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नई दिल्ली। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा चूंक प्रकरण में पैरवी करने वाले सुप्रीम कोर्ट के कई वरिष्ठ अधिवक्ताओं को विदेशों से उनके फोन पर धमकी आने की रिपोर्ट सामने आई है,बताया जा रहा है कि एक गुमनाम नंबर से,मामले में निर्धारित सुनवाई से पहले,लगभग 10:40 बजे कॉल प्राप्त हुई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘सुरक्षा में चूक’ मामले को उच्चतम न्यायालय में उठाने के खिलाफ कई वकीलों के पास कथित धमकी भरे संदेश विदेश से भेजने का एक मामला सोमवार को सामने आया था।
बताते चले कि देश की सबसे बड़ी अदालत “उच्चतम न्यायालय” के कई वकीलों की तरफ से दावा किया जा रहा है कि उनके मोबाइल फोन पर अंतरराष्ट्रीय नंबर से एक रिकॉर्डेड संदेश प्राप्त हुआ है,जिसमें कथित तौर पर शीर्ष अदालत में सुरक्षा के मुद्दे को उठाकर ‘मोदी शासन’ को मदद नहीं करने की अपील की गई है। वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने इस मामले की जांच केंद्रीय जांच ऐजेंसी NIA से कराने की मांग की है।
वहीं,इस दौरान उन्होंने ट्वीटर के द्वारा कहा है कि, “सिख फॉर जस्टिस यूएसए द्वारा सुप्रीम कोर्ट में एओआर (एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड) को भेजे गए ऑडियो को सावधानीपूर्वक लेना चाहिए। यह हरकत प्रचार से प्रेरित या दोषियों का बचाव करने के लिए एक धोखा हो सकती है। बावजूद इसके,यह उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों/एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड के लिए परोक्ष खतरा उत्पन्न करने वाला लगता है,इसलिए तत्काल इस मामले की केंद्रीय जांच ऐजेंसी से की जानी चाहिए।
इसी कड़ी में वकीलों द्वारा यह भी कहा गया कि मैसेज में पिछले सप्ताह पंजाब में प्रधानमंत्री की यात्रा के दौरान सड़क मार्ग को अवरुद्ध करने की जिम्मेदारी भी मैसेज भेजने वाले संगठन ने कथित रूप से ली है। वकीलों का कहना है कि मैसेज में यह भी कहा गया है कि वर्ष 1984 सिख विरोधी दंगों के मामले में उच्चतम न्यायालय की ओर से पर्याप्त कार्रवाई नहीं की गई थी।
उल्लेखनीय है कि बीते 5 जनवरी को पंजाब में देश के प्रधानमंत्री के एक दौरे के दौरान सुरक्षा में भारी चूंक के कारण प्रधानमंत्री को यह दौरा स्थगित करना पड़ गया था, जहां पर एक गैर सरकारी संस्था द्वारा सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका प्रधानमंत्री की सुरक्षा में हुई भारी चूंक प्रकरण में दाखिल की गई थी,जहां सोमवार को उच्चतम न्यायालय में सुनवाई हुई। शीर्ष अदालत ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय कमेटी से जांच कराने का आदेश दिया है।
