CDS जनरल विपिन रावत (फाईल फोटो)
चंडीगढ़। पाकिस्तान की खुफिया ऐजेंसी ISI की महिला ऐजेंटो द्वारा भारत के विभिन्न सुरक्षाबलों में हनीट्रैप की घटनाएं लगातार बढ़ती ही जा रही हैं,रिपोर्ट की माने तो पिछले एक साल में देश भर से 200 लोगों को दुश्मन ऐजेंसी ISI के लिए जासूसी करने के आरोपों में गिरफ्तार किया जा चुका है,इस दौरान इन गद्दारों से पूछताछ में एक बात कामन रूप से सामने आई है जिसमें यह साफ हुआ है कि ये सब के सब किसी न किसी महिला ऐजेंटों से जुड़े रहे और इन सभी को ये महिला ऐजेंट इन लोगों को अपने जाल में फंसानें के बाद ब्लैकमेल करते हुए इनसे जबरन देश के विरूद्ध जासूसी करवायी जाती थी।
महाराष्ट्र के पुणे में स्थित सेना की दक्षिणी कमान की मिलिट्री इंटेलिजेंस यूनिट ने हाल ही में ऐसे कई लोगों को देश के विरूद्ध जासूसी करते हुए ट्रैप किया फिर इन्हें हिरासत में लिया गया। बताया जा रहा है कि इस साल सितंबर और अक्तूबर में,आर्मी इंटेलीजेंस ऐजेंसी ने ऐसे 10 मामलों का वर्कआउट किया है,रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2020 में क्रुणाल कुमार बारिया को उसके फेसबुक पर सिदरा खान नाम की एक सुंदर लड़की की फ्रेंड रिक्वेस्ट मिली,फिरोजपुर छावनी में भारतीय सेना के आइटी सेल में तैनात बारिया को जरा भी संदेह नहीं हुआ,
जहां दुश्मन के बिछायें जाल से पूरी तरह से अनजान क्रूणाल उस महिला ऐजेंट के धीरे-धीरे एकदम नजदीक होते चले गए यहां तक की मोबाइल नंबर भी आपस में शेयर कर दिया गया फिर आमना-सामना भी हुआ,जब पूरी तरह से दुश्मन के जाल में फंस गए तब वो दुश्मन ऐजेंट को उसकी डिमांड के अनुसार डिफेंस से जुड़ी गोपनीय रिपोर्ट लीक करने लगा, करीब डेढ़ साल बाद, 23 अक्तूबर, 2021 को पंजाब पुलिस के अमृतसर के स्पेशल ऑपरेशन सेल की एक टीम ने दुश्मन के लिए जासूसी करने के आरोप में बारिया को गिरफ्तार कर लिया, इस दौरान यह भी रिपोर्ट सामने आई कि दुश्मन ऐजेंट ने आरोपी बरिया को इस लीक के बदले दस हजार रुपये भी दी थी।
चीफ आफ आर्मी स्टाफ मनोज नरवणे (फाईल फोटो)
इसी कड़ी में इसी साल सितंबर में सेना की दक्षिणी कमान की इंटेलीजेंस यूनिट ने राजस्थान के झुंझुनूं जिले में स्थित आर्मी कैंप में गैस आपूर्ति करने वाले संदीप को कैंप के भीतर की संवेदनशील तस्वीरों को दुश्मन के हैंडलर को 5 लाख रुपये में बेचने के आरोप में गिरफ्तार किया था।
इसी तरह का एक और हनीट्रैप से जुड़ा एक मामला वर्ष 2018 में भी सामने आया था,दुश्मन की महिला सीक्रेट ऐजेंट जो कि फर्जी नाम’नेहा शर्मा’ और ‘पूजा रंजन’ से थी, ये भारतीय सशस्त्र बलों के लिए सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों का निर्माण करने वाले भारत-रूस के संयुक्त उद्यम ब्रह्मोस एयरोस्पेस के लिए काम कर रहे नागपुर के एक इंजीनियर निशांत अग्रवाल को अपने जाल में फंसा लिया था,जहां पर निशांत ने ब्रह्मोस मिसाइल की अतिसंवेदनशील जानकारी इन सीक्रेट ऐजेंट को लीक कर दी थी,फिलहाल आरोपी निशांत नागपुर की जेल में लीक के आरोप में बंद है।
हनीट्रैप की असल वजह के बारें में आर्मी इंटेलीजेंस ऐजेंसी के अधिकारियों ने साफ करते हुए बताया है कि पाकिस्तान में रावलपिंडी के एक विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर 2019 में एक विज्ञापन दिया गया था,विज्ञापन में ‘एक सैन्य स्वामित्व वाले मीडिया हाउस’ में नौकरी के लिए ‘सोशल मीडिया विशेषज्ञ (महिला)’ पद के लिए आवेदन मांगे गए थे,इस भर्ती का उद्देश्य,सेक्स चैट के दौरान भारत के सशस्त्र बलों व रक्षा संस्थानों में कार्यरत जवानों व अन्य पुरूष कर्मियों को हनीट्रैप के जरियें फंसाना फिर उन्हें ब्लैकमेल करते हुए उनसे रक्षा से जुड़ी अतिसंवेदनशील रिपोर्ट की डिमांड करना और इसके बदले इनकों थोड़े पैसे भी दिया जाता है।
