एक्सक्लूसिव रिपोर्ट

1971 की जंग में पाकिस्तानी सेना द्वारा जारी किये गये मौत की सजा का वारंटी कर्नल को भारत ने आज किया सम्मानित – चंद्रकांत मिश्र/नित्यानंद दूबे


भारतीय टैंक (फाईल फोटो)

नई दिल्ली। भारत ने आज पहली बार राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के नेतृत्व में बांग्लादेश के दो ऐसे शख़्सीयतों को पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया है,जो कि बांग्लादेश के निर्माण में पाकिस्तान के जड़ में मट्ठा डालने का काम किये थे,मतलब 1971 की जंग में बांग्लादेश के तरफ से इन दोनों शख़्सीयतों ने बहुत बड़ा रोल किया था,अफसोस जिस सम्मान को बहुत पहले दिया जाना चाहिए था वह आज दिया गया है। बताते चले कि सोमवार को राष्ट्रपति भवन में चर्चित हस्तियों को पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है,इस समारोह में विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट काम करने वाली हस्तियों को सम्मानित किया गया। इस बार दो वर्षों के पुरस्कार दिए जा रहे हैं। इसमें वर्ष 2020 के लिए सोमवार को 141 लोगों को पद्म पुरस्कार दिए गए जबकि 2021 के लिए मंगलवार को 119 लोगों को पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया जाएगा।

भारतीय युद्धपोत (फाईल फोटो)

उल्लेखनीय हैं कि भारत ने पहली बार बांग्लादेश की दो शख्सियतों को पद्म पुरस्कार से सम्‍मानित किया है। इनमें भारत में पूर्व उच्चायुक्त सैयद मुअज्जम अली और 1971 युद्ध के नायक कर्नल काजी सज्जाद अली जहीर शामिल हैं। सैयद मुअज्जम अली को साल 2020 के लिए भारत के तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया गया जबकि कर्नल काजी सज्जाद अली जहीर को साल 2021 के पद्म श्री पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया। मुअज्जम अली को मरणोपरांत पद्म भूषण से सम्मानित किया गया है।

भारतीय फाइटेर एअरक्राफ्ट (फाईल फोटो)

बताया जाता है कि सैयद मुअज्जम अली जो कि भारत में बांग्लादेशी राजनयिक थे,इन्होंने पाकिस्तानी सरकार के खिलाफ विद्रोह किया था और सन 1971 में वहां पाकिस्तान दूतावास में सेवा करते हुए बांग्लादेश के प्रति अपनी निष्ठा की घोषणा कर दी थी। उन्होंने बांग्लादेश के विदेश सचिव के रूप में भी काम किया था।

भारतीय फाइटेर एअरक्राफ्ट (फाईल फोटो)

इसी क्रम में कर्नल काजी सज्जाद अली जहीर को सन 1971 के युद्ध में नायक के तौर पर जाना जाता है इनके बारे में कहा जाता है कि कर्नल सज्जाद ने 1971 के जंग दौरान पूर्वी पाकिस्तान (जो अब बांग्‍लादेश है) के लोगों पर पाकिस्तानी फौज बड़े जुल्म ढा रही थी तो पाकिस्‍तान की इस बर्बर कार्रवाई को देखते हुए कर्नल सज्जाद ने भारतीय सेना से संपर्क किया था और परिणाम स्वरूप भारत ने तीन दिसंबर 1971 को पाकिस्तानी सेना के अधीन पूर्वी पाकिस्तान पर हमला कर दिया जहां 93 हजार सैनिकों के साथ पाकिस्तानी सेना के तत्कालीन लेफ्टिनेंट जनरल नियाजी ने भारतीय फौज के आगे सरेंडर कर दिया था,जिसके बाद पाकिस्तान से पूर्वी पाकिस्तान अलग हो गया जो कि अब बांग्लादेश कहलाता है।

कहते हैं कि कर्नल काजी सज्जाद अली जहीर साल 1969 के अंत में पाकिस्तानी सेना में शामिल हुए थे। उनकी नियुक्ति आर्टिलरी कोर में हुई थी। पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में पाकिस्तानी सेना की ओर से की किए जा रहे बर्बर अत्याचारों को देखकर कर्नल काजी सज्जाद अली जहीर देश छोड़कर भारत पहुंच गए। कर्नल काजी सज्जाद अली जहीर ने तब भारतीय सेना से संपर्क स्थापित किया और साल 1971 के युद्ध में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई,तब पाकिस्तानी सेना ने उनके खिलाफ मौत की सजा का वारंट जारी किया था जो आज तक जारी है।

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