फाईल फोटो, साभार – (सोशल मीडिया)
कीव/लंदन/मॉस्को। पिछले 20 दिनों से लगातार रूसी हमले दंश झेल रहे यूक्रेन की मदद में मंगलवार को ब्रिटेन के पीएम बोरिस जॉनसन ने कहा कि वो यूक्रेन के राष्ट्रपति और उनके लोगों की लगातार मदद करते रहेंगे। इसके लिए हम रूस पर और कड़े प्रतिबंध लगाएंगे और यूक्रेन के लोगों की सहायता करेंगे वहीं यूक्रेन की राजधानी कीव इस समय रूस की तरफ से हो रहे जबरदस्त हमलों को झेल रहा है। रूसी हमले के दौरान कीव के मेयर ने कीव में अगले 36 घंटे का कर्फ्यू लगाने का फैसला किया है,जो कि मंगलवार देर रात से लागू होगा।
बताते चले कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध का आज 20वां दिन है,जिस क्रम में रूसी फौज ने कीव और यूक्रेन के अन्य शहरों में बमबारी और भी तेज कर दी है,वहीं मंगलवार को दोनों देशों के बीच वीडियो लिंक के जरिए एक बार फिर शांति वार्ता होने की संभावना है।
इस बीच वाॅर जोन से एक और रिपोर्ट सामने आई है जिसमें बताया गया है कि मंगलवार को यूक्रेन में कवरेज के दौरान एक हमले में अमेरिकी न्यूज नेटवर्क फॉक्स न्यूज के एक कैमरामैन की मौत हो गई। एक ऑन एयर बयान में जानकारी दी गई कि पियरे ज़करज़ेवस्की पत्रकार संवाददाता बेंजामिन हॉल के साथ हमले को कवर कर रहे थे जब कीव के निकट उनकी गाड़ी हमले का शिकार हो गई जहां इस पत्रकार की मौत हो गई,बता दें कि इससे पहले भी इस जंग की रिपोर्टिंग करते हुए कई पत्रकार अपनी जान गवां चुके हैं।
इसी कड़ी में एक और चौंकानें वाली रिपोर्ट सामने आई है जिसमें बताया जा रहा है कि यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कनाडा की संसद को बताया कि रूस से हुए युद्ध में अब तक 97 बच्चों की मौत हो चुकी है। इससे पहले जेलेंस्की ने नाटो में शामिल होने पर दोबारा कहा था कि यूक्रेन इस बात को जान लें कि हम नाटो के सदस्य बनने नहीं जा रहे हैं। इस दौरान यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने कहा कि देश को पता है कि वह उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) में शामिल नहीं हो सकता। ब्रिटेन के नेतृत्व वाले संयुक्त अभियान बल (जेईएफ) के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए जेलेंस्की ने कहा कि ‘हमने नाटो के कथित रूप से खुले दरवाजे के बारे में वर्षों से सुना है’, लेकिन ‘हम पहले ही सुन चुके हैं कि हम इसमें शामिल नहीं हो पाएंगे।’
उधर,मॉस्को से रिपोर्ट मिल रही है कि रूस ने मंगलवार को एक बड़ा फैसला लेते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसका मतलब हुआ कि अब बाइडन और ब्लिंकन रूस में प्रवेश नहीं कर पाएंगे। रूस ने इन दो नेताओं के अलवा दूसरे टॉप अधिकारियों को भी स्टॉप लिस्ट में डाल दिया है।
इसी कड़ी में,यूक्रेन की राजधानी कीव से जानकारी मिली है कि यूक्रेन में एक ‘टॉप-सीक्रेट’ ऑपरेशन के दौरान एक रूसी जासूस मारा गया है, बता दें कि इस जंग में अब तक रुसी फौज के 12 मिलीट्री कमांडर्स अपनी जान गंवा चुके हैं।
तो वहीं,इस जंग के दौरान चीन ने मंगलवार को कहा कि यूक्रेन ‘संघर्ष’ को लेकर उसका रुख ‘पूरी तरह से वस्तुनिष्ठ, निष्पक्ष और संरचनात्मक’ है। बता दें कि इस जंग में पहली बार चीन ने अपना रूख साफ करते हुए अमेरिका पर बार-बार यह दुष्प्रचार करने का आरोप लगाते हुए कहा कि चीन ने सैन्य आपूर्तियों के रूसी अनुरोध पर सकारात्मक जवाब दिया है,इसी कड़ी में चीन ने यूक्रेन पर रूस के हमले की आलोचना करने या इसे ‘युद्ध’ की संज्ञा देने से साफ इनकार कर दिया है।
