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पाकिस्तान में हिंदुओं के बाद अब ईसाइयों के उपर आफत,मासूम बच्ची का अपहरण व धर्मपरिवर्तन के बाद जबरन निकाह -राजेंदर दूबे (स्पेशल एडिटर)

इस्‍लामाबाद
पाकिस्‍तान में पिछले साल 25 जून को ईसाई बच्‍ची फातिमा (बदला हुआ नाम) का फैसलाबाद स्थित उसके घर से अपहरण कर लिया गया था। फातिमा के पिता और परिवार के अन्‍य सदस्‍यों के सामने उसका अपहरण कर लिया गया था लेकिन वो लोग कुछ नहीं कर सके। अपहरण करने वालों ने चेतावनी दी थी कि उन्‍होंने फातिमा को फिर से पाने की कोशिश की तो उन्‍हें पछताना पड़ेगा। फातिमा को जबरन इस्‍लाम कबूल कराया गया है और उसकी शादी भी अपहरण करने वाले से ही जबरन कर दी गई है।
फातिमा के पिता पास के पुलिस स्‍टेशन गए ताकि अपराध के बारे में एफआईआर दर्ज करा दी जाए। परिवार वालों ने एक अपहरण करने वाले का नाम भी बताया लेकिन पुलिस ने उनकी कोई मदद नहीं की। पुलिसकर्मियों ने फातिमा के पिता को न केवल सहयोग देने से मना कर दिया बल्कि उन्‍हें धक्‍का देकर गाली भी दी। काफी प्रयासों के बाद पुलिस ने तीन महीने बाद केस दर्ज किया।

अपहरण करने वालों ने गुलामों जैसा व्‍यवहार किया
केस दर्ज करने के बाद भी फैसलाबाद पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। बच्‍ची को उसके घर से 110 किमी दूर ले जाया गया और उसके साथ बलात्‍कार किया गया। अपहरण करने वालों ने उसके साथ गुलामों जैसा व्‍यवहार किया। बच्‍ची ने बताया कि ज्‍यादातर समय उसे जंजीरों से बांधकर रखा जाता था और उसे अपहरण करने वाले के घर को साफ करने के लिए कहा गया था।

पाकिस्‍तान की कुल आबादी में एक प्रतिशत ईसाई हैं जिनकी तादाद करीब 20 लाख है। मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि हर साल 1000 ईसाई, हिंदू और सिख लड़कियों का अपहरण किया जाता है। इन लड़कियों में से ज्‍यादातर को इस्‍लाम अपनाने के लिए मजबूर किया जाता है। इसकी वजह यह है कि यह पाकिस्‍तान में माना जाता है कि शरिया कानून के मुताबिक अगर लड़का और लड़की 16 साल के हैं तो उनकी शादी हो सकती है। इसी वजह से फातिमा का धर्म परिवर्तन किया गया।

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