पुतिन रूसी सैन्य अधिकारियों के साथ (फाईल फोटो)
कीव/मॉस्को। रूस और यूक्रेन के बीच भावी युद्ध की संभावना को लेकर इस समय पूरी दुनिया में एक दहशत सी छायी हुई है,इस दौरान दोनों ही तरफ से एक दूसरे के खिलाफ बयानबाजी और धमकियों का भी दौर चल रहा है, इसी कड़ी में दोनों तरफ से टेबल टाक भी जारी है। बता दें कि एक तरफ जितनी गंभीरता से दोनों पक्षों के बीच बातचीत का दौर चल रहा है तो वहीं दूसरी तरफ मोर्चे पर युध्द की तैयारियां भी देखने को मिल रही है। फिलहाल,कई दौर की बातचीत और मान-मनौव्वल के बावजूद तनाव कम होता दिखाई नहीं दे रहा है। यही कारण है कि नाटो के सदस्य देशों ने यूक्रेन को हथियारों की सप्लाई भी शुरू कर दी है। खुद नाटो ने अपने कई सहयोगी देशों के युद्धपोतों,लड़ाकू विमानों और सैनिकों को रूस के चारों ओर अलग-अलग देशों में तैनात कर दिया है। उधर रूस भी नाटो और अमेरिका के दबाव में झुकने को बिलकुल तैयार नहीं है। अपनी सुरक्षा और दबाव को बनाए रखने के लिए रूस ने भी यूक्रेन सीमा पर रोबोट टैंक,स्टील्थ ड्रोन,एंटी एयर डिफेंस मिसाइलों और लाखों सैनिकों को तैनात कर दिया है। ये सैनिक भारी हथियारों के साथ यूक्रेन के बॉर्डर पर कई जगहों पर जमा हुए हैं।
बताया जा रहा है कि युद्ध के दौरान सैनिकों को खतरों से दूर रखने के लिए रूस ने बड़े पैमाने पर मशीनरी का इस्तेमाल किया गया है। इसी में शामिल है रूस का यूरेन-9 स्ट्राइक रोबोट टैंक। यूरेन-9 कैमरों और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की मदद से अपने टारगेट को ट्रैक कर सकता है। बड़ी बात यह है कि इस टैंक को 3 किलोमीटर दूर से ऑपरेट किया जा सकता है। यह टैंक पूरी तरह से रिमोट कंट्रोल्ड होती है। इसमें एक 30 मिमी की ऑटोमेटिक बंदूक, अताका एंटी-टैंक मिसाइल और श्मेल फ्लेमेथ्रो जैसे हथियार तैनात रहते हैं। इस हथियार को सीरिया के युद्ध में पहले ही टेस्ट किया जा चुका है। इस समय रूसी सेना में यूरेन-9 टैंक की एक रेजीमेंट पूरी तरह से सक्रिय है और यह अब यूक्रेन की सीमा पर तैनात हैं।
इसी कड़ी में रूस ने अपने घातक बीएमपीटी टर्मिनेटर टैंक को भी यूक्रेन की सीमा पर तैनात कर दिया है। बीएमपीटी टर्मिनेटर एक टैंक सपोर्ट फाइटिंग व्हीकल है। यह टैंक गोले बरसाने के साथ दुश्मनों के हेलिकॉप्टर और कम स्पीड से उड़ने वाले विमानों को भी मार गिराने में सक्षम है। इस टैंक को रूस की कंपनी Uralvagonzavod ने बनाया है। टर्मिनेटर के नाम से मशहूर यह टैंक शहरी क्षेत्र में लड़ाई के दौरान अपने दूसरे साथी टैंक्स और ऑर्मर्ड फाइटिंग व्हीकल को नजदीकी सहायता प्रदान करता है। जिससे दुश्मनों के हेलिकॉप्टर,ड्रोन या कम ऊंचाई पर उड़ने वाले दूसरे हवाई जहाज निशाना नहीं बना पाते हैं। BMPT-72 टैंक को पहली बार 2013 में रूसी आर्म्स एक्सपो में प्रदर्शित किया गया था। टर्मिनेटर टैंक एक कॉम्बेट प्रूवन वेपन है। यानी युद्ध क्षेत्र में भी इस टैंक की महारत को साबित किया गया है। रूस ने इसे भी वर्ष 2017 में सीरिया के युद्धग्रस्त क्षेत्रों में तैनात किया था और अब इसे भी यूक्रेन के बार्डर पर तैनात किया हुआ हैं।
