मॉस्को/नियामी। रूस-यूक्रेन जंग के बीच अब अफ्रीकी देशों में भी जंगी तनातनी बढ़ती दिख रही है। दरअसल,नाइजर में तख्तापलट करने वाली सेना (जुंटा) को अब दूसरे अफ्रीकी देशों की ओर से हमले का डर है। यही कारण है कि अब नाइजर की जुंटा ने रूस से के वैगनर ग्रुप की मदद मांगी है। चूंकि,एक रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि नाइजर (जुंटा) को पश्चिमी अफ्रीकी देशों के क्षेत्रीय ब्लॉक ने राष्ट्रपति को रिहा न करने पर सैन्य हस्तक्षेप की धमकी दी है।
रिपोर्ट में आगे भी कहा गया है कि अगर वैगनर समर्थन देता है तो सत्ता में बने रहने के लिए यह जुंटा के लिए गारंटी जैसा होगा। रिपोर्ट के मुताबिक एक पश्चिमी सैन्य अधिकारी ने भी ऐसी खबरों की पुष्ट की है। नाइजर की जुंटा को लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित राष्ट्रपति मोहम्मद बजौम को रिहा करने और उनका शासन बहाल करने के लिए ECOWAS नाम के क्षेत्रीय ब्लॉक ने रविवार तक का समय दिया है। ECOWAS सदस्य देशों के रक्षा प्रमुखों ने तख्तापलट में हस्तक्षेप करने की योजना को शुक्रवार को अंतिम रूप दिया।
दरअसल,गुरुवार को नाइजर में एक मध्यस्थता टीम भेजी गई थी,लेकिन उन्हें जुंटा नेता जनरल अब्दुर्रहमान त्चियानी से मिलने की इजाजत नहीं दी गई। इस बीच माली की यात्रा के दौरान सलीफौ मोडी ने सैन्य हस्तक्षेप के खिलाफ चेतावनी दी और कसम खाई कि नाइजर नया लीबिया न बनने के लिए हर संभव कदम उठाएगा। नाइजर को क्षेत्र के पश्चिम के आखिरी विश्वसनीय आतंकवाद विरोधी सहयोगी के रूप में देखा जाता रहा है,जहां हाल के वर्षों में तख्तापलट आम रहा है। जुंटा को हाल के दिनों में रूस के करीब जाते हुए देखा गया है। वैगनर ग्रुप माली सहित कुछ अफ्रीकी देशों में काम करता है,जहां मानवाधिकार समूहों की ओर से इसपर गंभीर आरोप लगते रहे हैं। हाल ही में जब नाइजर में तख्तापलट हुआ तो आम लोगों ने रूस के झंडे लहराए।
वहीं,फ्रांस के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता एनी क्लेयर लिजेंड्रे के हवाले से यह कहा गया है कि कोई यह नहीं कह सकता कि तख्तापलट में सीधे तौर पर रूस का हाथ है। लेकिन रूस के लिए यह बड़ा मौका है। वह जहां भी अस्थिरता पाता है वहां मौका तलाशने लगता है। उन्होंने वैगनर को अराजकता का नुस्खा बताया। फिलहाल, अफ्रीका में जारी राजनैतिक उठा-पठक से अमेरिका और यूरोप बौखलाये हुए हैं, क्योंकि ये देश यहां लंबे समय से जमे हुए थे, लेकिन रूस अब इन्हें यहां से खदेड़ने के मिशन पर लगातार सक्रिय है।