रूसी फौज (फाईल फोटो)
मॉस्को। यूक्रेन को लेकर कल तक धमकी देने वाला रूस अचानक यू टर्न की स्थिति में होते दिख रहा है,दरअसल रूस ने शुक्रवार को अपनी स्थिति साफ करते हुए कहा है कि वह यूक्रेन से युद्ध नहीं चाहता है लेकिन वह अपने सुरक्षा प्रस्ताव पर ठोस आश्वासन चाहता है। इसके लिए दो हफ्ते बाद एक बार फिर से रूस और अमेरिका के विदेश मंत्रियों के बीच वार्ता हो सकती है। इससे पहले अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से फोन पर वार्ता के दौरान उन्हें भरोसा दिया कि रूस द्वारा हमला किये जाने की स्थिति में उसे नाटो की तरफ से मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।
दरअसल,शुक्रवार रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने रेडियो चैनल से वार्ता के दौरान कहा कि,जहां तक रूस की सोच का सवाल है तो हम यूक्रेन से युद्ध नहीं चाहते। लेकिन ऐसा भी नहीं चाहते कि हमारे हितों पर निर्ममता से आघात हो और उनकी अनदेखी की जाए। हम सुरक्षा प्रस्ताव के जरिये उन्हीं पर चर्चा करना चाहते हैं। इस दौरान लावरोव ने यह भी कहा कि पश्चिमी देश रूस के हितों की लगातार अनदेखी कर रहे थे लेकिन बुधवार को लिखित जवाब में उन्होंने क्षेत्रीय सुरक्षा पर थोड़ा सा बोला है। यह हमारे लिए संतोष की बात है। इसके आधार पर हम भविष्य में वार्ता जारी रख सकते हैं। रूस ने अमेरिका और नाटो की ओर से आया जवाब तो सार्वजनिक नहीं किया है लेकिन संकेत दिया है कि उसमें हथियार नियंत्रण और विश्वास बढ़ाने वाले उपायों पर बातें कही गई हैं। हालांकि इस पर राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन फैसला आना अभी बाकी है। फिलहाल, रूस के विदेश मंत्री द्वारा जारी किये गये बयान से साबित होता है कि अब तलवारें वापस म्यान में जाने के लिए तैयार हो रही है बस एक बहाना मिल जाए,यानि संभावना है कि निकट भविष्य में जल्द तनाव घट सकता है।
गौरतलब है कि यूक्रेन को नाटों में शामिल होने से रूस अपनी सुरक्षा को लेकर सशंकित था,जिस वजह से यूक्रेन के बार्डर पर लाखों की संख्या में रूसी फौज इकट्ठा हो गई थी और युद्धाभ्यास में जुट गई थी,इसी बीच रुस ने संकेत दे दिया था कि यदि यूक्रेन नाटों एलाएंश में जाता है तो उसे खामियाजा भुगतना पड़ेगा,रूस के इस संकेत को यूरोपीय संघ के साथ अमेरिका ने भी गंभीरता से लिया और साफ कर दिया कि यदि यूक्रेन पर रूस द्वारा हमला होता है तो इसका हर मोर्चे पर कड़ा प्रतिरोध किया जायेगा,इस दौरान दोनों हीं पक्षों की तरफ से घातक हथियारों की तैनाती भी शुरू कर दी गई थी,इस दौरान तनाव बढ़ाने वाली बहुत सी सारी हरकतें भी दोनों ही तरफ से सामने आई,हालांकि अब रूसी विदेश मंत्री के बयान ने तनाव को घटाने का काम किया है फिर भी पुतिन ने अभी तक अपना रूख साफ नही किये है।