चीनी सेना यानी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी रॉकेट फोर्स (पीएलएआरएफ) अक्सर बैलिस्टिक मिसाइल, उम्दा व आधुनिक पारंपरिक और परमाणु हथियार रखने का दावा करती है। विस्तारवादी नीति का अनुसरण करने वाले ड्रैगन ने अपनी सेना को अलग-अलग मोर्चों पर मजबूत बनाने के लिए कई तरह के आधुनिक हथियारों को अपने बेड़े में शामिल किया है। कुछ मामलों में चीन ने अच्छी-खासी बढ़त भी बना ली है। वहीं इस बीच खबरें आ रहीं हैं कि चीन की मिसाइल इंडस्ट्री पर इन दिनों संकट के बादल छाए हुए हैं।
दुनिया में हर जगह अपनी सैन्य ताकत का दिखावा करने वाला चीनी सेना यानी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी रॉकेट फोर्स (पीएलएआरएफ) सभी तरह के हथियार होने का दावा करती है, जिसमें पारंपरिक और परमाणु-युक्त हथियार शामिल हैं। ये फोर्स सेना है, जिसका अपना शस्त्रागार है। पीएलएआरएफ को मिसाइलों और इससे जुड़े सामान के लिए अलग से बनाया गया है, लेकिन ड्रैगन जो तस्वीर दिखाने की कोशिश कर रहा है। हकीकत उसके एकदम विपरीत है।
मैक्सवेल एयरफोर्स बेस पर स्थित चाइना एयरोस्पेस स्टडीज इंस्टीट्यूट (सीएएसआई) ने एक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट का शीर्षक- ‘चाइन की बैलिस्टिक मिसाइल इंडस्ट्री’ है। इस रिपोर्ट के लेखक एलेक्स स्टोन और पीटर वुड ने उन चुनौतियों का अध्ययन किया है, जिनका समाना चीन की मिसाइल इंडस्ट्री को करना पड़ रहा है।
चीनी के मिसाइल इंडस्ट्री सामने खड़ी हुईं ये समस्याएं
रिपोर्ट के मुताबिक, चीन की बैलिस्टिक मिसाइल इंडस्ट्री बीते 20 साल में काफी आधुनिक हुई है, लेकिन फिर भी चीन समग्र रॉकेट विकास के मामले में अपने प्रतिस्पर्धियों से बहुत पीछे है। चीन की बैलिस्टिक मिसाइल उद्योग की तस्वीर काफी मिलीजुली है। मिसाइलों के विकास में अब भी संरचनात्मक और तकनीकी समस्याएं बनी हुई हैं। चीन का आर्थिक विकास भी एक तरह से विनिर्माण उद्योग के लिए चुनौती बन रहा है।
मिसाइलें बनाने में आ रहीं तकनीकी बाधाएं
विनिर्माण में तेज गति को अधिक महत्व दिया जा रहा है, जिसके कारण तकनीकी बाधाएं दिखना आम बात हो गई है। रिपोर्ट में पता चला है कि हथियार बनाने वाली कंपनियों में बार-बार बदलाव किया गया है, जिसके चलते इसके भीतर ही पनपी परेशानियां मिसाइल उद्योग के लिए बाधा बन रही हैं यानी बैलिस्टिक मिसाइल का विकास जैसा पहला था, वैसा ही अब भी बना हुआ है, जिन संस्थानों में परिवर्तन से उसपर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा है।