सांकेतिक तस्वीर।
नियामे। अफ्रीका में जारी भीषण जंगी तनातनी के बीच नाइजर ने देश के हवाई क्षेत्र को अगली सूचना तक अनिश्चित काल के लिए बंद कर दिया है। यह कदम एक क्षेत्रीय गुट की उस चेतावनी के बाद उठाया गया,जिसमें कहा गया था कि अगर राष्ट्रपति मोहम्मद बज़ौम को बहाल नहीं किया गया तो बल प्रयोग हो सकता है। इस बीच कुछ विदेशी मीडिया समूहों ने सोमवार को यह जानकारी दी है कि उड़ान ट्रैकिंग वेबसाइट फ्लाइटरडार24 के अनुसार, नाइजर के आसमान में फिलहाल कोई विमान नहीं है।
बता दे कि बीते 4 अगस्त को एक बैठक के बाद नाइजीरिया, सेनेगल, टोगो और घाना सहित 15 पश्चिम अफ्रीकी देशों (ECOWAS) ने घोषणा की थी कि अगर 6 अगस्त को रात 11 बजे तक बज़ौम को सत्ता नहीं सौंपी गई तो बल प्रयोग हो सकता है। लेकिन सोमवार की सुबह तक नाइजर के तख्तापलट नेताओं ने सत्ता छोड़ने की इच्छा का कोई संकेत नहीं दिखाया। रविवार को उनके हजारों समर्थकों ने देश की राजधानी नियामे के एक स्टेडियम में रैली की। मालूम हो कि बज़ौम को 26 जुलाई को हिरासत में लिया गया था, और राष्ट्रपति गार्ड के कमांडर जनरल अब्दुर्रहमान त्चियानी ने बाद में खुद को नया नेता घोषित किया।
वहीं,चेतावनी के जवाब में, सैन्य जनता के प्रवक्ता ने कहा कि नाइजर के सशस्त्र बल देश की रक्षा के लिए तैयार हैं। सैन्य अधिग्रहण की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा की गई है, जिसमें पूर्व औपनिवेशिक शक्ति फ्रांस, यूरोपीय संघ, संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका शामिल है। इस बीच, नीजर के दो पड़ोसी देश बुर्किना फासो और माली ने पहले चेतावनी दी थी कि वे नाइजर में किसी भी बाहरी सैन्य हस्तक्षेप को उनके खिलाफ ‘युद्ध की घोषणा’ के रूप में मानेंगे।
इस बीच जनरल अब्दुर्रहमान के एक प्रवक्ता ने कहा कि ECOWAS के हमले के खतरे को देखते हुए हमले के खतरे को देखते हुए एयरस्पेस को बंद कर दिया गया है। किसी भी विमान को अनुमति नहीं दी जा रही है। उन्होंने कहा कि अब हमले का खतरा स्पष्ट होता जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि नाइजर की सेना जनता के पूरे समर्थन के साथ अपने क्षेत्र की रक्षा करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। चूंकि, ECOWAS को फ्रांस और अमेरिका ने भी समर्थन देने का ऐलान किया है।
दरअसल,इस सैन्य तख्तापलट को रूस का समर्थन हासिल है,यही कारण है तख्तापलट के दौरान यहां के नागरिकों ने रूसी झंडों के साथ प्रदर्शन किया। जिससे अब अमेरिका और फ्रांस इसे रूसी चुनौती मानते हुए सीधे जंग के मैदान में उतरने का फैसला किया है। इतना ही नहीं जंगी तैयारियां भी शुरू कर दी गई है। वहीं, रूस भी कमर कस चुका है, जबकि इससे पहले इस जंगी आहट के बीच वेगनर लड़ाकों की मांग की गई थी। फिलहाल, वैगनर फोर्स की सप्लाई के संबंध में अभी तक क्रेमलिन की तरफ से कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की गई है। लेकिन हालात भीषण जंग का बनता ही जा रहा है।