
पोलैंड सीमा पर शरणार्थी (फाईल फोटो)
मॉस्को। रूस ने ताजिकिस्तान में स्थित अपने मिलिट्री बेस पर 30 टैंको का नया जखीरा भेजा है। अभी कुछ दिन पहले ही ताजिकिस्तान में मौजूद रूसी सेना ने मिसाइल डिफेंस सिस्टम के साथ एक बड़ा ड्रिल भी किया था। रूस द्वारा मिलिट्री बेस पर हथियारों की तैनाती को दुनिया के कई देश कई दृष्टिकोण से देख रहे जिनमें यूक्रेन बार्डर से दुनिया का ध्यान हटाने के लिए इस तैनाती को देख रहे हैं तो वहीं कुछ इसे तालिबान से मध्य एशिया को बढ़ते खतरे से जोड़कर देख रहे है। जिसमें रूस को डर है कि अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद इस्लामी आतंकवादी सीमा पार कर ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान और कजाकिस्तान में घुसपैठ कर सकते हैं।
कहा जा रहा है कि अगर इन देशों में तालिबान की सक्रियता बढ़ती है तो इससे रूस के लिए खतरा बढ़ सकता है। चूंकि चेचेन्या के आतंकी तालिबान के साथ मिलकर रूस के लिए बड़ा खतरा पैदा कर सकते हैं। तो ऐसे में रूस कोई चांस नहीं ले सकता,बताते चले कि ताजिकिस्तान में रूस का विदेशों में स्थित सबसे बड़ा सैन्य अड्डा है।
गौरतलब है कि रुस के चेचेन्या में वर्ष 2003 से ही शांति बरकरार है। लेकिन,अब तालिबान की सक्रियता से रूस सशंकित हो गया है कि कहीं चेचन्या के आतंकी तालिबान से संपर्क करने के बाद फिर न बड़ा उपद्रव खड़ा कर दें। चूंकि, तालिबान के आतंकियों में चेचेन्या के भी हजारों आतंकी शामिल हैं। अब ऐसे में आशंका है कि ये आतंकी यदि वापस चेचन्या लौटते है तो निश्चित रूप से रुस के लिए यह बहुत बुरी खबर है।
इसी कड़ी में रूस के रक्षा मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि रूस की सेना ने सोमवार को अपने एस-300पीएस सिस्टम का उपयोग करके सैन्य सुविधाओं पर दुश्मन के हवाई हमले को बर्बाद करने का अभ्यास किया है, इस ड्रिल के दौरान 10 मिसाइल लॉन्चर्स का इस्तेमाल कर दुश्मन की मिसाइलों को गिराने का अभ्यास किया गया।
रूसी रक्षा मंत्रालय ने आगे यह भी साफ किया कि 30 उन्नत T-72B3M टैंकों का एक बड़ा जत्था बेहतर लड़ाकू क्षमताओं के साथ 6 दिसंबर को ताजिकिस्तान में स्थित 201वें रूसी सैन्य अड्डे पर पहुंचेगा। T-72B3 टैंक को साल 2014 में रूसी सेना में शामिल किया गया था। इनमें से कुछ को यूक्रेन और सीरिया में जारी युद्ध के दौरान तैनात किया गया था। टी-72 का सबसे नया वर्जन T-72B3 बेहद खतरनाक हथियारों के साथ लैस है। टी-72 में ऑटोलैडर के साथ नई 2A46M5 125mm स्मूथबोर मेन गन लगी हुई है।
T-72B3 का ऑटोलैंडर किसी भी तरह की जमीन पर टैंक में ऑटोमेटिक गोले लोड कर सकता है। यही मेन गन टी-72 को दुनियाभर के कई मुख्य युद्धक टैंकों के बराबर बनाती है। इस टैंक में दुश्मन के टैंकों को ट्रैक करने के लिए ऑटोमेटिक ट्रैकर, नई कलीना फायर कंट्रोल सिस्टम और बैलिस्टिक कंप्यूटर लगा हुआ है। इस टैंक में इम्प्रूव्ड थर्मल साइट के साथ लेजर रेंज फाइंडर भी लगा हुआ है। अपग्रेड करने के बाद टी-72 का नया वैरियंट नवीनतम विस्फोटकों को भी फायर करने में सक्षम है।
कुल मिलाकर यह अभी तक साफ नही हो सका है कि जब यूक्रेन बार्डर पर रूसी फौज पूरे लाव लश्कर के साथ डटी हुई है तो ऐसे में किस सीक्रेट ऑपरेशन के तहत 30 टैंकों के एक बड़े जत्थे को ताजिकिस्तान में रूस तैनात कर रहा है ?
गौरतलब है कि पिछले कुछ सप्ताह से यूक्रेन और पोलैंड सीमा पर भारी तनाव बरकरार है, जिसके चलते यूक्रेन बार्डर पर रूसी फौज पूरी ताकत के साथ तैनात है और ड्रिल भी कर रही है, तो वहीं रूस समर्थित बेलारूस भी पोलैंड सीमा पर आक्रामक रूख अपनाया हुआ है, जिस वजह से नाटों संगठन भी ब्लैक सी में मौजूद होकर लगातार ड्रिल कर रही है,अब ऐसे में पूरी दुनिया का फोकस यूक्रेन और पोलैंड सीमा पर हैं, लेकिन इसी बीच रूस ने ताजिकिस्तान में अपने 30 टैंकों के एक जत्थे को तैनात करने के लिए रवाना करके पूरी दुनिया को चौंका दिया है। रूस का यह कदम अपने आप में किसी बड़े राज की तरफ इशारा कर रहा है जिसे रूस के दुश्मन समझ नहीं पा रहे हैं।
