
भारत के टाॅप कमांडों फोर्स के जवान, सांकेतिक तस्वीर।
अंकारा/इस्लामाबाद। भारत के खिलाफ हमेशा खूनी सजिश रचने वाली पाकिस्तानी खुफिया ऐजेंसी की नई दिल्ली के खिलाफ तुर्की की जमीन से एक और घातक साजिश रचने की रिपोर्ट सामने आई है। जिसमें भारतीय इंटेलीजेंस ऐजेंसी के हवाले से कई मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया है कि पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा की शाखा द रेसिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) की तरफ से पिछले कुछ दिनों में जम्मू कश्मीर में स्थित जर्नलिस्ट्स के बीच योजनाबद्ध तरीके से खौफ पैदा करने की हरकतों को अंजाम दिया जा रहा है। बता दे कि इस खूनी साजिश में हाल ही में क्रमवार तरीके से करीब 20 मीडियाकर्मियों को मारा जा चुका है। इंडियन ऐजेंसियों के सूत्रों का कहना है कि यह हरकत आतंकी संगठन टीआरएफ की है,जो कि बेहद योजनाबद्ध तरीके से दुश्मन ऐजेंसी के निर्देश पर कर रहा है।
बताया जा रहा है कि घाटी के पत्रकारों के नाम कई धमकी भरे खत लिखे जा रहे हैं और मीडिया हाउसेज को कश्मीर की असलियत न बताने के लिए धमकाया जा रहा है। इतना ही नहीं इस साजिश में तुर्की भी भूमिका सामने आई है। दरअसल,दावें में कहा गया है कि भारत विरोधी ऐसे पत्रकारों और नागरिकों को तुर्की में शरण दिया जा रहा है जो घाटी के युवाओं को ब्लॉग के जरिए बरगला सकते हैं। आईएसआई के कहने पर तुर्की अब भारत विरोधी मिशन में जुट गया है।
हालांकि,तुर्की हमेशा भारत विरोधी गतिविधियों के लिए बदनाम रहा है।
दरअसल,रिपोर्ट्स में बताया गया है कि पाकिस्तान से ऑपरेट हो रहे एक ब्लॉग कश्मीर में स्थित जर्नलिस्ट्स और एक्टिविस्ट्स के खिलाफ कैंपेन चला रहा है। जब भारतीय ऐजेंसियों ने इसकी जांच की तो पता चला कि इस ब्लॉग को कश्मीर के पूर्व नागरिक मुख्तार बाबा चलाता है। मुख्तार बाबा अब एक आतंकी है और कभी वह एक रिसेप्शनिस्ट हुआ करता था। कुछ समय तक उसने एक पब्लिक रिलेशन एजेंसी, ‘कश्मीर मीडिया पीआर और कश्मीर इवेंट्स’ भी शुरू की थी। एजेंसी कुछ ज्यादा चल नहीं सकी और मुख्तार ने दूसरा रास्ता अपना लिया। मुख्तार ने एक और जर्नलिस्ट के साथ मिलकर न्यूज पोर्टल की शुरुआत की। इस न्यूज पोर्टल के जरिए मुख्तार बाबा ने सबसे पहले जेएंडके बैंक के खिलाफ एक कैंपेन चलाया। मुख्तार को बैंक की तरफ से जब एडवरटाइजमेंट देने से मना कर दिया गया तो वह काफी नाराज हो गया।
मुख्तार बाबा के बारे में कहा गया है कि यह सन् 1990 में फिलीस्तीन के आतंकी संगठन हिजबोल्ला का सदस्य भी रह चुका है। मुख्तार ने अपने प्रतिद्वंदी आतंकी संगठनों को एके असॉल्ट राइफल्स तक बेचीं जिस वजह से उसे संगठन से बाहर कर दिया गया। साल 2010 में उसने कश्मीरी अलगवावादी मसरत आलम के साथ हाथ मिला लिया। इस साल घाटी में पहली बार पत्थरबाजी हुई और गर्मियों में बड़ा विरोध प्रदर्शन हुआ। दो बार शादी कर चुके मुख्तार साल 2017 से रेस्टोरेंट्स में कई जर्नलिस्ट्स के साथ मुलाकात करने लगा और उन्हें आजादी के बारे में उपदेश देता। ऐजेंसियों का कहना है कि तुर्की ने मुख्तार जैसे कई लोगों को आईएसआई के कहने पर शरण दी हुई है। इस बीच मुख्तार 10 बार तुर्की से पाकिस्तान जा चुका है।
चूंकि,आईएसआई के लिए तुर्की से बेहतर जगह कोई और नहीं हो सकती है। सूत्रों की मानें तो यूरोप जैसे माहौल में ऑपरेट करना और फिर अपनी गतिविधियों से किनारा करना उसके लिए काफी आसान काम है। एर्दोगन के पास भी घरेलू राजनीतिक माहौल है और अब उन्हें अपना कद बड़ा करने के लिए दूसरे देशों की जरूरत है। इंटेलीजेंस सूत्रों की मानें तो एर्दोगन कई बार कश्मीर का जिक्र कर चुके हैं। साल 2019 में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कश्मीर का मसला उठाया और इसे नजरअंदाज करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय की आलोचना की।
इससे पहले तुर्की ने कई कश्मीरी मुसमलान छात्रों को विशेष सुविधाएं दी हुई हैं। कश्मीर के कुख्यात अलगाववादी नेता रहे सैयद अली शाह गिलानी की बेटी अंकारा से हिंदू और भारत विरोधी प्रपोगेंडे वाली वेबसाइट को चला रही है। कई कश्मीरी छात्र अंकारा में शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ाई कर रहे हैं। आईएसआई इन छात्रों तक पहुंच कर उन्हें भारत के खिलाफ भड़काने में लगी है। जिससे यह साफ हो जाता है कि भारत के खिलाफ जितनी पाकिस्तानी ऐजेंसी की भूमिका है उससे कम भूमिका तुर्की की नहीं है। हालांकि,भारत के खिलाफ तुर्की हमेशा से ही विरोध का विचार रखता रहा है। फिलहाल, भारतीय ऐजेंसियां दुश्मन के सभी गतिविधियों पर बारीकी से नजर बनाये हुई है।
