चीनी पनडुब्बी (फाईल फोटो)
बीजिंग। दुनिया में अभी तक जितनी भी पनडुब्बीयां है उनमें यह क्षमता नहीं है कि वो गहरें समुद्र में रहते समय अपने बेस या कमांड से संपर्क कर सकें,इन पनडुब्बीयों को जब भी कमांड से संपर्क करना होता है तो इन्हें समुद्र के सतह पर आना ही होता है तब संपर्क होता है। दरअसल संपर्क करने वाले सेटेलाईट की पकड़ समुद्र की गहराई में नहीं होती है, जिस वजह से कमांड भी पनडुब्बी के मिशन के दौरान संपर्क नहीं कर पाता लेकिन अब चीन ने ऐसे ऐंटिना का आविष्कार किया है जो कि पनडुब्बी कितनी भी गहराई में क्यों न हो संपर्क हो जाएगा।
बताया जा रहा है कि अंतरिक्ष से देखने पर यह एंटीना किसी विशाल क्रास की तरह दिखाई दे रहा है। यह एंटीना सामान्य बिजली लाइनों की तरह केबलों और खंबों के नेटवर्क से बनाया लग रहा है। इस एंटीना की लंबाई और चौड़ाई 100 किलोमीटर बताई जा रही है। लाइनों के अंत में तांबे के नोड्स मोटे ग्रेनाइट में गहराई से लगे प्रतीत हो रहे हैं। इस एंटीना को चलाने के लिए दो शक्तिशाली भूमिगत ट्रांसमीटर लगाए गए हैं। एक के खराब या बेकार होने की स्थिति में दूसरे ट्रांसमीटर का इस्तेमाल किया जा सकता है। ये ट्रांसमीटर एक मेगावाट इलेक्ट्रिकल करंट को पैदा करने में सक्षम हैं।
एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार जानकारी सामने आई है जिसमें यह कहा गया है कि समुद्र तल से 200 मीटर (700 फीट) नीचे लगाए गए उपकरण आसानी से 1300 किमी (800 मील) दूर विशाल एंटीना से सिग्नल उठा सकते हैं। चीन के इस एंटीना वाली जगह से 1300 किलोमीटर की रेंज में समूचा कोरियाई प्रायद्वीप, जापान, ताइवान और दक्षिण चीन सागर कवर हो जाता है। इसका मतलब समुद्र में 200 मीटर नीचे तैर रही चीनी पनडुब्बी 1300 किमी की रेंज में इस एंटीना के जरिए कम्यूनिकेशन कर सकती है।
चीनी वैज्ञानिकों ने कहा है कि इस फैसिलिटी को 3,000 किमी (1,900 मील) की कुल रेंज में पानी के नीचे संचार बनाए रखने के लिए डिजाइन किया गया था। ये सिग्नल पश्चिमी प्रशांत महासागर में स्थित सबसे बड़े अमेरिकी सैन्य अड्डे गुआम तक पहुंचने के लिए पर्याप्त है। अत्यंत कम आवृत्ति (ईएलएफ) का यह एंटीना 0.1 से 300 हर्ट्ज तक विद्युत चुम्बकीय तरंगें उत्पन्न कर सकता है। ये रेडियो तरंगें पानी के नीचे और जमीन के नीचे दोनों जगह बड़ी दूरी तय कर सकती हैं।
कहा जा रहा है कि इसका टेस्ट चीन ने रूस के साथ एक संयुक्त रुप किया हैं,ताकि यह देखा जा सके कि सिग्नल जमीन से कितनी दूर तक जा सकता है। इस दौरान एक रूसी स्टेशन को 7,000 किमी दूर से एक मैसेज मिला, लेकिन बढ़ी हुई दूरी के कारण यह कम्यूनिकेशन एकतरफा था और केवल एन्क्रिप्टेड टेस्ट मैसेज ही भेजा जा सकता है। लेकिन चीनी सैन्य शोधकर्ताओं ने साफ किया है कि पनडुब्बी और स्मार्ट डिवाइस जैसे पानी के नीचे के ड्रोन एकतरफा कमांड को पा सकते हैं या अपने लक्ष्य को लेकर कमांड के आदेश पर कार्रवाई कर सकते हैं।