इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट

यूक्रेन सीमा के पास रूस ने तैनात किया अब तक का सबसे घातक हथियार, “बुख” मिसाइल सिस्टम जो कि वर्ष 2014 में मलेशियन विमान को गिराकर दिखा चुका है दुनिया को अपना ट्रेलर – सतीश उपाध्याय/ अमरनाथ यादव


“बुख” घातक मिसाइल सिस्टम (फाईल फोटो)

कीव/मॉस्को। लाख चेतावनियों और धमकियों के बावजूद भी रूस,यूक्रेन की सीमा के पास अपने घातक हथियारों की तैनाती करने से बाज नहीं आ रहा है, इसी कड़ी में एक चौंकानें वाली रिपोर्ट सामने आई है जिसमें बताया जा रहा है कि रूस “बुख” नाम का एक खास मिसाइल सिस्टम यूक्रेन सीमा के पास तैनात कर दिया है,जो कि जारी तनाव के कड़ी में आग में घी का काम कर रहा है। बता दें कि ये वही मिसाइल सिस्टम है,जिससे कथित रूप से वर्ष 2014 में मलेशिया के एक सीविलियन जहाज को मार गिराया गया था।

कहा जाता है कि 17 जुलाई 2014 को इसी “बुख” मिसाइल सिस्टम का इस्तेमाल करके रूस ने बीच हवा में मिसाइल फायर करके मलेशिया के एक असैन्य एयरलाइन्स की फ्लाइट 17 को मारकर गिरा दिया था। उस रोज मलयेशियन एयरलाइन्स की विमान संख्या 17 ने एम्सटर्डम से उड़ान भरी जो कि इस मलेशियन विमान को जर्मनी,पोलैंड और यूक्रेन होते हुए मलयेशिया की राजधानी कुआलालंपुर जाना था, घटना के समय विमान की लोकेशन पूर्वी यूक्रेन के आकाश में थी,जब कॉकपिट में लगे वॉइस रिकॉर्डर ने विमान के बाहर से आई एक तेज आवाज को रिकार्ड किया,और यह आवाज कॉकपिट के बाईं ओर ऊपर की तरफ से शुरू होकर दाहिनी ओर बढ़ती गई,यह वैसी ही आवाज थी, जो धमाके के समय आती है, ठीक इसी वक्त विमान बीच हवा में टूट गया,और उसका मलबा एक बड़े इलाके में बिखर गया। इस विमान में सवार सभी 298 लोग मारे गए,इन मरने वालों में 80 बच्चे भी शामिल थे।

इस हमले में हताहत होने वालों में 193 यात्री केवल नीदरलैंड्स के ही थे,इसीलिए यूक्रेन ने नीदरलैंड्स से आग्रह किया कि वह इस हादसे की तहकीकात करें,जहां नीदरलैंड्स ने आग्रह स्वीकार करते हुए जांच का जिम्मा डच सेफ्टी बोर्ड को सौंपा,और जांच के दौरान बोर्ड को घटनास्थल पर जो वॉरहेड मिला था,उसका नाम 9N314M था,जो कि यह वॉरहेड 9M38M1 मिसाइल में फिट होता है, और यह 9M38M1 मिसाइल जिस मिसाइल सिस्टम से दागी जाती है, उसका नाम “बुख” बताया गया और यह हथियार सोवियत संघ के पास 2K12 Kub नाम का एक मिसाइल सिस्टम हुआ करता था,जो कि इसी की अगली पीढ़ी है “बुख” जिसका सोवियत संघ ने 1979 में इस्तेमाल शुरू किया था। तब से लेकर अब तक इसके कई नए संस्करण सामने आ चुके हैं,और इस मिसाइल सिस्टम को रूस में 9K37 के जेनरिक नाम से भी जाना जाता है। यह एक मध्यम श्रेणी का जमीन से हवा में वार करने वाला एक ताकतवर मिसाइल सिस्टम है,और यह मिसाइल सिस्टम 70 से 80 हजार फीट की ऊंचाई तक वार करने में सक्षम है। जानकारों के मुताबिक,यह सिस्टम डेढ़ मिनट के भीतर छह अलग-अलग लक्ष्यों पर मिसाइलें दाग सकता हैं,इसमें दो तरह की मिसाइलें इस्तेमाल होती हैं।

एक 9M38M1 और दूसरी 9M38 है, और इन दोनों मिसाइलों में 70 किलो वजनी उच्च-क्षमता वाले विस्फोटक फ्रैगमेंटों से भरा वॉरहेड लगा होता है,जो कि ये वॉरहेड 9N314 और 9N314M के नाम से भी जाने जाते हैं। जहां कि घटनास्थल पर जांचकर्ताओं ने 9N314M वॉरहेड के हिस्सों को बरामद करने की बात कही थी,इस दौरान टीम ने 9N314M वॉरहेड के डिजाइन के आधार पर ही इस हादसे के साथ रूस का नाम जोड़ा,मलयेशियन एयरलाइन्स का विमान जिस इलाके में क्रैश हुआ था,वह पूर्वी यूक्रेन में पड़ता है,और यहां यूक्रेन और रूस समर्थित विरोधी गुट के बीच गृह युद्ध चल रहा था, जिस इलाके से मिसाइल दागी गई, वह रूस समर्थित विद्रोही गुट के कब्जे में था। जांच टीम ने यहां तक दावा किया कि उन्हें पक्की जानकारी है कि घटना के समय रूस ने “बुख” को इस इलाके में तैनात किया था। और इस पूरे क्षेत्र में कथित तौर पर यही एक सिस्टम था, जिसकी मिसाइलों के वॉरहेड के भीतर बो-टाई आकार के फ्रैगमेंट पाए जाते हैं। हालांकि जांच कर रही टीम ने यह भी साफ किया था कि जांच के दौरान सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर बहुत विस्तृत पड़ताल की गई थी,और अंत में टीम इस परिणाम पर पहुंची कि “बुख” मिसाइल सिस्टम से दागे गए मिसाइल ने ही विमान के बाएं हिस्से पर वार किया है और इसी के चलते विमान बीच हवा में टूट गया और उसके टुकड़े हो गए। वहीं बाद में इस घटना के पीछे की पूरी कहानी सामने आई,जिसमें यह साफ किया गया कि आखिर यह हमला किन परिस्थितियों में किया गया था ?

