए मील का पत्थर ​साबित हुई है।

पाकिस्तान ने 07-08 मई की रात को​ ड्रोन और मिसाइलों का उपयोग करके अवंतीपुरा, श्रीनगर, जम्मू, पठानकोट, अमृतसर, कपूरथला, जालंधर, लुधियाना, आदमपुर, बठिंडा, चंडीगढ़, नल, फलोदी, उत्तरलाई और भुज सहित उत्तरी और पश्चिमी भारत में कई सैन्य ठिकानों पर हमला करने का प्रयास किया। ​जवाब में भारत के एकीकृत काउंटर यूएएस (मानव रहित हवाई प्रणाली) ग्रिड और वायु रक्षा प्रणालियों ​ने निष्प्रभावी कर दिया।भारतीय सशस्त्र बलों ने 8 मई की सुबह​ पाकिस्तान के कई स्थानों पर वायु रक्षा रडार और प्रणालियों को निशाना बनाया। लाहौर में एक वायु रक्षा प्रणाली को निष्क्रिय कर दिया गया।

ऑपरेशन सिंदूर के ​दौरान आकाश जैसी स्वदेशी प्रणा​ली ने शानदार प्रदर्शन किया।​ आकाश एक शॉर्ट रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल सिस्टम है​, जो कमजोर क्षेत्रों और कमजोर बिंदुओं को हवाई हमलों से बचाता है। आकाश हथियार प्रणाली समूह मोड या स्वायत्त मोड में एक साथ कई लक्ष्यों को निशाना बना सकती है। इसमें इलेक्ट्रॉनिक काउंटर-काउंटर मेज़र (ईसीसीएम) सुविधाएं हैं। संपूर्ण हथियार प्रणाली को मोबाइल प्लेटफॉर्म पर कॉन्फ़िगर किया गया है।​​ भारत की वायु रक्षा प्रणाली सेना, नौसेना और मुख्य रूप से वायु सेना के साथ ​तालमेल में प्रदर्शन करती है। इन प्रणालियों ने एक अभेद्य दीवार बनाई, जिसने पाकिस्तान ​के कई ​हमलों को विफल कर दिया। यह ऑपरेशन​ युद्ध के उभरते ​नए पैटर्न के लिए संतुलित सैन्य प्रतिक्रिया के रूप में उभरा।​ भारतीय वायु सेना की एकीकृत वायु कमान एवं नियंत्रण प्रणाली (आईएसीसीएस) ने इन सभी ​को एक साथ लाकर आधुनिक युद्ध के लिए​ महत्वपूर्ण​ परिचालन क्षमता प्रदान की।

भारत के आक्रामक हमलों ने सर्जिकल सटीकता के साथ पाकिस्तानी एयरबेस नूर खान और रहीमयार खान को निशाना बनाया।​ इसके लिए घूमते हुए हथियारों का इस्तेमाल किया गया, जिनमें से प्रत्येक ने दुश्मन के रडार और मिसाइल सिस्टम सहित उच्च-मूल्य वाले लक्ष्यों को ढूंढ कर नष्ट कर दिया।​ घूमते हुए हथिया​रों को ‘आत्मघाती ड्रोन​’ या ​’कामिकेज ड्रोन​’ के नाम से भी जाना जाता है।​ यह हथियार प्रणालियां​ लक्ष्य क्षेत्र के आसपास मंडराते ​हुए हमला करने से पहले उपयुक्त लक्ष्य की तलाश ​करती हैं।​ लंबी दूरी के ड्रोन से लेकर निर्देशित युद्ध सामग्री तक आधुनिक स्वदेशी तकनीक के इस्तेमाल ने इन हमलों को अत्यधिक प्रभावी और राजनीतिक रूप से संतुलित बनाया।​ भारतीय वायु​ सेना ने पाकिस्तान ​को चीन ​से आपूर्ति की गई वायु रक्षा प्रणालियों को जाम कर​के महज 23 मिनट में ​मिशन पूरा​ किया, जिससे भारत की ​बढ़ती स्वदेशी तकनीक​ का प्रदर्श​न हुआ।

सैन्य संचालन महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने ​भी भारत की सैन्य विरासत और आधुनिक प्रणालियों के उत्कृष्ट प्रदर्शन ​की जानकारी दी है।​ ‘ऑपरेशन सिंदूर​’ ​भारत के लिए सिर्फ सामरिक सफलता की कहानी नहीं​, बल्कि भारत की रक्षा स्वदेशीकरण नीतियों की पुष्टि है। वायु रक्षा प्रणालियों से लेकर ड्रोन तक, काउंटर-यूएएस क्षमताओं से लेकर नेट-केंद्रित युद्ध प्लेटफार्मों तक, स्वदेशी तकनीक ने तब काम किया है​, जब इसकी सबसे​ ज्यादा जरूरत थी। सैन्य दृष्टि के संयोजन ने भारत को न केवल अपने लोगों और क्षेत्र की रक्षा करने में सक्षम बनाया है, बल्कि 21वीं सदी में एक हाई-टेक सैन्य शक्ति के रूप में अपनी भूमिका को भी पुख्ता किया है। ​

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