चीनी युध्दपोत (फाईल फोटो)
बीजिंग। दुनिया के खिलाफ अक्सर घातक साजिशों को रचने को लेकर हमेशा चर्चा मे बना रहने वाला चीन अब अपने नये साजिश को लेकर चर्चा मे एक बार फिर है,रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि चीन ने अब अंतरिक्ष में अपनी महाशक्तिशाली तीसरी आंख को तैनात कर दिया है। चीन का यह अत्याधुनिक सैटलाइट आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और शक्तिशाली कैमरों से लैस है। बीजिंग-3 नाम का यह व्यवसायिक सैटलाइट एक टन वजनी है और किसी भी देश में सड़क पर जा रहे सेना के वाहनों और उस पर लदे हथियारों को मात्र कुछ सेकंड में ही पहचान कर लेगा। चीन के इस जासूसी सैटलाइट से भारतीय सेना की मुश्किलें बढ़ सकती है।
बताया जा रहा है कि चीन ने इस सैटलाइट को इसी साल जून में ही लॉन्च कर दिया था और उसने हाल ही में अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को के एक इलाके को इस सेटैलाइट से स्कैन कर परीक्षण भी कर लिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ज्यादातर सैटलाइट जो धरती की जांच करते हैं, उनका तस्वीर खींचते समय स्थिर रहना बहुत जरूरी होता है, नहीं तो तस्वीरें खराब आती हैं। लेकिन इसके विपरीत 16 जून को चीन के इस सेटैलाइट ने अमेरिका के ऊपर से गुजरते समय अपने कैमरे की दिशा को सफलतापूर्वक मोड़ने में पूरी तरह से सफल रहा।
बताया जा रहा है कि इस बदलाव की वजह से चीनी सैटलाइट धरती के इतने बड़े हिस्से को कैप्चर कर सकता है, जिसे अबतक कैमरे में कैद नहीं किया जा सकता था। चीनी उपग्रह ने करीब 500 किमी की ऊंचाई से यह तस्वीर ली थी और इसका रेजोल्यूशन 50 सेंटीमीटर प्रति पिक्सल था। उस समय सैटलाइट का बॉडी 10 डिग्री प्रति सेकंड की दर से घूम रहा था। इतनी स्पीड पहले किसी भी सैटलाइट में नहीं देखी गई थी।
इस सेटैलाइट पर काम करने वाले चीनी वैज्ञानिक यांग फांग ने कहा है कि हमारी तकनीक दुनिया में प्रमुख स्थान पर पहुंच गई है। उन्होंने यह भी दावा किया कि बीजिंग-3 सैटलाइट धरती की निगरानी करने वाला दुनिया का सबसे शक्तिशाली सैटलाइट हो सकता है। यह सैटलाइट वो काम कर लेने में सक्षम है जिसे अब तक कर पाना असंभव था। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि इस सेटैलाइट का इस्तेमाल सेना के लिए किया जा सकता है।
रिपोर्ट में यह भी साफ किया गया है कि चीन के बीजिंग-3 सैटलाइट का रेस्पांस टाइम अमेरिका के वर्ल्ड व्यू-4 सैटलाइट से दो से तीन गुना ज्यादा है। वर्ल्ड व्यू-4 अभी धरती की निगरानी करने वाला सबसे आधुनिक सैटलाइट है। अमेरिकी सैटलाइट में एक फायदा है कि वह चीनी सैटलाइट की तुलना में 30 सेंटीमीटर प्रति पिक्सल की दर से विस्तृत तस्वीर ले सकता है। चीनी सैटलाइट में ऐसे सोलर पैनल लगे हैं जो इसके समय हिलना रोक देते हैं।