बीजिंग/केनबरा। पिछले कुछ समय से चीन की सोलोमन द्वीप के साथ बढ़ती नजदिकियां केनबरा की चिंताएं बढ़ा दी थी, जहां इस बीच यह भी दावा सामने आया था कि चीन और सोलोमन के बीच एक सीक्रेट डिफेंस डील हो चुकी है। इस रिपोर्ट के सामने आते हीं ऑस्ट्रेलिया के साथ-साथ अमेरिका व अन्य सहयोगी देशों में हड़कंप मच गया था। लेकिन एक ताजे रिपोर्ट में साफ हो गया है कि सोलोमन द्वीप को लेकर चीन का सीक्रेट मिशन अब पूरी तरह से नाकाम हो चुका है। दरअसल,आस्ट्रेलिया और सोलोमन द्वीप के शीर्ष नेतृत्व के बीच बातचीत के बाद चीन के अरमानों पर अब पानी फिर गया,जहां अब सोलोमन द्वीप ने साफ कर दिया कि वह अपनी जमीन पर किसी भी विदेशी सैन्य अड्डे को मंजूरी नहीं देगा।
बता दे कि सोलोमन के इस घोषणा के बाद बीजिंग का वह मिशन नाकाम हो गया,जिसमें वह सोलोमन के बेहद करीब पहुंच गया था,इसे चीन की बड़ी हार के रूप में देखा जा रहा है। चूंकि,अभी हाल ही में चीन ने सोलोमन द्वीप के साथ नए सीक्रेट डिफेंस समझौते का घोषणा किया था। इस दौरान बीजिंग ने दावा किया था कि यह समझौता सोलोमन द्वीप में शांति और स्थिरता बनाने के उद्देश्य से एक पारस्परिक रूप से लाभकारी है। वहीं,ऑस्ट्रेलिया,अमेरिका,न्यूजीलैंड के साथ-साथ जापान ने भी इस समझौते को लेकर कड़ीआपत्ति जताई थी।
सांकेतिक तस्वीर।
बताया जा रहा है कि चीन के साथ सुरक्षा समझौते को लेकर सोलोमन द्वीप समूह के विदेश मंत्री जेरेमी मनेले से ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री मारिस पायने ने पहली बार मुलाकात की। इस दौरान ऑस्ट्रेलिया ने सोलोमन द्वीप समूह के विदेश मंत्री को अपनी चिंताओं से अवगत कराया। ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री मारिस पायने ने कहा कि उन्होंने पूर्वी तटीय शहर ब्रिस्बेन में सोलोमन द्वीप के विकास योजना एवं सहायता समन्वय मंत्री जेरेमी मनेले से मुलाकात की।
इसी कड़ी में आस्ट्रेलिया के विदेश मंत्री के कार्यालय ने एक बयान जारी कर साफ किया कि ऑस्ट्रेलिया ने हमेशा से ही सोलोमन द्वीप की संप्रभुता और उसके निर्णय लेने की स्वतंत्रता का सम्मान किया है। हालांकि, हमने चीन के साथ हुए सुरक्षा समझौते में पारदर्शिता की कमी सहित अपनी अन्य चिंताओं से उनके नेताओं को अवगत कराया है। इस बयान में आगे यह भी कहा गया कि दोनों नेताओं ने इस बात पर सहमति जताई है कि ऑस्ट्रेलिया सोलोमन द्वीप समूह का मजबूत और भरोसेमंद सुरक्षा भागीदार बना रहेगा और सोलोमन द्वीप ऑस्ट्रेलिया के पूर्वोत्तर तट से 2,000 किलोमीटर से कम दूरी पर किसी विदेशी सैन्य अड्डे को स्थापित करने की अनुमति नहीं देगा।
गौरतलब है कि अभी कुछ दिन पहले एक रिपोर्ट सामने आई थी जिसमें कि दावा किया गया था कि चीन चुपके से सोलोमन द्वीप के साथ एक सीक्रेट डिफेंस डील कर लिया है, जहां इस समझौते के बारे में कहा जा रहा था कि चीन अब सोलोमन द्वीप पर अपना सैन्य अड्डा बना सकता है। जहां इस समझौते का सबसे ज्यादा बुरा असर ऑस्ट्रेलिया के ऊपर पड़ता,क्योंकि इस समझौते के कारण चीन को सोलोमन द्वीप में सैन्य अड्डा स्थापित करने की छूट मिल जाती जो कि प्रशांत महासागर के इलाके में चीन का यह पहला सैन्य अड्डा होता। जैसे ही ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका को चीन के इस हरकत के बारे में मालूम हुआ,बिना देर किये ये देश सक्रिय हो गए,और चीन के इस मिशन को झटका देने के लिए अपने एक प्रतिनिधिमंडल को सोलोमन द्वीप भेजे। जहां अब सोलोमन द्वीप की तरफ से साफ कर दिया गया कि उसके इलाकें में चीन का कोई भी सैन्य अड्डा नहीं बनेगा,सोलोमन के इस ऐलान के बाद,चीन का मिशन पूरी तरह से नाकाम हो गया,जिसे चीन की बड़ी हार के तौर पर देखा जा रहा है।