उधर,इस लड़ाई में अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन संगठन का कहना है कि पिछले महीने रूसी आक्रमण के बाद से 30 लाख से अधिक लोग यूक्रेन से भाग गए हैं। इस बात के भी संकेत दिए गए हैं कि करीब एक लाख 57 हजार अन्य देशों के नागरिक जो लोग यूक्रेनी नहीं हैं वह भी देश छोड़कर जाने वालों में शामिल हैं। संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों ने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से इसे यूरोप में सबसे बड़ा शरणार्थी संकट कहा है। आईओएम के प्रवक्ता पॉल डिलन ने मंगलवार को जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र समाचार ब्रीफिंग में कहा कि कुल संख्या राष्ट्रीय अधिकारियों द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों से संकलित की गई। समान आंकड़ों के आधार पर आईओएम की तुलना में अधिक विस्तृत गणना प्रदान करने वाली संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी, यूएनएचसीआर ने बताया है कि 18 लाख से अधिक शरणार्थी पोलैंड में थे। यूएनएचसीआर के प्रवक्ता मैथ्यू साल्टमार्श ने कहा कि लगभग वहां से लगभग तीन लाख शरणार्थी पश्चिमी यूरोप चले गए थे और उन्होंने कहा कि देश से निकलने वालों में अधिकांश महिलाएं और बच्चे हैं।
इसी बीच,भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूक्रेन से भारतीयों की निकासी के अभियान में शामिल दूतावास के अधिकारियों और सामुदायिक संगठनों के साथ बात की। मीटिंग में केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी, ज्योतिरादित्य सिंधिया, किरन रिजिजू और वीके सिंह भी उपस्थित रहे। मालूम हो कि ये वही चार मंत्री थे जिन्हें भारत सरकार ने भारतीय छात्रों की सुरक्षित निकासी के लिए यूक्रेन के पड़ोसी देश भेजे गए थे।
इसी कड़ी में मंगलवार को क्रेमलिन के प्रवक्ता की तरफ से दावा किया गया है कि रूस और यूक्रेन के बीच जारी बातचीत का हल निकालना अभी जल्दबाजी होगा। उन्होंने कहा कि चूंकि कीव में लड़ाई तेज है ऐसे में दोनों देशों के बीच विवाद कब खत्म होगा कहा नहीं जा सकता है। प्रवक्ता दमित्री पेसकोव ने कहा कि कार्य जटिल है पर ये भी सत्य है कि कार्य सकारात्मक दिशा में है।
वहीं,रूसी रक्षा मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी की तरफ से खुलासा किया गया है कि 3 मार्च को पहली बार इस क्षेत्र की राजधानी पर कब्जा किए जाने के बाद सैनिकों ने खेरसॉन के पूरे क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है। बताते चले कि एक मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार रूसी रक्षा मंत्रालय के आधिकारिक प्रतिनिधि, मेजर जनरल इगोर कोनाशेनकोव ने कहा कि ‘डोनेट्स्क पीपुल्स रिपब्लिक’ के सैनिकों ने भी यूक्रेनी रक्षा सैनिकों से लोहा लिया और पेंटेलेमोनोव्का पर नियंत्रण कर लिया। अधिकारी के अनुसार, रूसी वायु रक्षा ने पिछले 24 घंटों में 13 ड्रोन सहित 16 यूक्रेनी सैन्य विमानों को मार गिराया। विमान में यूक्रेनी वायु सेना का एक सू-24 और सू-25, साथ ही एक एमआई-8 हेलीकॉप्टर शामिल है। कोनाशेनकोव ने कहा कि रूसी सशस्त्र बलों ने क्रेमाटोरस्क के पास यूक्रेन के एक हवाई अड्डे पर भी हमला किया है।
