फाईल फोटो, साभार- (सोशल मीडिया)
कीव/मॉस्को। पिछले 17 दिनों से रूसी फौज पूरी ताकत के साथ यूक्रेन के कई हिस्सों पर लगातार हमला जारी रखे हुई है,फिर भी रूसी फौज अभी भी कीव को टारगेट करने में सफल नहीं हो सकी,जिस वजह से गुस्साए व्लादिमीर पुतिन ने सेना के आठ मिलीट्री कमांडरों को तत्काल बर्खास्त कर दिया है। बताया जा रहा है ये सभी रूसी कमांडर यूक्रेन के पूर्वी और दक्षिणी फ्रंट पर तैनात थे।
दरअसल,मॉस्को को विश्वास था कि रूसी फौज दो-तीन दिनों में यूक्रेन पर जीत हासिल कर लेगी,अफसोस अभी तक ऐसा नहीं हुआ। इसीलिए रूस ने एक बार फिर यूक्रेन के पश्चिमी क्षेत्रों पर पूरे आक्रमित तरीके हमला शुरू कर दिया हैं।
वहीं,इसी कड़ी में अमेरिका में मौजूद रूसी राजदूत वेजली नेबेनजाया के हवाले से दावा किया गया है कि अमेरिका की मदद से यूक्रेन में लगभग 30 बायो वेपन प्रोग्राम चल रहे हैं। यूक्रेन की साजिश है कि चमगादड़ों और अन्य प्रवासी पक्षियों के जरिए रूस में बीमारियों के वायरस फैलाना चाहता है।
जिस वजह से रूस ने इस गंभीर मुद्दे पर चर्चा के लए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक बैठक भी बुलाई है।
उधर,रूस के इस कथित आरोप के क्रम में अमेरिका द्वारा इस आरोप पर साफ किया गया है कि यह आरोप मनगढ़न्त है,इसी के साथ अमेरिका ने चेताते हुए यह भी कहा है कि रूस चेर्नोबिल पटमी प्लांट पर छल करके हमला कर इसकी आड़ में यूक्रेन पर केमिकल हथियारों से हमला कर सकता है।
वहीं एक अन्य रिपोर्ट में यह कहा जा रहा है कि इस युद्ध में रूस को भी भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है। जिसके कारण वह भारी आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है।
वहीं इसी कड़ी में वाॅर फ्रंट से शुक्रवार को रूस के लिए एक बुरी खबर सामने आई है,जिसमे बताया जा रहा है कि खारकीव के पास जारी संघर्ष में रूसी मेजर जनरल आंद्रे कोलेसनिकोव की मौत हो गई। इससे पहले भी रूसी मेजर जनरल विटाली गेरासिमोव और मेजर जनरल आंद्रे सुखोवेस्ती भी मारे जा चुके हैं। फिलहाल,कीव पर फतह करने के लिए रूसी फौज अब कीव को कई तरफ से घेरते हुए आगे बढ़ रही है।
वहीं रूस के लिए एक और बुरी खबर सामने आई है, जिसमें दावा किया गया है कि चीन ने रूस को विमानों के कलपुर्जे देने से इनकार किया है। बता दें कि बाेइंग के प्रतिबंध के बाद रूस के पास विमानों के पार्ट्स नहीं हैं।
यानि अब साफ संकेत मिल रहा है कि चीन अब मॉस्को को सीधे मदद देने से बचने की कोशिश कर रहा है,जिसका सीधा अर्थ है कि रूस के उम्मीदों पर अब बीजिंग पानी फेर रहा है।