इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट

सीक्रेट ऑपरेशन का बड़ा खुलासा – चीन, पाकिस्तानी खुफिया ऐजेंसी से तालिबान के खिलाफ करवा रहा है जासूसी, तालिबानी नेताओं के घरों में, गाड़ियों में और भी कई जगहों पर लगाया गया है हाई टेक्नोलाजी से लैश जासूसी उपकरण – चंद्रकांत मिश्र (एडिटर इन चीफ)


सांकेतिक तस्वीर।

इस्लामाबाद। “सीक्रेट ऑपरेशन” के विश्वस्त सूत्रों ने पाकिस्तान की खुफिया ऐजेंसी द्वारा तालिबान के खिलाफ लगातार जासूसी करने के संबंध में चौंकानें वाली रिपोर्ट उपलब्ध कराया है,जिसके बारें में शायद ही दुनिया की कोई अन्य इंटेलीजेंस ऐजेंसी इत्तेफाक रखती हो,आखिर तालिबान और पाकिस्तान जब आपस में गहरे दोस्त है तो ऐसा क्या कारण बना कि पाक ऐजेंसी तालिबान के खिलाफ जासूसी करने को मजबूर हुई ?
इस रिपोर्ट के संबंध में यहां पर हम साफ कर देना चाहते हैं कि “सीक्रेट ऑपरेशन” न्यूज पोर्टल समूह अपने विश्वस्त सूत्रों के हवाले से इस खुलासे की पूरी जिम्मेदारी लेते हुए पूरे दावे के साथ इस पूरी रिपोर्ट को सार्वजनिक कर रहा हैं।

बताते चले कि अफगानिस्तान पर काबिज होने के लिए निश्चित रूप से पाकिस्तान की सेना और पाक खुफिया ऐजेंसी ने तालिबान की मदद में अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी,परिणामस्वरुप इसी साल 15 अगस्त को तालिबान पूरे अफगानिस्तान पर अपना नियंत्रण हासिल करने में सफल रहा,लेकिन इस दौरान पंजशीर घाटी पर तालिबान अपना झंडा गाड़ने में असफल रहा,जिस कारण इस टास्क को पूरा करने की जिम्मेदारी पाकिस्तान ने अपनी खुफिया ऐजेंसी को दिया, इसी बीच लेफ्टिनेंट जनरल रैंक का एक अधिकारी जो कि ISI चीफ भी था,वह काबुल यात्रा पर गया और उसने पंजशीर घाटी पर फतह करने के लिए एक फौजी आॅपरेशन प्लान किया जिसे तालिबानी आतंकियों ने फाॅलो किया और दुनिया के लिए अजेय रहने वाला पंजशीर घाटी पर तालिबान अपना झंडा गाड़ने में सफल रहा।
तालिबान की इस दोहरी सफलता ने तालिबान और पाकिस्तान को एकदम से इतना नजदीक करीब कर दिया कि दोनों तरफ से एक दूसरे पर आंख मूंदकर भरोसा किया जाने लगा।

लेकिन इस दौरान धोखेबाज़ पाकिस्तान ने अपनी खुफिया ऐजेंसी (ISI) के द्वारा तालिबान के पीठ में छूरा घोंपतें हुए तालिबानी नेताओं के घरों में,उनके बेडरूमों में,बाथरूम में,उनकी गाड़ियों में सभी जगह हाई टेक्नोलाजी से लैश जासूसी उपकरण लगवा दिया,हमारें सूत्रों का कहना है कि ये जासूसी उपकरण ऐसे है कि जो डिटेक्ट नहीं हो सकते यानि जल्दी पकड़ में नहीं आ सकते,मतलब इन उपकरणों को किसी अन्य उपकरण के माध्यम से ना ही ट्रेस किया जा सकता है और ना ही डिटेक्ट,इन उपकरणों के माध्यम से ISI लगातार तालिबानियों की निगरानी कर रही है,चौबिसों घंटे निगरानी को बेहद खुफिया तरीके से अंजाम देने के लिए बलूचिस्तान के किसी मदरसे में एक खुफिया बंकर बनाया गया है,जहां पर ISI की तकनीकी विशेषज्ञों की एक टीम बेहद खुफिया तरीके से अपने इस मिशन को अंजाम दे रही है, दरअसल बलूचिस्तान के लोकेशन को इस मिशन के लिए इसलिए चुना गया है कि यहां एंटी पाकिस्तान मूवमैंट है जिस वजह से दुनिया की अन्य इंटेलीजेंस ऐजेंसियों को शक नहीं होगा।

