नई दिल्ली। तालिबान का हमदर्द और मददगार पाकिस्तान की हकीकत अब धीरे धीरे सामने आ रही है,तसवीरें साफ हो रही है,कि किस वजह से पाकिस्तान इतना ज्यादा तालिबान की मदद कर रहा था ? रिपोर्ट है कि अफगान सरकार के कई गोपीनीय दस्तावेज पाकिस्तान के हाथ लग गए हैं।
एक न्यूज ऐजेंसी के अनुसार काबुल में मानवीय सहायता लेकर पहुंचे तीन C-170 विमान अफगान सरकार की इन गोपनीय दस्तावेजों से भरे बैग लेकर रवाना हुए हैं। इधर, तालिबान ने भी नई अंतरिम सरकार के शपथ ग्रहण के लिए तय 11 सितंबर यानी अमेरिका में हुए आतंकी हमले की 20वीं वर्षगांठ की तारीख टाल दी है। तालिबान ने 7 सितंबर तक के लिए टाल दिया है।
जिन गोपनीय कागजातों को ले जाया गया है,उन कागजातों को पाकिस्तान की ISI ऐजेंसी ने अपने कब्जे में ले लिया है,और इन कागजातों का गहन विश्लेषण भी किया जा रहा है,इन दस्तावेजों में मुख्य रूप से एनडीएस के गोपनीय दस्तावेज, हार्ड डिस्क्स और अन्य डिजीटल जानकारी थी। शीर्ष सूत्रों ने बताया है कि इस डेटा को ISI अपने इस्तेमाल के लिए तैयार करेगा ।
बताते चले कि अफगानिस्तान से जुड़े वैश्वविक खुफिया ऐजेंसियों के भी कान खड़े हों गए हैं,क्योंकि इन ऐजेंसियो को शक है कि इन कागजातों में उन ऐजेंसियों से जुड़ी महत्वपूर्ण चीजें भी है जो अफगानिस्तान में विभिन्न मिलीट्री आपरेशन से जुड़ी हुई थी ।
उल्लेखनीय हैं कि तालिबान के कब्जे में पाकिस्तान की भूमिका के आरोप काफी समय से लगते रहे हैं। यहां पाकिस्तानी आर्मी और ISI के तालिबानी लड़ाकों के साथ जमीन पर उतरने के दावे किए गए। साथ ही तालिबान की एक-एक कर हर प्रांत को कब्जाने की रणनीति पाकिस्तानी सेना की ओर से बनने का दावा भी किया गया। ISI प्रमुख भी काबुल पहुंचे थे जिसके बाद पंजशीर घाटी पर हमला कर उस पर भी कब्जा करने का दावा किया गया था ।