इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट

यूक्रेन के काउंटर अटैक में भारी नुकसान के चलते अब सीरिया के लड़ाकों की भर्ती कर रहा है रूस, सीक्रेट प्लेन से इन लड़ाकों को पहुंचाया जा रहा है फ्रंट पर – राकेश पांडेय/अमरनाथ यादव


बशर अल असद (फाईल फोटो)

दमिश्क/मॉस्को। रूस-यूक्रेन के बीच जारी जंग का आज 37वां दिन है,जहां इस दौरान रुस और यूक्रेन के बीच अभी भी भीषण लड़ाई जारी है,लेकिन रुस अभी तक कोई खास बढ़त नहीं बना सका है,हालांकि इस दौरान रुसी हमले में यूक्रेन के काफी शहर भयानक रूप से मलबे में बदल चुके हैं, यानि यूक्रेन का भारी नुकसान हुआ है लेकिन यूक्रेन के काउंटर अटैक में रूस को भी भारी नुकसान पहुंचा है,अब ऐसे में यह युध्द अभी भी रूस के नियंत्रण में नहीं आ सका है।
तो वहीं कुछ रिपोर्ट्स के हवाले से यह बताया जा रहा है कि इस लड़ाई में अब तक रूस के 7 से 15 हज़ार सैनिक मारे जा चुके हैं। जिस वजह से रूस इस समय भारी दबाव का सामना कर रहा है तो ऐसे में रूस की सरकार नहीं चाहती कि यूक्रेन में उसके ज़्यादा लड़ाके मारे जाएं,इसलिए वो पैसे लेकर लड़ने वाले लड़ाकों की तलाश कर रही है।

तो वहीं कुछ रिपोर्ट्स के हवाले से बताया जा रहा है रूस,यूक्रेन में लड़ने की इच्छा रखने वाले लड़ाकों की सूची तैयार कर रहा है। जहां एक रुसी मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि मध्य पूर्व के 16 हज़ार लड़ाके इस संघर्ष में अपनी मर्ज़ी से शामिल होने को तैयार हैं।

इस दौरान यह भी बताया गया है कि भाढ़े के इन लड़ाकों से रूस दो तरह के कॉन्ट्रैक्ट की पेशकश कर रहा है,फ्रंटलाइन पर लड़ने के लिए 7,000 डॉलर दिए जा रहे हैं। वहीं फ्रंटलाइन के पीछे रहकर लड़ने के लिए 3,500 डॉलर दिए जा रहे हैं।

बताते चले कि सीरिया के सोशल मीडिया पर रूस की तरफ से यूक्रेन के खिलाफ लड़ने वाले संदेशों की बाढ़ सी आई हुई है। इसी कड़ी में यह भी साफ किया गया है कि सीरिया के कुछ लड़ाकों का कहना है कि वे लोग कम से कम 200 लोगों को जानते हैं,जिन्होंने वहां जाने के लिए अप्लाई किया है। इन लोगों ने यह भी कहा कि 80 फ़ीसदी लोग केवल भोजन के जुगाड़ के लिए यूक्रेन जाना चाह रहे हैं।

तो वहीं यूक्रेन की ओर से कहा जा रहा है कि रूस ने सीरिया में भाढ़े के लड़ाकों को भर्ती करने के लिए 14 भर्ती केंद्र खोले हैं। और ये केंद्र सीरिया की राजधानी दमिश्क, अलेप्पो, हमा, रक़्क़ा और दीर अल-ज़ोर में खोले गए हैं।

बता दें कि गृह-युद्ध से सीरिया की अर्थव्यवस्था पहले ही जर्जर हो चुकी है,और अब यूक्रेन संकट से बेतहाशा बढ़ती महंगाई की भी मार लोगों को झेलनी पड़ रही है। जिसके चलते सीरिया में भी खाने पीने के सामान काफ़ी महंगे हो गए हैं। इस लड़ाई के चलते आटा,तेल,खाने पीने के दूसरे सामान,सब कुछ पहले से भी अधिक महंगे हो गए हैं।

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2016 में जब सीरिया में गृह-युद्ध चल रहा था,तब रूस ने वहां की सरकार को अपना अहम समर्थन दिया था,इसकी वजह से बशर अल असद की सरकार और वहां की सेना को बहुत मदद मिली थी,यहीं कारण है कि सीरिया अब रूस के उस पुराने ‘एहसान का बदला चुकाना’ चाहता है।

इसी कड़ी में यह भी दावा सामने आ रहा है कि जिसमें कहा जा रहा है कि इन भाड़े के सैनिकों को ले जाने वाला प्लेन सीरिया के लताकिया से आर्मेनिया के एरेबुनी और फिर वहां से कैस्पियन सागर होते हुए रूस के शहर मज़दोक ले जाया जा रहा है।

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