एक्सक्लूसिव रिपोर्ट

भारत के विदेश मंत्री के बयान पर चिढ़ा ड्रैगन,भारत को बताया अतिक्रमणकारी – राकेश पांडेय (स्पेशल एडिटर)

पेइचिंग
चीन ने विदेश मंत्री एस जयशंकर के कतर इकनॉमिक फोरम में दिए गए बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। चीनी विदेश मंत्रालय ने साफ शब्दों में भारत को अतिक्रमणकारी देश तक करार दिया है। ऐसे बयानों को देखते हुए लद्दाख में जारी तनाव कम होता दिखाई नहीं दे रही है। सैनिकों की तैनाती को लेकर दोनों देशों के बीच सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर कई दौर की वार्ता भी हो चुकी है। इसके बावजूद पूर्वी लद्दाख के कई क्षेत्रों में दोनों देशों की सेनाएं आज भी आमने-सामने तैनात हैं।

चीन ने भारत पर लगाया अतिक्रमण का आरोप
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने विदेश मंत्री एस जयशंकर के बयान के जवाब में कहा कि भारत-चीन सीमा से लगे पश्चिमी क्षेत्र में चीनी सैनिकों की तैनाती सामान्य रक्षा व्यवस्था है। यह व्यवस्था संबंधित देश द्वारा चीन के क्षेत्र के खिलाफ अतिक्रमण या खतरे को रोकने के लिए की गई है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत लंबे समय से सीमा पर सैनिकों की तैनाती बढ़ाकर हमारे क्षेत्रों का अतिक्रमण कर रहा है।

सीमा तनाव को द्विपक्षीय संबंधों से अलग कर रहा चीन
उन्होंने भारत के अतिक्रमण को सीमा पर तनाव का असली कारण बताया। हमें सीमा मुद्दे को शांतिपूर्ण तरीके से देखना चाहिए और हमें नहीं लगता कि सीमा मुद्दे को हमारे द्विपक्षीय संबंधों से जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने इस तनाव को बातचीत के जरिए सुलझाने की उम्मीद भी जताई।