तालिबान के खिलाफ पाकिस्तानी ऐजेंसी द्वारा जासूसी करने के पीछे दो कारण बताया जा रहा है एक तो चीन के निर्देश पर,इसके लिए चीन की तरफ से पाक ऐजेंसी को हाई टेक्नोंलाजी से युक्त जासूसी उपकरण भी मुहैया कराया गया है और इसके अलावा चीन की तरफ से पाक ऐजेंसी को अच्छा खासा पैसा भी उपलब्ध कराया गया है,अब सवाल उठता है कि चीन इस जासूसी मिशन को क्यों अंजाम दे रहा है ? दरअसल चीन को डर है कि कहीं चीन के ऊईगर मुस्लिमों को तालिबान मदद न पहुंचाने लगे,जो कि चीन के लिए बड़ा खतरा बन सकते हैं,चूंकि तालिबानी लड़ाकों में एक अच्छी संख्या में ऊईगर मुस्लिम लड़ाकें भी शामिल हैं,और पूरी दुनिया जानती है कि चीन में पिछले कई सालों से ऊईगर मुस्लिमों पर कितना अत्याचार हो रहा है ? इसी डर वश चीन, पाकिस्तान की ISI से तालिबान के खिलाफ जासूसी करवा रहा है। हालांकि तालिबान ने पहले ही साफ कर दिया था कि चीन के खिलाफ वह नहीं जायेगा लेकिन फिर भी चीन चांस नहीं ले सकता, चूंकि चीन को अच्छे से पता है कि इन लोगों के कथनी और करनी में कितना अंतर होता है ?
वहीं दूसरा कारण है कि डूरंड लाईन और कुछ अन्य कारणवश भविष्य में कभी भी पाकिस्तान और तालिबान के बीच भीषण संघर्ष हो सकता है जिस वजह से पाकिस्तान, तालिबान को अपना संभावित निकट भविष्य का दुश्मन मानकर चल रहा है। इसलिए ऐसे में पाकिस्तान के लिए बहुत जरूरी हो जाता है कि वह अपने ऐसे दुश्मन पर लगातार नजर रखें,जो कि निकट भविष्य के खतरें से निपटने में इस जासूसी रिपोर्ट की भरपूर मदद लिया जा सके।

उल्लेखनीय है कि इस साल अगस्त महीने में जबसे पूरे अफगानिस्तान पर तालिबान काबिज हुआ है उसके बाद अफगानिस्तान में सरकार गठन को लेकर पाकिस्तान समर्थित खूंखार आतंकी संगठन हक्कानी नेटवर्क, तालिबान सरकार में महत्वपूर्ण भागीदारी में शामिल रहा है, इस दौरान कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों को लेकर तालिबान और हक्कानी नेटवर्क आमने सामने भी हुए,लेकिन इस बीच पाक ऐजेंसी के कई अधिकारियों ने सामने आकर इस आपसी झगड़े को समाप्त कराया,इसके बावजूद भी हक्कानी नेटवर्क और तालिबान के बीच तनाव बरकरार रहा,जहां बाद में हक्कानी नेटवर्क काबुल के साथ-साथ,देश के कई भूभागों पर अपना नियंत्रण जारी रखा तो वहीं पर तालिबान ने कंधार को अपना मुख्यालय बनाकर अफगानिस्तान के अन्य हिस्सों पर अपना नियंत्रण बरकरार रखा,इसी तरह से इन दो गुटों के माध्यम से अफगानिस्तान पर कब्जा बरकरार रखा गया है, फिलहाल इधर कुछ महिनों से इन दोनों गुटों के बीच कोई आपसी तनाव की रिपोर्ट सामने नहीं आई है,लेकिन पाकिस्तानी खुफिया ऐजेंसी की तालिबान के खिलाफ जारी जासूसी की करतूत सामने आने पर निश्चित रूप से एक बार फिर अफगानिस्तान के साथ-साथ दुनिया के अन्य हिस्सों में भी तहलका मच सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *