तालिबानी नेताओं के साथ लेफ्टिनेंट फैज (फाईल फोटो)
इस्लामाबाद। पाकिस्तानी फौज ने एक बार फिर साबित कर दिया कि पाकिस्तान में सेना ही सबकुछ है यानि पाक आर्मी जो चाहेगी वो करेगी, सरकार का कोई महत्व नहीं है। इसी क्रम में पिछले 20 दिनों से प्रधानमंत्री इमरान खान पाक सेना के बीच जारी जंग में पाकिस्तानी फौज जीत गई और इमरान खान जनरल बाजवा के सामने सरेंडर करते हुए मंगलवार को ISI के चीफ के पद पर लेफ्टिनेंट जनरल नदीम अहमद अंजुम के नाम को मंजूरी दे दी। आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा ने 6 अक्टूबर को इमरान के पास अंजुम का नाम भेजा था। इमरान अपने चहेते जनरल फैज हमीद को ही ISI चीफ बनाए रखना चाहते थे, लेकिन फौजी ताकत के सामने 20 दिन बाद इमरान खान ने सरेंडर कर दिया। और मंगलवार को नदीम की नियुक्ति वाली फाइल पर खान ने सिग्नेचर कर दिया।
तालीबानी आतंकी (फाईल फोटो)
प्राप्त जानकारी के मुताबिक पीएम इमरान और आर्मी चीफ बाजवा के बीच चल रही इस रस्साकशी को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे थे। पाक मीडिया में भी लगातार इस तरह की खबरें आ रहीं थीं कि जिस फौज ने इमरान को कुर्सी तक पहुंचाया, खान अब उससे ही जोर आजमाइश कर रहे हैं।
पाक आर्मी चीफ बाजवा फोटो में बायें से दाये(फाईल फोटो)
गौरतलब है कि ISI के चीफ की नियुक्ति का विशेषाधिकार प्रधानमंत्री के पास होता है,बताते चले कि इमरान ने ही फैज को ISI का चीफ बनाया था और न चाहते हुए भी इमरान को अपने चहेते फैज को हटाना पड़ा। दरअसल नियमानुसार प्रधानमंत्री आर्मी चीफ की सलाह पर यह फैसला लेता है। लिहाजा, यह कहा जा सकता है बाजवा की सलाह पर ही जनरल हमीद को हटाया गया। जबकि,इमरान फैज को हटाने के पक्ष में नहीं थे।
इमरान खान (फाईल फोटो)
उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान में चर्चा है कि पाकिस्तानी खुफिया ऐजेंसी के चीफ फैज हामिद के तालिबान अधिकृत अफगानिस्तान में दौरा करने की वजह से पाक आर्मी चीफ बाजवा का गुस्सा सातवें आसमान पर था और दोनों में रार ठन गई, दरअसल फैज इस संशय में थे कि उनको हटाने का का अधिकार इमरान खान के पास है तो ऐसे में आर्मी चीफ बाजवा उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकते हैं चूंकि फैज इमरान के चहेते ही नहीं इमरान के आंखों के तारे भी थे,लेकिन इमरान को झुकना पड़ा और न चाहते हुए भी इमरान खान को फैज हामिद की बलि देनी पड़ी।