परमाणु परीक्षण के दौरान (फाईल फोटो)
मास्को। यूं तो आज के दौर में दुनिया में एक से बढ़कर घातक हथियार मौजूद है,लेकिन दुनिया ने सिर्फ परमाणु बम का अनुभव किया है,जिस वजह से लोगों के जेहन में जब भी किसी घातक हथियार का विचार आता है तो वह सबसे पहले उस नये हथियार की तुलना परमाणु बम से करता है यह नया हथियार परमाणु बम से कितना अधिक शक्तिशाली है ? बताते चले कि 1945 में सोवियत नेता जोसेफ स्टालिन ने निर्माण को तेज करने का आदेश दिया। सोवियत यूनियन ने 29 अगस्त, 1949 को अपने पहले परमाणु हथियार का सफलतापूर्वक परीक्षण किया, इसके बाद 12 अगस्त 1953 को कजाखिस्तान के सेमीप्लाटिंस्क टेस्ट साइट पर हाइड्रोजन बम का टेस्ट किया।
परमाणु परीक्षण के दौरान (फाईल फोटो)
वहीं, अमेरिका और रूस के बीच सबसे बड़े परमाणु हथियार को तैयार करने को लेकर रेस शुरू हो चुकी थी और 30 अक्टूबर 1961 की तारीख एक महत्वपूर्ण घटना के तौर पर इतिहास में दर्ज हुई। सोवियत Tu-95 बॉम्बर ने आर्कटिक महासागर में स्थित नोवाया जेम्लया की ओर उड़ान भरी, कैमरा और अन्य जरूरी उपकरणों के साथ कई छोटे विमानों ने भी टेस्ट साइट की ओर उड़ान भरी, लेकिन ये कोई आम परमाणु परीक्षण नहीं था, बल्कि इस बार टेस्टिंग के लिए एक थर्मोन्यूक्लियर बम को ले जाया गया, ये बम इतना बड़ा था कि ये सामान्य इंटिरियर बम बे अंदर फिट नहीं हो सकता था।
रुस के राष्ट्रपति पुतिन (फाईल फोटो)
कहा जाता है कि ये परमाणु हथियार 26 फीट लंबा था और इसका वजन 27 मीट्रिक टन था। इस बम का आधिकारिक नाम izdeliye 602 था, मगर इतिहास में इसे जॉर बॉम्बा के नाम से जाना गया। जार बॉम्बा 57 मेगाटन वाला बम था। एक अनुमान के मुताबिक, ये बम 1945 में हिरोशिमा को नष्ट करने वाले 15 किलोटन परमाणु बम की शक्ति का लगभग 3,800 गुना था। 30 अक्टूबर को इसे एक पैराशूट के जरिए गिराया गया, ताकि इसे गिराने वाला प्लेन और बाकी के विमान विस्फोट वाली जगह से जल्द से जल्द दूर हो जाएं। वहीं, जब विस्फोट हुआ तो, ये इतना शक्तिशाली था कि इसने 35 किलोमीटर के दायरे में सब कुछ तबाह कर दिया। धमाके से एक मशरूम वाला बादल बना, जिसकी ऊंचाई 60 किलोमीटर थी।
रूस के इस ताजे परीक्षण ने दुनिया के कई देशों की धुकधुकी बढ़ा दी है।