इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट

“सीक्रेट-ऑपरेशन” ने उस दावें को किया खारिज, जिसमें कहा गया था कि रुस में सात साल पहले हुए एक रूसी नेता की हत्या में पुतिन का था हाथ – चंद्रकांत मिश्र/सतीश उपाध्याय


बोरिस (फाईल फोटो)

मॉस्को/लंदन। रूस-यूक्रेन के बीच जारी भीषण जंग आज 36 दिन हो गए लेकिन अभी तक रूस को कोई खास सफलता नहीं मिली,इस दौरान कई तरह के उतार-चढ़ाव देखे गए, जहां इसी कड़ी में कुछ ऐसे मीडिया रिपोर्ट्स भी सामने आये जिनमें रूस के राष्ट्रपति पुतिन की छवि को प्रभावित करने की भरपूर कोशिश की गई,इसी कड़ी में पश्चिमी देशों से संबंधित एक प्रतिष्ठित मीडिया समूह ने हाल ही में एक ऐसा चौंकानें वाला दावा किया गया,जिसमें रूस के एक बड़े विपक्षी नेता और पूर्व उप प्रधानमंत्री बोरिस नेम्त्सोव की 27 फ़रवरी 2015 को मॉस्को में हत्या कर दी गई थी,उन्हें क्रेमलिन से चंद क़दम की हीं दूरी पर गोली मारी गई थी। जहां इस हत्या का तार रूसी ऐजेंसियों और पुतिन से जोड़ने की कोशिश हुई और इसे एक कुछ रिपोर्ट के आधार पर सामने लाया गया, जहां “सीक्रेट-ऑपरेशन” न्यूज पोर्टल समूह ने इस कथित मीडिया रिपोर्ट्स का पूरा विश्लेषण किया और पाया कि यह रिपोर्ट मात्र कुछ तथ्यों का आधार है और इसे खास मकसद के तहत यूक्रेन संकट के बीच पुतिन की छवि को प्रभावित करने की कोशिश मात्र है,ताकि पूरे रूस में एक भ्रामक स्थिति बन सकें।

वालेरी कथित रूसी जासूस (फाईल फोटो)

कथित खुलासा करने वाली समाचार ऐजेंसी ने दावा किया कि काफ़ी समय से चल रही एक पड़ताल से जानकारी मिली है कि गोली मारे जाने के क़रीब एक साल पहले से रूस का एक जासूस उनका चुपचाप पीछा कर रहा था,और वो जासूस राजनीतिक हत्या करने वाले एक समूह से जुड़ा हुआ था।

इसी कड़ी में आगे भी कहा गया कि व्लादिमीर पुतिन के सत्ता में आने के बाद से हुईं राजनीतिक हत्याओं में नेम्त्सोव की हत्या का केस सबसे हाई-प्रोफ़ाइल रहा है,दावें में यह भी कहा गया कि इस घटना में रूस के अधिकारी अपनी किसी भूमिका से साफ़ इनकार करते हैं।

पुख़्ता सबूत के हवाले से दावा करने वाली समाचार ऐजेंसी ने कहा कि बोरिस नेम्त्सोव की हत्या से पहले उनकी 13 यात्राओं के दौरान उनका चोरी छिपे पीछा किया गया।

बता दें कि बोरिस नेम्त्सोव रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के घोर विरोधी थे,और वो 1990 के दशक में तेज़ी से उभरे और तब के राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन के अधीन उप प्रधानमंत्री के तौर पर काम भी किया।

जहां तभी से यह माना जाने लगा था कि वो ही येल्तसिन के उत्तराधिकारी होंगे,हालांकि ऐसा नहीं हुआ,उनके बजाय व्लादिमीर पुतिन देश के अगले नेता बने। उसके बाद बोरिस नेम्त्सोव देश की राजनीति में हाशिए पर धकेल दिए गए।

खुलासा करने वाली समाचार ऐजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में आगे यह भी कहा कि भ्रष्टाचार उजागर करने और 2014 में पूर्वी यूक्रेन पर रूस के हमले की निंदा करने को लेकर वो सरकार विरोधी प्रमुख चेहरा बन गए थे,बोरिस नेम्त्सोव उस युद्ध के ख़िलाफ़ हो रहे विरोध प्रदर्शन की अगुवाई करने वाले थे, लेकिन फ़रवरी 2015 में उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई।

उसके बाद,चेचन मूल के 5 लोगों को हत्या करने के आरोप में जेल भेज दिया गया,लेकिन जांच में आजतक यह नहीं साफ हो सका कि आख़िर बोरिस नेम्त्सोव की हत्या करने का आदेश किसने और क्यों दिया ?

अब इस हत्याकांड के क़रीब सात साल बाद संबधित समाचार ऐजेंसी ने हत्या के संबंध में दावा किया है कि वह इस बात का सबूत दे सकती है कि नेम्त्सोव की हत्या किए जाने के कई महीने पहले से सरकार का एक जासूस उनका पीछा कर रहा था,और इस जासूस का देश भर में राजनीतिक हत्याएं कराने वाले एक समूह से संबंध था।

दावें के अनुसार बताया गया कि जांच करने पर पता चला कि उस जासूस ने ट्रेन और फ़्लाइट के लीक रिज़र्वेशन डेटा से जानकारी लेकर बोरिस नेम्त्सोव का कम से कम 13 यात्राओं के दौरान पीछा किया।

दावें में यहा तक भी कहा गया कि उस जासूस ने नेम्त्सोव का आख़िरी बार पीछा उनकी हत्या के महज 10 दिन पहले 17 फ़रवरी, 2015 को किया था,वहीं दस्तावेज़ों के अनुसार,उस जासूस का नाम वालेरी सुखारेव है।

इसी कड़ी में एक और भी दावा किया गया कि अभी हाल के सालों में पुतिन के घोर विरोधी नवेलिनी जर्मनी की यात्रा के दौरान घातक जहर की चपेट में आ गए थे,जहां कथित रूप से यह रिपोर्ट किया गया कि रुसी जासूसों द्वारा नवेलिनी पर सुनियोजित तरीके से जहर के द्वारा हमला किया गया था और इस कथित रिपोर्ट को अमेरिका और युरोपिय मीडिया ने खूब उछाला भी था। लेकिन इन घटनाक्रमों से जुड़े सभी रिपोर्ट्स का “सीक्रेट-ऑपरेशन” न्यूज पोर्टल द्वारा अध्ययन व विश्लेषण किया गया तो पाया गया कि इन दावों में बहुत छेद है जो कि एक खास मकसद के तहत पुतिन तथा उनकी ऐजेंसियों को बदनाम करने के लिए साजिशन रचा गया था जिनमें तथ्यों का अभाव है तथा इसमें कहानियां ज्यादा है,जिसे “सीक्रेट-ऑपरेशन” न्यूज पोर्टल समूह सिरे से इन कथित दावों को खारिज करता है।

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