जयशंकर ने क्या कहा था?
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कतर इकनॉमिक फोरम को संबोधित करते हुए कहा था कि भारत के साथ विवादित सीमा पर चीन की सैन्य तैनाती और बीजिंग सैनिकों को कम करने के अपने वादे को पूरा करेगा या नहीं, इस बारे में अनिश्चितता दोनों पड़ोसियों के संबंधों के लिए चुनौती बनी हुई हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद से संबंधित व्यापक विषय यह है कि क्या भारत और चीन आपसी संवेदनशीलता और सम्मान पर आधारित संबंध बना सकते हैं और क्या पेइचिंग सीमावर्ती क्षेत्र में दोनों पक्षों के किसी बड़े सशस्त्र बल को तैनात नहीं करने की लिखित प्रतिबद्धता का पालन करेगा।
चीन और पाकिस्तान के द्विपक्षीय युद्धाभ्यास के दौरान दोनों देशों के लड़ाकू विमान हवा से हवा, हवा से जमीन और हवा से पानी में मिसाइल दागने और लक्ष्य को बर्बाद करने का अभ्यास कर रहे हैं। तिब्बत में पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों की मौजूदगी बेहद खास मानी जा रही है। अमूमन यह देखा जाता है कि कोई भी देश किसी दूसरे देश के साथ युद्धाभ्यास के दौरान उस क्षेत्र में उड़ान नहीं भरता जो विवादित हो। तिब्बत के कई इलाके भारत और चीन के बीच विवादित हैं, फिर भी पाकिस्तान इस इलाके में युद्धाभ्यास कर रहा है। उसके लड़ाकू विमान भारतीय वायुसीमा से कुछ ही दूरी पर उड़ान भर रहे हैं।
चीन और पाकिस्तान के संयुक्त युद्धाभ्यास के लिए तिब्बत को चुने जाने पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। तिब्बत सामरिक रूप से काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। चीन ने छल से बौद्ध बहुल इस इलाके पर अपना कब्जा जमाया हुआ है। यह इलाका भारत के पूर्वी लद्दाख से सटा हुआ है। पिछले एक साल से यह पूरा क्षेत्र भारत और चीन के बीच विवाद का केंद्र बना हुआ है। यही कारण है कि पाकिस्तान और चीन ने भारत को उकसाने के लिए इस इलाके को चुना है। पाकिस्तान की चाल यह है कि वह कश्मीर के पूर्व में अपनी उपस्थिति दिखाकर खुद को ताकतवर होने और चीन को अपना दोस्त बताने का प्रयास कर रहा है।
पाकिस्तान यह जानता है कि वह किसी भी सूरत में बिना चीन की मदद के भारत के साथ जंग नहीं लड़ सकता। ऐसे में पाकिस्तान को चीन की जरूरत है। वहीं चीन भी जानता है कि बिना पाकिस्तान के वह भारत को ज्यादा नहीं दबा सकता है। इसलिए, ड्रैगन ने भी मौका देखकर अपने दोस्त को भारत के खिलाफ तैयारियों के लिए विवादित क्षेत्र में आमंत्रित किया है। पाकिस्तान ने भी इसका बदला चुकाने के लिए चीनी सेना को कई बार पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में आमंत्रित किया हुआ है। चीन की कई कंपनियां भारत के इस क्षेत्र में अवैध रूप से इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण कर रही हैं।
तिब्बत में हाल में ही गर्मी शुरू हुई है। इस इलाके के भयंकर ठंड से बीमार पड़ी चीनी सेना का हौसला बढ़ाने के लिए इस युद्धाभ्यास का आयोजन किया गया है। कई बार ऐसी रिपोर्ट्स आ चुकी है कि भारत के साथ तनाव के दौरान एलएसी पर तैनात किए गए चीनी सैनिक यहां की भीषण और बेरहम मौसम का शिकार हो गए हैं। यही कारण है कि चीनी सेना का हौसला एकदम टूट चुका है। 22 मई से शुरू हुआ यह युद्धाभ्यास जून के आखिरी सप्ताह तक चलेगा। इसमें चीनी ड्रोन और दोनों देशों की कई मिसाइलों को फायर किया जाएगा। इससे पहले 2019 में भी पाकिस्तान और चीन की वायुसेना इसी इलाके में युद्धाभ्यास कर चुकी हैं। तब पाकिस्तान के जे-17 और चीन के जे-10 लड़ाकू विमानों ने हिस्सा लिया था।
इस साल की शुरुआत में ही चीन और पाकिस्तान की वायु सेना ने भारत के सुखोई एसयू-30 एमकेआई विमान को मार गिराने का संयुक्त युद्धाभ्यास किया था। ये दोनों देश जानते हैं कि अकेले में ये राफेल और सुखोई के घातक प्रहार का सामना नहीं कर सकते हैं। इसलिए दोनों ही देश साथ मिलकर जे-10 और जे-11 लड़ाकू विमानों के जरिए भारत की इस घातक जोड़ी का काट खोज रहे हैं। पाकिस्तान में हुए शाहीन युद्धाभ्यास के दौरान चीन के J-10C और J-11B फाइटर जेट्स का इस्तेमाल भारत के राफेल और Su-30 फाइटर जेट्स को रोकने में किया गया। इस दौरान चीन और पाकिस्तान के पायलटो ने राफेल और सुखोई की घातक जोड़ी को मार गिराने के लिए J-10C और J-11B लड़ाकू विमानों के सिमुलेशन में ट्रेनिंग की। सिमुलेशन में पायलट को ठीक वैसी ही स्थिति का आभास कराया जाता है जैसा कि वह उड़ान के दौरान वास्तविक रूप से करता है।

कब शुरू हुआ था लद्दाख में तनाव
पूर्वी लद्दाख में 5 मई, 2020 को चीन और भारत के बीच सैन्य गतिरोध शुरू हुआ था। जिसके बाद 15 जून को 45 साल में पहली बार दोनों पक्षों के सैनिक गलवान घाटी में हिंसक झड़प के दौरान हताहत हुए थे। पैंगोंग झील क्षेत्र से सैनिकों की पूरी तरह वापसी की दिशा में सीमित प्रगति हुई है। दोनों पक्ष अब टकराव के बाकी बिंदुओं पर सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया के लिए वार्ता में लगे हैं। भारत विशेष रूप से हॉट स्प्रिंग्स, गोगरा और देपसांग से सैनिकों की वापसी पर जोर दे रहा है।

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