खूंखार तालिबानी आतंकी (फाईल फोटो)
काबुल। अफगानिस्तान में जबसे तालिबान ने सत्ता संभाली है तबसे अक्सर तालिबानी आतंकियों से जुड़ी अमानवीय हरकतों की रिपोर्ट आती रहती है। इसी कड़ी में एक और रिपोर्ट सामने आई है जिसमें बताया जा रहा है कि 100 से अधिक अफगानिस्तान के पूर्व पुलिस और खुफिया अधिकारियों को या तो मार डाला है या जबरन ‘गायब’ कर दिया गया है। इस रिपोर्ट को ह्यूमन राइट्स वॉच ने मंगलवार को सार्वजनिक करते हुए कहा कि तालिबान समूह ने आम माफी घोषित किए जाने के बाद भी अपदस्थ सरकार के सशस्त्र बलों के खिलाफ बदला की भावना के तहत जवाबी कार्रवाई जारी रखा।
रिपोर्ट में यह भी साफ किया गया है कि तालिबान ने सरकारी रिकॉर्ड में मौजूद पूर्व अधिकारियों और आत्मसमर्पण करने वालों को निशाना बनाया है। कुछ मामलों में, स्थानीय तालिबान कमांडरों ने लक्षित किए जाने वाले लोगों की सूची यह कहते हुए तैयार की है कि उन्होंने ‘अक्षम्य’ कृत्य किए हैं।
ह्यूमन राइट्स वॉच ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि, ‘हत्याओं के स्वरूप से पूरे अफगानिस्तान में आतंक व भय का माहौल है।
तालिबान ने कई मीडिया साक्षात्कारों में यह साफ किया है कि 15 अगस्त और 31 अक्टूबर के बीच देश के चार प्रांतों में 47 पूर्व सशस्त्र बलों के सदस्यों की हत्या या गायब होने का दस्तावेजीकरण किया है। इस दौरान यह भी बताया गया कि इसके शोध से संकेत मिलता है कि कम से कम 53 अन्य हत्याओं एवं व्यक्तियों के गायब होने के मामले भी हैं।
उल्लेखनीय है कि इस साल 15 अगस्त को पूरे अफगानिस्तान पर काबिज होने के बाद तालिबान ने ऐलान किया था कि हम बदले की भावना के अनुसार आचरण नहीं करेंगे और सभी को आम माफी दी जाती है।
लेकिन तमाम रिपोर्ट में तालिबान के इस झूठ का पर्दाफास हो रहा है जिससे साफ हो गया कि तालिबान ने झूठा वादा किया था,और आम माफी महज एक साजिश थी जिसके तहत लोगों को अपने जाल में फंसाया गया ताकि उन्हें निशाना बनाया जा सकें।
कुल मिलाकर तालिबान के संबंध में जो आये दिन इसके अमानवीय हरकतों की रिपोर्ट सामने आ रही है उससे साफ हो गया है कि तालिबान एक खूंखार आतंकी संगठन था और है तथा आगे भी इसकी खूंखारियत जारी रहेगी, यह संगठन बिल्कुल भी टेबल टाक लायक नहीं है और ना ही विश्वसनीय।
और जो देश इस संगठन से टेबल टाक कर रहे हैं वो निश्चित रूप से इस संगठन के प्रभाव में है और ऐसे देशों की लीडरशिप सवालों के घेरे में है।