एक्सक्लूसिव रिपोर्ट

नई दिल्ली पहुंचे रुस के विदेश मंत्री ने जमकर किया भारत की तारीफ, इस दौरान भारत पर दबाव बनाने वाले अमेरिकी गुटों को हड़काया भी – विजयशंकर दूबे/राजेंद्र दूबे

मॉस्को/नई दिल्ली। यूक्रेन-रूस के बीच जारी भीषण जंग के बीच अब दुनिया की नजर भारत पर है,जहां इस दौरान अमेरिका व नाटों देशों ने वह हर संभव कोशिश किया कि भारत कतई रूस के साथ न जाये,इस दौरान अमेरिका की तरफ से यहां तक भी कहा गया कि जब चीन भारत पर हमला करेगा तब रूस मदद नहीं करेगा,लेकिन इसके बावजूद भी भारत अपनी नीति पर कायम रहा और युध्द के 37वें दिन नई दिल्ली पहुंचें रूसी विदेश मंत्री लावरोव का भव्य स्वागत किया,जहां इस दौरान रुस के विदेश मंत्री ने भारत की जमकर तारीफ करते हुए कहा कि यूक्रेन से जंग के शुरुआत से भारत का रुख निष्पक्ष रहा है और भारत अमेरिका के दबाव में कभी नहीं आया,इसी कड़ी में लावरोव ने आगे भी कहा कि रूस रक्षा क्षेत्र में भारत के साथ किसी भी सामान की आपूर्ति के लिए प्रतिबद्ध है।

बता दें कि शुक्रवार को नई दिल्ली पहुंचे सर्गेई लावरोव ने कहा कि भारत और रूस सामरिक भागीदारी को विकसित करते रहे हैं और यह हमारी प्राथमिकता रही है,हम निश्‍चित तौर पर विश्‍व व्‍यवस्‍था में संतुलन बनाने में रुचि रखते हैं। हमने अपने द्विपक्षीय संदर्भ को और मजबूत किया है। हमारे राष्ट्रपति ने पीएम मोदी को शुभकामनाएं भेजी हैं।

आगे भी उन्होंने कहां कि इन दिनों हमारे पश्चिमी देशों और उसके सहयोगी देशों के बीच चल रहे विवाद को हम कम करना चाहते हैं। हम हर हाल में चल रहे विवाद के इस अंतरराष्ट्रीय मुद्दे को यूक्रेन में संकट के रूप में कम करना चाहते हैं। हम इस तरफ सार्थक कदम उठा रहे हैं। हम कभी भी युद्ध नहीं चाहते। हमने इस विवाद के दौरान भारत के पक्ष की सराहना की है कि भारत इस स्थिति को पूरी तरह से समझ रहा है और इसके प्रभाव को भी देख रहा है। वह सबके लिए सोच रहा है ना कि केवल एकतरफा तरीके से।

इसी कड़ी में उन्होंने भारत की सराहना करते हुए कहा कि भारत हमेशा कूटनीति के जरिए विवादों को सुलझाने के पक्ष में रहा है और यही बात बेहद अहम है।

गौरतलब है कि रूस-यूक्रेन के बीच जारी भीषण लड़ाई का आज 37वां दिन है,जहां ऐसे में अमेरिका व नाटों देश यूक्रेन के साथ खड़े है तो वहीं भारत न्यूटल स्थिति में है,तो ऐसे में अमेरिकी गुट रुस पर कई कड़े प्रतिबंध लगा दिया है और वह उम्मीद करता है कि भारत भी उसका साथ दे लेकिन भारत अभी भी अपने नीति पर कायम है।

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