वहीं हथियारों की अगली कड़ी में रूस ने एक्स विंग वाले लैंसेट कामिकेज ड्रोन को भी यूक्रेन के बॉर्डर पर तैनात कर दिया है। यह हथियार एक उड़ती बारूदी सुरंग है। इसे फ्लाइंग कलाश्निकोव के नाम से भी जाना जाता है। रूस के लैंसेट हथियार यूक्रेन के तुर्की निर्मित बायरकटार ड्रोन से दोगुनी तेजी से उड़ते हैं। ये दुश्मन के आर्मर्ड व्हीकल को उड़ाने में सक्षम हैं। मिसाइल की तरह हमला करने वाले इन ड्रोन्स के आगे एक सेंसर और कैमरा लगा होता है। इससे ये अपने लक्ष्य की पहचान कर उसका पीछा करते हैं। लक्ष्य के नजदीक आने के बाद ये खुद को उससे टकराकर बड़ी तबाही मचा सकते हैं। इनका एक वर्जन और भी है जो दुश्मनों के ड्रोन को नष्ट कर सकता है। ये उड़ते समय दुश्मन के ड्रोन के नजदीक जाकर खुद को उड़ा सकते हैं। इस विस्फोट की चपेट में आने से दुश्मन का ड्रोन नष्ट हो सकता है। रूस का यह आत्मघाती हथियार है।
रूसी नेशनल गार्ड की स्पेशल फोर्सेज में बड़ी संख्या में डॉग पैराट्रूपर्स भी शामिल हैं। कुत्ते किसी पैरा कमांडो के साथ पैराशूट की मदद से जमीन पर उतर सकते हैं। जंग के मैदान में सुरक्षा के लिए इन्हें भी बॉडी ऑर्मर और काले चश्मों से लैस किया गया है। इन कुत्तों को रूस के एमआई-8 हेलीकॉप्टरों की मदद से 13000 फीट की ऊंचाई से युद्ध के मैदान में जंप करवाया जा सकता है। ये ट्रेंड कुत्ते फ्रंटलाइन सैनिकों को दुश्मनों के इलाके की रेकी करने, हमला करने और मदद पहुंचाने में सहायता कर सकते हैं। रूस ने इसे भी यूक्रेन के बार्डर पर भेजा है।
वहीं एक अन्य रिपोर्ट में दावा किया गया है कि यूक्रेन से तनाव के बीच रूसी वायु सेना के Tu-22M3 बॉम्बर लगातार आॅन एअर पेट्रोल पर यानि दुश्मन की निगरानी करने के लिए लगातार गश्त कर रहे हैं। टीयू-22एम3 को सोवियत संघ के जमाने के टीयू-22एम से विकसित किया गया है। जो सुपरसोनिक स्पीड से 5100 किलोमीटर की दूरी तक हमला करने में सक्षम है। परमाणु हमला करने में सक्षम इस घातक बमवर्षक विमान की अधिकतम रफ्तार 2300 किलोमीटर प्रति घंटा है। रूस का यह बॉम्बर रडार की पकड़ से बचने के लिए काफी नीचे उड़ान भरने में सक्षम है। अमेरिका के नेतृत्व वाले सैन्य संगठ नाटो ने इसे बैकफायर-सी ( Backfire-C) का नाम दिया है। इसमें हवा में ईंधन भरने के लिए एरियल रिफ्यूलिंग नोज को भी लगाया गया है।
रूसी सेना के पास कई ऐसे स्टील्थ ड्रोन है जिसे दुश्मन का रडार भी डिटेक्ट नहीं कर सकता,अभी कुछ दिन पहले ही रूस ने यूक्रेन की सीमा पर अपने ओरियन ड्रोन को टेस्ट किया था। रियन यूएवी ने टेस्ट के दौरान क्रीमिया में एक रोटरी विंग ड्रोन को सफलतापूर्वक मार गिराया है। जिसके बाद विशेषज्ञों ने ओरियन को ड्रोन किलर मशीन करार दिया है। अपने टेस्ट के दौरान ओरियन यूएवी ने दुश्मन के ड्रोन को मार गिराने के लिए एक गाइडेड मिसाइल का इस्तेमाल किया। ओरियन ड्रोन की टॉप स्पीड 200 किलोमीटर प्रति घंटा तक हो सकती है। इस ड्रोन को रूस के क्रोनस्टेड समूह ने विकसित किया है। रूस की एस-70 अनमैंड कॉम्बेट एरियल व्हीकल भी ऑपरेशन है। इस ड्रोन में हथियारों को छिपाने के लिए इंटरनल बे भी बना हुआ है। इसे रूसी फौज सीक्रेट ऑपरेशन के दौरान उपयोग करने के लिए रिजर्व रखी हुई है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इन सभी घातक हथियारों को लेकर इस समय रूसी सेना यूक्रेन बार्डर पर डंटी हुई है और वार ड्रिल कर रही है। वहीं विशेषज्ञों को भी डर है कि यदि युध्द छिड़ा तो निश्चित रूप से यह युध्द पूरी दुनिया को अपने आगोश में ले सकता है जो कि प्रथम एवं द्वितीय विश्वयुद्ध से भी बड़ा भयानक होगा।