दरअसल जिस बुख सिस्टम से मिसाइल दागी गई थी,वह पश्चिमी रूस के कुर्स्क में तैनात रूसी सेना की 53वीं ऐंटीएयरक्राफ्ट ब्रिगेड के पास था,और उस समय यूक्रेन में रूस के समर्थन वाला विरोधी गुट संघर्ष में पिछड़ रहा था,जहां यूक्रेन के लड़ाकू विमानों के चलते विद्रोही अलगाववादी गुट को भारी नुकसान हो रहा था,और उनके हाथ से इलाके निकलते जा रहे थे। बड़ी संख्या में विद्रोही गुट के लड़ाके मारे जा रहे थे, जहां कथित रूप से कहा गया कि इस विद्रोही गुट को मदद पहुंचाने के लिए रूस ने पूर्वी यूक्रेन में सैन्य सहायता पहुंचाई, और इसी सैन्य मदद में बुख सिस्टम भी शामिल था,और 17 जुलाई, 2014 को तड़के सुबह यह सिस्टम गुपचुप रूस से सीमा पार करवाकर पूर्वी यूक्रेन में दाखिल कराया गया,जहां से उसे एक ट्रेलर पर लादकर विरोधी गुट के कब्जे वाले दोनेत्स्क शहर और फिर स्निजनये शहर ले जाया गया,और इस दौरान कई स्थानीय लोगों,पत्रकारों और ड्राइवरों ने इस बुख सिस्टम को ले जाते देखा था,इस दौरान चश्मदीदों को रूस की एक सैन्य टुकड़ी और विद्रोही गुट के कई लड़ाके भी इस आर्मी कानवाई में दिखाई दिये थे। हालांकि रूस इन आरोपों से इनकार करता रहा है।

इन आरोपों पर अपनी सफाई देते हुए रूस ने दावा किया था कि यह मिसाइल यूक्रेन के अधिकार क्षेत्र वाले हिस्से से दागी गई थी,और इस दौरान रूस ने सेटेलाईट से ली गई तस्वीरों को भी सार्वजनिक करके खुद को घटना की साजिश से दूर साबित करने की कोशिश भी किया, मगर डच जांचकर्ताओं ने रूसी दावों को खारिज करते हुए कहा कि वे तस्वीरें फर्जी थीं और फोटोशॉप की मदद से छेड़छाड़ करके नकली सबूत तैयार किए गए थे,जहां बाद में जांच पूरी हो जाने के बाद मार्च 2020 में MH17 क्रैश में मारे गए सभी 298 मृतकों की हत्या का केस शुरू किया गया और इस केस में चार लोगों पर उनकी गैरहाजिरी में भी मुकदमा चला,इनमें तीन रूस और एक यूक्रेन का नागरिक बताए जाते हैं। इन आरोपियों में से एक है, इगोर गिरकिन जो कि रूसी खुफिया एजेंसी ‘फेडरल सिक्यॉरिटी सर्विस’ (FSB) में अफसर रह चुका हैं,इस पर अप्रैल 2014 में यूक्रेन के स्लावआंस्क शहर पर हुए कब्जे का भी नेतृत्व करने का आरोप है,और दूसरा आरोपी हैं सेरगी डुबिंस्की,यह आरोपी दोनेत्स्क पीपल्स रिपब्लिक की मिलिटरी इंटेलिजेंस सर्विस के मुखिया हैं, आरोपियों में तीसरा नाम सेरगी के सहयोगी ओलेग पुलातोव का है,इसके बारे में बताया जाता है कि ये तीनों रूसी सैन्य खुफिया एजेंसी जीआरयू के साथ करीब से जुड़े रहे हैं। आरोप है कि पूर्वी यूक्रेन में विद्रोही गुट तक हथियार पहुंचाने का काम जीआरयू की ही देख-रेख में हो रहा था। चौथे आरोपी लियोनिड जीएनआर में फील्ड कमांडर है और यह यूक्रेन का मूल नागरिक है।
अब एक बार फिर बुख मिसाइल सिस्टम की चर्चा तेज है जो कि मलेशियन विमान दुर्घटना की यादों को ताजा कर दिया है,अब यह आशंका साफ साफ यकिन में बदलती जा रही है कि यूक्रेन के प्रति रूस की नियत बिल्कुल भी ठीक नहीं है, कुछ बड़ा होने की संभावना है, फिलहाल, यूरोपीय संघ भी अपनी पूरी तैयारी पर है यदि रूस की तरफ से कुछ पहल होती है तो निश्चित रूप से बड़े जवाब की संभावना है।

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