सांकेतिक तस्वीर
कैनबरा। सोलोमन द्वीप से रिपोर्ट आ रही है कि इस समय वहां भारी हिंसा जारी है,साथ ही साथ लूटपाट और आगजनी की भी खबरें सामने आ रही है। इस घटना के पीछे बड़ा कारण बताया जा रहा है कि सोलोमन द्विप ने ताइवान से संबंध तोड़कर चीन के साथ नाता जोड़ लिया है, बस इसी वजह से वहां की जनता भढ़क उठी है। वहीं, सोलोमन द्वीप के प्रधानमंत्री मनासेह सोगावरे ने राजधानी होनियारा में हुए सरकार विरोधी प्रदर्शनों,आगजनी और लूटपाट के लिए शुक्रवार को विदेशी साजिश को जिम्मेदार ठहराया है।
बताते चले कि सोलोमन द्वीप एक संप्रभु देश है जिसमें 6 प्रमुख द्वीप और ओशिनिया के 900 से अधिक छोटे द्वीप आते हैं।
बताया जा रहा है कि यहां के प्रधानमंत्री सोगावरे ने 2019 में कई लोगों और मलाइता प्रांत के नेताओं को उस समय नाराज कर दिया था जब उन्होंने ताइवान के साथ देश के सारे राजनयिक संबंध खत्म कर दिए। तब देश के रक्षा मंत्री पीटर डटन ने कहा कि ऑस्ट्रेलियाई पुलिस और राजनयिकों को लेकर आने वाला एक विमान गुरुवार को होनियारा में पहुंचा, जहां वे दूसरे दिन सरकार विरोधी हिंसक प्रदर्शनों के बाद शांति व्यवस्था कायम करने के प्रयासों में स्थानीय पुलिस की मदद करेंगे।
इसी कड़ी में सोगारवे ने कहा कि वह चीन से राजनयिक संबंध स्थापित करने के अपने सरकार के फैसले पर अडिग हैं और उन्होंने इसे हिंसा का ‘एकमात्र मुद्दा’ बताया। उन्होंने कहा, ‘मैं किसी के भी आगे झुकने वाला नहीं हूं। हम अपनी बात पर कायम है, सरकार भी अपनी बात पर काम है और हम लोकतंत्र की रक्षा करेंगे।’ उधर सोगारवे के विरोधियों ने अशांति के लिए सरकारी सेवाओं की कमी और भ्रष्टाचार की शिकायतों को भी जिम्मेदार बताया।
वहीं,ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने शांति व्यवस्था बहाल करने और अहम प्रतिष्ठानों की रक्षा करने में स्थानीय पुलिस की मदद के वास्ते सैनिकों,पुलिस और राजनयिकों को सोलोमन भेजने की बात दोहराई है। वहीं, कुछ पर्यवेक्षकों ने कहां है कि शांति व्यवस्था बहाल करने को लेकर चीन के सुरक्षा बलों को आने से रोकने के लिए ऑस्ट्रेलिया ने तत्काल हस्तक्षेप किया है।
इस दौरान,चीन ने अपने कुछ नागरिकों पर हाल में हुए हमलों को लेकर गंभीर चिंता जतायी है। जिसको लेकर चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजिआन ने गुरुवार को एक बयान में साफ किया कि, ‘हम मानते हैं कि प्रधानमंत्री सोगारवे के नेतृत्व में सोलोमन द्वीप सरकार जल्द से जल्द सामाजिक व्यवस्था एवं स्थिरता बहाल कर सकती है।’इस दौरान उन्होंने यह कहा कि राजनयिक संबंध स्थापित होने के बाद से आर्थिक और अन्य सहयोग से दोनों पक्षों को लाभ मिला है।