इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट

नाटों ने किया बड़ा खुलासा, कहा पिछले चार दिनों के भीतर दर्जनों बार रूसी लड़ाकूं विमानों ने नाटों देशों के उपर भरी उड़ान, रूस और नाटों के बीच बढ़ी तनातनी – चंद्रकांत मिश्र/हेमंत सिंह


सांकेतिक तस्वीर।

बर्लिन/मॉस्को। रूस-यूक्रेन जंग अब दिन ब दिन विस्तार रूप लेती जा रही है,इस युध्द के विस्तार की संभावनाएं जिस तरह से बढ़ती जा रही है,उससे दुनिया में दहशत का माहौल भी चरम पर होता दीख रहा है। दरअसल,इस लड़ाई में अभी तक नाटों शामिल नहीं हुआ था लेकिन मॉस्को के बार-बार चेतावनी दिये जाने के बाद भी नाटों द्वारा यूक्रेन को लगातार सैन्य सहायता पहुंचाई जा रही है। शायद इसीलिए क्रेमलिन अब अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव करते हुए नाटों को खुली चुनौती देने से बिल्कुल भी परहेज नहीं कर रहा है। यहीं वजह है कि रूसी लड़ाकूं विमानों ने ट्रांसपोंडर बंद करके ब्लैक-सी और बाल्टिक सागर के ऊपर नाटों को खुली चुनौती देते हुए उड़ान भर रहे हैं। जिससे अब रूस और नाटों के बीच तनातनी बढ़ गई है।

सांकेतिक तस्वीर।

बताया जा रहा है कि घातक मिसाइलों से लैस रूसी लड़ाकूं विमानों ने जब नाटों के इलाकों के उपर उड़ान भरी तो रूसी विमानों को फौरन इंटरसेफ्ट किया गया,जहां बिना देर किये नाटों के भी फाइटर एअरक्राफ्ट हरकत में आ गए और इन रूसी विमानों के पीछे लग गए,हालांकि इन दोनों पक्षों के बीच हवा में तनाव और बढ़ता कि इसके पहले ही रूसी विमान अपनी वायु सीमा में प्रवेश कर गये। इस दौरान नाटों के तरफ से दावा किया गया कि पिछले चार दिनों के अंदर रूसी लड़ाकू विमानों की घुसपैठ के दर्जनों मामले दर्ज किए गए हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि रूस एक नया फ्रंट खोलकर नाटों देशों के ऊपर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है, ताकि यूक्रेन से ध्यान भटकाया जा सके।

वहीं रूस की इस हरकत से बेहद नाराज जर्मनी के रेमस्टीन में मौजूद नाटों के एलाइड एयर कमांड ने बयान जारी कर कहा कि नाटों के राडार ने 26 अप्रैल से बाल्टिक और काला सागर के ऊपर कई रूसी विमानों को ट्रैक किया है। जिसके बाद जवाबी कार्रवाई के तौर पर जर्मनी के यूडेम और स्पेन के टोररेजोन में स्थित नाटों के कंबाइंड एयर ऑपरेशन सेंटर्स ने अपने-अपने क्षेत्रों में मित्र देशों के लड़ाकूं विमानों को इन विमानों की पहचान करने और रोकने के लिए उड़ान भरने का निर्देश दिया। ऐसे में बाल्टिक सागर क्षेत्र में मित्र देशों की हवाई सीमा की सुरक्षा के लिए पोलैंड, डेनमार्क, फ्रांस और स्पेन के क्विक रिएक्शन अलर्ट अलग-अलग समय पर उड़ान भर रहे हैं। वही काल सागर में रोमानिया और ब्रिटेन के लड़ाकूं विमान पहले से ही गश्त पर हैं।

उधर,रूस के इस हरकत को बेहद गंभीरता से लेते हुए नाटों एयर पुलिसिंग मिशन में शामिल सभी देशों के लड़ाकू विमानों ने उत्तरी और पूर्वी यूरोप में उड़ानों की संख्या को बढ़ा दिया है। इस दौरान एलाइड एयर कमांड के चीफ ऑफ स्टाफ मेजर जनरल जोर्ग लेबर्ट ने कहा कि यूरोप के उत्तर से दक्षिण में तैनात सभी सहयोगी पूरी तरह से एकजुट हैं और किसी भी खतरे का सामना करने के लिए भी तैयार हैं। उन्होंने आगे भी कहा कि नाटों के दो कंबाइंड एयर ऑपरेशन सेंटर्स की त्वरित प्रतिक्रिया,नाटों फोर्सेज की तैयारी और मित्र देशों के आसमान की 24 घंटे,सप्ताह में 7 दिन,वर्ष में 365 दिन निगरानी हमारी रक्षा करने की क्षमता को प्रदर्शित करती है।

इसी बीच यह भी दावा सामने आया कि रूसी सैन्य विमान अक्सर एक ट्रांसपोंडर कोड ट्रांसमिट नहीं करते हैं। चूंकि ट्रांसपोंडर कोड की मदद से किसी भी विमान की स्थिति और ऊंचाई का पता चलता है। इतना ही नहीं,रूसी विमान अपना फ्लाइट पाथ भी गुप्त रखते हैं। इस कारण उनके उड़ान भरने की जगह और उतरने की जगह का भी पता नहीं चल पाता है। रूसी पायलट एयर ट्रैफिक कंट्रोलर्स के सवाल का भी जवाब नहीं देते हैं,ऐसे में उस इलाके से गुजरने वाले नागरिक विमानों के लिए संभावित जोखिम पैदा होता है। हालांकि, इंटरसेप्ट किए गए रूसी विमानों ने कभी भी मित्र देशों की हवाई सीमा में घुसपैठ नहीं की है।

गौरतलब है कि 24 फरवरी से रूस-यूक्रेन के बीच जारी जंग के दौरान नाटों की तरफ से साफ कर दिया गया था कि वह इस जंग में शामिल नहीं होगा लेकिन नाटों की तरफ से यूक्रेन को लगातार सैन्य सहायता की आपूर्ति जारी है जिससे चिढ़ते हुए मॉस्को ने कई बार नाटों को आपूर्ति के संबंध में सख्त चेतावनी भी दी इतना ही नहीं ब्लैक-सी में रूस की कई घातक पनडुब्बीयां भी पूरी फील्डिंग लगाकर सप्लाई को प्रभावित करने के मिशन पर तैनात है। लेकिन इन सबके बावजूद भी पोलैंड के रास्ते नियमित रूप से यूक्रेन को मदद पहुंचाई जा रही है। अब ऐसे में रूस की मजबूरी है कि वह नाटों को छेड़े,लेकिन नाटों के साथ छेड़छाड़ करना सीधे-सीधे तीसरे विश्वयुद्ध को खुला निमंत्रण है। फिलहाल स्थिति बहुत भयावह बनती जा रही है जो कि दुनिया के हित में बिल्कुल भी ठीक नहीं है।

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