सांकेतिक तस्वीर।
नई दिल्ली/तेहरान। दुश्मन की एक पनडुब्बी और एक नेवल वेसल को हाल में ही ईरानी बंदरगाह पर देखे जाने की रिपोर्ट सामने आई है,दावा किया जा रहा है कि यह पनडुब्बी ईरान के बंदर अब्बास बंदरगाह पर कई दिनों तक खड़ी रही। बता दे कि बंदर अब्बास बंदरगाह फारस की खाड़ी में होर्मुज जलडमरूमध्य के करीब स्थित है। इसे वैश्विक ट्रेड रूट में काफी अहम माना जाता है। भारत भी इसी बंदरगाह के जरिए रूस से नया व्यापारिक रूट शुरू किया है। ऐसे में पाकिस्तानी नौसेना की पनडुब्बी के इस बंदरगाह पर मौजूदगी ने भारत की चिंता बढ़ा दी है।
दरअसल,पाकिस्तान शुरू से ही इस ट्रेड रूट पर अपनी नौसेना की पकड़ बनाकर रखना चाहता था, लेकिन ईरान के साथ संबंधों में कड़वाहट ने अभी तक उसे रोक रखा था। अब ईरान अमेरिकी प्रतिबंधों को कमजोर करने के लिए नए दोस्त बनाने की कोशिश में है। आशंका है कि ईरान ने पाकिस्तानी नौसेना की पनडुब्बियों को अपने बंदरगाह के इस्तेमाल की इजाजत दी है। वहीं,भारतीय ऐजेंसियां पूरी तरह से चौकन्नी है।
इस पाकिस्तानी पनडुब्बी का नाम PNS-हशमत बताया जा रहा है। जो कि फ्रांसीसी मूल की अगोस्ता क्लास की पनडुब्बी है। इस पनडुब्बी को फ्रांस ने दक्षिण अफ्रीका के लिए बनाया था, लेकिन संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों के कारण मजबूरी में पाकिस्तान को बेचना पड़ा था। यह पनडुब्बी 1979 से हीं पाकिस्तानी नौसेना में तैनात है। इसकी लंबाई 67 मीटर और बीम 6 मीटर का है। यह पनडुब्बी 22 किलोमीटर प्रति घंटा और पानी के अंदर 37 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चल सकती है। पीएनएस हशमत की रेंज 13700 किलोमीटर तक है।
चूंकि,बंदर अब्बास ईरान का एक प्रमुख व्यापारिक और नौसैनिक बंदरगाह है। ईरानी नौसेना इसी बंदरगाह के जरिए फारस की खाड़ी पर नजर रखती है। भारत इस बंदरगाह के जरिए रूस से नया व्यापारिक मार्ग खोले हुए है। यूक्रेन युद्ध के शुरू होने के बाद भारत ने अंतरराष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन कॉरिडोर (INSTC) का इस्तेमाल कर रूस से व्यापार के समय को लगभग आधा कर लिया है। यह नया ट्रेड रूट 7200 किलोमीटर लंबा है। इसने पाकिस्तान और अफगानिस्तान को बॉयपास कर दिया है। इस कारण अगर पाकिस्तानी नौसेना की पनडुब्बी इस बंदरगाह पर पहुंचती है तो इससे भारत के हितों को नुकसान हो सकता है।
फिलहाल,दुश्मन के इस मूवमैंट को भारतीय ऐजेंसियां बेहद गंभीरता से देख रही है,यहीं कारण है कि भारत पहले से कही अधिक सतर्क हो गया है। हालांकि, अभी तक यह साफ नहीं हो सका है कि दुश्मन की पनडुब्बी किस सीक्रेट मिशन के तहत वहां पहुंची थी ? लेकिन इतना जरूर है कि भारत अब इस रूट पर अपनी अतिरिक्त सतर्कता बढ़ा दिया है। वहीं, इस घटना पर अभी तक तेहरान ने अपनी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है और ना ही नई दिल्ली ने।