इसी दौरान यूक्रेन के सैन्य अधिकारियों की तरफ से एक हैरान करने वाला दावा सामने आया है जिसमें कहा जा रहा है कि मेलिटोपोल के मेयर इवान फेडोरोव का 11 मार्च को रूसी सुरक्षा बलों ने अपहरण कर लिया गया था। जहां अब उन्हें अलगाववादी लुहांस्क क्षेत्र में ले जाया गया है,जापोरिज्ज्या क्षेत्र के सैन्य प्रशासन के नए अपडेट के अनुसार, मेलिटोपोल के मेयर फेडोरोव वर्तमान में लुहांस्क में है,जहां पर आतंकवाद चरम पर है।
इसी कड़ी में बेहद चौंकानें वाली रिपोर्ट सामने आ रही है जिसमें ब्रिटेन के डिफेंस सूत्रों की तरफ से दावा किया जा रहा है कि रूस के पास अब केवल 10 से 14 दिन का ही गोला-बारूद बचा है। ब्रिटेन के इस ताजे खुलासे में यह भी कहा गया है कि रूसी फौज का जहां एक तरफ गोला-बारूद खत्म हो रहा है,तो वहीं उन्हें जंग के मैदान में बढ़त बनाने में भी बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। यही नहीं जिन इलाकों पर रूस ने कब्जा कर लिया है,वहां भी रूसी फौज को कब्जा बनाए रखना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। बताते चले कि ब्रिटेन का यह दावा ऐसे समय पर आया है कि जब ऐसी खबरें आ रही थी कि रूस ने चीन से सैन्य मदद के रूप में हथियार और ड्रोन विमान मांगे हैं।
इसी कड़ी में यह भी बताया जा रहा है कि यूक्रेन के डोनबास में अभी भी लड़ाई जारी है। यूक्रेन के सशस्त्र बलों के अनुसार,100 रूसी सैनिक मारे गए हैं और 6 सैन्य वाहन नष्ट किए गए हैं,रूस ने डोनेट्स्क ओब्लास्ट में यूक्रेनी सुरक्षा को भेदने की कोशिश की लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
वहीं,अमेरिकी खुफिया ऐजेंसी के चीफ विलियम बर्न्स की तरफ से दावा किया गया है कि यूक्रेन में रूसी सेना की असफलता से चिढ़े राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस समय काफी गुस्सा में हैं। उन्होंने कहा कि पुतिन यूक्रेन पर हमले के बाद सिर्फ दो दिनों में ही सफलता पाने की उम्मीद कर रहे थे। लेकिन,रूसी फौज 19 दिन बाद भी राजधानी कीव पर अभी तक कब्जा नहीं कर सकी है। यही कारण है कि पुतिन अपनी सेना की विफलता से बेहद खफा और नाराज हैं। यह भी दावा किया जा रहा है कि ऐसे में पुतिन यूक्रेन में और अधिक हिंसा और विनाश कर सकते हैं। हाल के दिनों में अधिकारियों ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि वे चिंतित हैं कि रूसी राष्ट्रपति यूक्रेन में संघर्ष को और बढ़ाएंगे। रूस अभी भी भारी सैन्य क्षमता रखता है और हफ्तों तक यूक्रेन पर बमबारी कर सकता है।
उधर,हाल ही में खबर आई थी कि रूस ने चीन से सैन्य मदद की गुजारिश की है जिससे वे यूक्रेन पर हमले को तेज कर सके। इस खबर पर अब क्रेमलिन के प्रवक्ता दामित्री पेसकोव ने इन खबरों पर सोमवार को विराम लगा दिया है। क्रेमलिन प्रवक्ता ने कहा कि रूस ने चीन से कोई सैन्य मदद नहीं मांगी है और रूस के पास पर्याप्त सैन्य उपकरण हैं जिससे वह यूक्रेन पर हमला कर सकता है।
इसी बीच एक और हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है जिसमें कहा जा रहा है कि इस युद्ध में रूसी सेना ने रविवार को यूक्रेन के पूर्वी लुहांस्क क्षेत्र के पोपासना शहर पर रात भर प्रतिबंधित सफेद फास्फोरस बम से हमला किया है।