एक समाचार संस्थान से बातचीत में आर्मी इंटेलीजेंस के अधिकारी ने कहा कि रावलपिंडी में जो यह विज्ञापन आउट किया गया था,वह ISI की एक सीक्रेट मिशन की हिस्सा था, ISI ने ‘ऑपरेशन हैदराबाद’ लांच किया और इस सीक्रेट आॅपरेशन का कोडनेम पाकिस्तान के सिंध प्रांत के शहर के नाम पर रखा गया था,दुश्मन के इस ऑपरेशन के तहत रावलपिंडी,लाहौर और हैदराबाद जैसे शहरों से कॉल सेंटर चलाया जाता था,जहां पर हिंदू समुदाय से जुड़े फर्जी नामों का इस्तेमाल दुश्मन की ये महिला ऐजेंट करती थी। जहां पर ये महिला दुश्मन ऐजेंट भारतीय सशस्त्र बलों में कार्यरत टारगेट को आनलाइन सर्च करके सोशल मीडिया के तमाम माध्यमों से अपने टारगेट से जुड़ा करती थी फिर काफी नजदीक होने के बाद टारगेट को ब्लैकमेल करके उनसे अपने मतलब की गोपनीय सूचनाओं को इकट्ठा करके दुश्मन ऐजेंसी को रिपोर्ट करती है।
दुश्मन की इस खतरनाक चाल को देखते हुए देश की सेना अलर्ट हो गई और वर्ष 2020 में सेना ने अपने कर्मियों के लिए सोशल मीडिया के उपयोग पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया,और यह भी साफ निर्देश दिया गया कि इसका उल्लंघन करते पाए जाने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जायेगी,फिर भी कुछ लोग उल्लंघन करते हैं और दुश्मन के जाल में फंस जाते हैं।
उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ महीनों में सेना की इंटेलीजेंस यूनिट ने हनी ट्रैप को डिटेक्ट करने के लिए एक बड़ा सीक्रेट आॅपरेशन लांच किया है,इस आॅपरेशन में काउंटर-इंटेलिजेंस की सभी टीमें और मुखबिर के नेटवर्क के जरिए उन सभी पर कड़ी नजर रखी जा रही है जो दुश्मन के बिछाये जाल में फंस सकते हैं,बताया जा रहा है कि जिन जवानों ने सेना में 10 साल से भी कम समय बिताया है उन्हें सबसे कमजोर मानते हुए,सेना की एम.आई.ऐसे लोगों को अपने रडार पर रखती है और इसी कड़ी में यही यूनिट पीआइओ की कई फाइलें खंगाली हैं और पाकिस्तान में उनके इंटरनेट प्रोटोकॉल एड्रेस को ट्रैक करते हुए दुश्मन के इन व्यक्तिगत ऐजेंटों पर भी कड़ी निगरानी बनाये हुए है।
दुश्मन का शिकार होने से बचने के लिए सेना ने बाकायदा कई उपाय कर रखी है,जिसके लिए एक आंतरिक सैन्य अभ्यास, ‘मायाजाल’, सोशल मीडिया के जरिए चलाया जाता है,शाम के रोल कॉल के दौरान जवानों को सोशल मीडिया और हनी ट्रैप के खतरों के बारे में शिक्षित किया जाता है,जवानों को सतर्क और सचेत बनाने के लिए नियमित अंतराल पर आयोजित ‘सैनिक सम्मेलनों’ का उपयोग भी किया जाता है।
निश्चित रूप से सेना अपने कर्मियों को हनीट्रैप से बचने के लिए नियमित रूप से सतर्क कर रही है लेकिन रक्षा से जुड़ी देश में कई अन्य ऐजेंसियां भी है जो कि अभी तक दुश्मन की इस खतरनाक साजिश के संबंध में कोई कारगर उपाय करती नजर नहीं आ रही है,ऐसे में सीक्रेट आॅपरेशन का सुझाव है कि बेहतर होगा कि देश की अन्य ऐजेंसियां भी देश की सेना की तरह सतर्क हो और अपने अधीनस्थ कर्मियों को भी दुश्मन के इस साजिश के प्रति जागरूक करें वर्ना बड़ी लीक होने की संभावना हमेशा बनी रहेगी।