एक्सक्लूसिव रिपोर्ट

रूस-यूक्रेन जंग के बीच दहला मिडिल-ईस्ट, इजरायल ने “हमास” के राकेट हमले के जवाब में किया काउंटर अटैक, भीषण बमबारी से दहला गाजापट्टी – विजयशंकर दूबे/राजेंद्र दूबे


सांकेतिक तस्वीर।

तेलअवीव। रूस-यूक्रेन जंग के बीच अब मिडिल-ईस्ट भी बारूदी विस्फोटों से दहलना शुरू हो गया है,हालांकि इसकी आशंका पहले से ही थी,चूंकि तीसरे विश्वयुद्ध को लेकर विशेषज्ञों ने तभी भविष्यवाणी कर दी थी जब रूस-यूक्रेन के बीच जंग की शुरुआत हुई थी। दरअसल,इजरायल और फिलिस्तीन के बीच एक बार फिर से राकेट,मिसाइल हमले शुरू होने की रिपोर्ट सामने आ रही है,बताया जा रहा है कि इजरायली वायु सेना ने 18 अप्रैल को दक्षिणी गाजा पट्टी से रॉकेट दागे जाने के जवाब में हमला किया किया है।

इस दौरान इजरायली सेना ने कहा कि वायु सेना के लड़ाकूं विमानों ने हमास से संबंधित एक हथियार निर्माण कार्यशाला को नष्ट कर दिया है। 18 अप्रैल को इजरायल की आयरन डोम मिसाइल रक्षा प्रणाली ने चार महीने में एन्क्लेव के लिए पहले रॉकेट लॉन्च में गाजा पट्टी से एक मिसाइल को रोक दिया था। हालांकि इन हमलों के बावजूद अभी तक किसी के घायल होने की सूचना नहीं थी।

वहीं इस बीच वेस्ट बैंक शहर जेनिन में इजरायली सेना और सशस्त्र फिलिस्तीनी आपस में भिड़ गए,जहां हिंसक झड़प होने की खबर सामने आई है। उधर,इजरायली हमले के बाद हमास के प्रवक्ता हाजेम कासेम के हवाले से बताया गया है कि इजरायल के कब्जे के खिलाफ हमारा संघर्ष एक वैध अधिकार है। इसी कड़ी में हमास ने यरूशलेम और अल-अक्सा मस्जिद में इजरायली सुरक्षा कर्मियों की घुसपैठ के बाद इजरायल पर हमला करने की धमकी दी है,हालांकि रॉकेट हमले की तत्काल किसी समूह ने जिम्मेदारी नहीं ली है।

इधर,इजरायली ऐजेंसी “मोसाद” सहित अन्य सुरक्षा ऐजेंसियों ने साफ किया है कि हाल के दिनों में भले ही झड़पें बढ़ी है लेकिन इसके विस्तार की संभावना न के बराबर है लेकिन फिर भी ऐतिहातन देश की सेना को अतिरिक्त सतर्कता बरतने का निर्देश दिया गया है।

गौरतलब है कि रूस-यूक्रेन के बीच जारी जंग के 54 दिन के उपर हो चुके हैं,जहां इस दौरान भारी तबाही का सामना कर रहे यूक्रेन के उपर अब परमाणु हमला का खतरा मंडरा रहा है,जिसे देखते हुए दुनिया के कई देश अतिरिक्त सतर्कता बरत रहे हैं तो वहीं वें देश अधिक सशंकित है जो अपने से अधिक ताकतवर देशों के निशाने पर है,ऐसे में यहीं आशंका बन रही है कि जिस यूक्रेन को पूरा विश्वास था कि अमेरिका सहित पूरा नाटों एलाएंश उसकी मदद करेगा,लेकिन वे लोग सिर्फ सप्लाई तक हीं सीमित रह गए,ऐसे में दुनिया के कई देश भयभीत है जिनमें ताइवान,स्वीडन,फिनलैंड सहित पाकिस्तान आदि।

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