इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट

कुन्नूर हैलीकॉप्टर हादसे में सवालों के घेरे में “सुलूर एअरबेस”, हैलीकॉप्टर के उड़ान वाले रास्ते में जब मौसम खराब था तो उड़ान की अनुमति क्यों दी गई ? इसी तरह के उठ रहे हैं कई सवाल, जल्द ही सुलूर एअरबेस कर सकता है बड़े सवालों का सामना – चंद्रकांत मिश्र (एडिटर इन चीफ)


MI-17V-5 हैलीकॉप्टर (फाईल फोटो)

सुलूर/नई दिल्ली। कुन्नूर हैलीकॉप्टर हादसे में अब चौंकानें वाली रिपोर्ट सामने आ रही है,जिसमें कहा जा रहा है कि जनरल रावत के हैलीकॉप्टर उड़ान यात्रा से पहले पूरे रूट के मौसम या अन्य जरूरी चीजों की वायुसेना ने रेकी की थी या नहीं ? दरअसल यह नियम है कि किसी भी उड़ान से पहले उड़ान के पूरे रास्ते की मौसम या अन्य जरुरी चीजों का पूरा होमवर्क किया जाता है,जिसमें मौसम का विशेष ध्यान रखना पड़ता है ताकि रास्ते में कोई बड़ी समस्या या दुर्घटना न घट सकें, चूंकि हैलीकॉप्टर की उड़ान जहाज की अपेक्षा काफी नीचे होती है और उसपर भी यदि कोई वीवीआईपी यात्रा पर हो तो जिम्मेदारी और भी गंभीर हो जाती है,वहीं रावत के हैलीकॉप्टर क्रैश होने में प्रथम दृष्टया मौसम की गड़बड़ी बताई जा रही है तो फिर उड़ान को मंजूरी क्यों दी गई ? रिपोर्ट में इस तरह के तमाम सवाल सामने आ रहे हैं।

हैलीकॉप्टर हादसे के दौरान जलता हुआ मलबा

सीडीएस जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत समेत 14 लोगों को लेकर हेलिकॉप्टर ने सुलूर एयरबेस से सुबह 11:48 पर उड़ान भरी थी और उसे वेलिंगटन के हेलिपैड पर 12:15 बजे लैंडिंग करना था। लेकिन इससे कुछ मिनट पहले ही 12:08 पर हैलीकॉप्टर क्रैश हो गया और चाय बागानों के बीच एक जंगल में जा गिरा,और पूरा चाॅपर आग में तब्दील हो गया, और हैलीकॉप्टर में सवार 14 में 13 क्रू इस हादसे में मारे गए जबकि हादसे में एकमात्र जीवित बचने में ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह सफल रहे, जो कि अभी भी अस्पताल में।

बताया जा रहा है कि हादसे के वक्त मौसम खराब था,बादल छाए हुए थे और नीचे काफी धुंध थी। ऐसे में बड़ा सवाल उठता है कि सेटेलाईट या अन्य उपकरणों की मदद से तकनीकी तौर पर यात्रा वाले रूट की रेकी हुई थी या नहीं ?
यदि हुई थी तो उड़ान की अनुमति कैसे दी गई ? वहीं सुलूर एयरबेस के सूत्रों का दावा है कि जनरल रावत की यात्रा से पूर्व वायुसेना के दो छोटे हैलीकॉप्टर को रूट को स्काउट करने के लिए भेजा गया था। जो कि वीआईपी प्रोटोकॉल होता है।

एकमात्र जीवित बचने वाले वरूण सिंह (फाईल फोटो)

वहीं,जनरल रावत का हैलीकॉप्टर वेलिंगटन के मद्रास रेजिमेंटल में उतरने वाला था,वहां से दावा किया गया है कि उनके यहां जनरल रावत के हैलीकॉप्टर के अलावा अन्य किसी भी हैलीकॉप्टर के आने की ना तो कोई पूर्व सूचना था और ना ही कोई हैलीकॉप्टर आया था। अब ऐसे में सबसे बड़ा सवाल है कि सुलूर एअरबेस का रूट रेकी का दावा सही या मद्रास रेजिमेंटल का दावा ? फिलहाल इलाकें से जुड़े लोगों से जानकारी लेने पर यह साफ हुआ है कि पूरे दिन में यानि दुर्घटना वाले दिन में सिर्फ रावत के हैलीकॉप्टर के अलावा अन्य किसी भी हैलीकॉप्टर को ना तो देखा गया और ना ही आवाज सुनी गई है। अब ऐसे में किसके दावें को सच माना जाए ? लेकिन फिर भी प्रथम-दृष्टया सुलूर एअरबेस हीं सवालों के घेरे में दिखता नजर आ रहा है, चूंकि दुर्घटना वाले इलाकें में मौसम खराब था, और जब हादसे वाले इलाकें में बादल और धुंध छायी हुई थी तो फिर उड़ान की अनुमति क्यों दी गई ? फिलहाल घटना की उच्चस्तरीय जांच जारी है, और जांच रिपोर्ट आने के बाद ही पूरी हकीकत सामने आयेगी।

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