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बीजिंग। रूस और यूक्रेन के बीच जारी भीषण जंग के बीच अब चीन भी नाटों को आंखें दिखानें शुरू कर दिया है,जिस कड़ी में चीन के एक वरिष्ठ राजनयिक के हवाले से बताया जा रहा है कि अमेरिका की हिंद-प्रशांत नीति यूरोप में पूर्व की तरफ विस्तार की नाटों की नीति जितनी खतरनाक है, जिसके चलते यूक्रेन में रूस का विशेष सैन्य अभियान शुरू हुआ है। बता दें कि चीन के उप विदेश मंत्री ले युचेंग ने शनिवार को सिंघुआ यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर इंटरनेशनल सिक्योरिटी एंड स्ट्रेटेजी द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा एवं रणनीति फोरम में कहा कि सोवियत संघ के विघटन के बाद उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) को भी वारसा संधि के साथ इतिहास के पन्नों में समेट दिया जाना चाहिए था।
इसी कड़ी में युचेंग ने आगे भी कहा कि हालांकि, टूटने के बजाय नाटों का दायरा लगातार बढ़ता और मजबूत होता जा रहा है। इसके नतीजों का अंदाजा अच्छी तरह से लगाया जा सकता है,जहां यूक्रेन संकट एक कड़ी चेतावनी है। चीनी अधिकारियों का कहना है कि कीव को शामिल करने की नाटों की योजना ने रूस की असुरक्षा की भावना को बढ़ा दिया, जिसके चलते रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के खिलाफ सैन्य कार्रवाई का फैसला लिया।
बताते चले कि रूस का करीबी सहयोगी चीन, यूक्रेन के खिलाफ रूस की सैन्य कार्रवाई को आक्रमण बताने या उसकी निंदा करने से बचता आ रहा है। वहीं इसी कड़ी में युचेंग ने आगे भी कहा कि सभी पक्षों को संयुक्त रूप से बातचीत और सुलह-समझौते के मंच पर आने में रूस और यूक्रेन का समर्थन करना चाहिए, जिसके परिणामस्वरूप क्षेत्र में शांति स्थापित हो सकेगी।’
उन्होंने और भी कहा कि चूंकि, नाटों ने उस समय एक वादा किया था,इसलिए उसे अपने शब्दों से मुकरना नहीं चाहिए और पूर्व की तरफ विस्तार से बचना चाहिए। पूर्ण सुरक्षा की चाह हकीकत में पूर्ण असुरक्षा की ओर ले जाती है।’ युचेंग ने यह भी कहा कि हिंद-प्रशांत रणनीति को आगे बढ़ाना, बंद या छोटे विशिष्ट केंद्रों अथवा समूहों को एक साथ लाना और क्षेत्र को विखंडन तथा ब्लॉक-आधारित विभाजन की ओर ले जाना उतना ही खतरनाक है,जितना यूरोप में पूर्व की तरफ विस्तार करने की नाटों की रणनीति।
इस दौरान उन्होंने यह भी चेताया कि अगर इस रणनीति को बिना रोक-टोक के जारी रहने दिया गया तो इसके अकल्पनीय परिणाम होंगे और यह अंततः एशिया-प्रशांत को रसातल में धकेल देगी,युचेंग ने आगे भी साफ करते हुए कहा कि हमें एशिया के भविष्य को मजबूती से अपने हाथों में रखना चाहिए और एक स्वतंत्र,संतुलित एवं विवेकपूर्ण विदेश नीति का पालन करना चाहिए,ताकि एशिया-प्रशांत क्षेत्रीय एकीकरण की प्रक्रिया को एकता के माध्यम से मजबूती प्रदान की जा सके।
उल्लेखनीय हैं कि रूस और यूक्रेन के बीच जारी भीषण लड़ाई का आज 25वां दिन है,और यह जंग मुख्य रूप से पूर्व में नाटों के विस्तार को लेकर आधारित है जहां इसी कड़ी में ताइवान व जापान भी चीनी आक्रमकता से सहमे हुए हैं, जिसे लेकर अमेरिकी लीडरशिप में चीन को रोकने के लिए “क्वाड” नामक संगठन को गठित किया गया है,जिसे लेकर चीन द्वारा समय-समय पर अमेरिका को धमकाया जाता है।