एक्सक्लूसिव रिपोर्ट

जो बाइडेन और पुतिन के बीच विडियो कांफरेंसिंग के जरिये हुई दो घंटे बातचीत, यूक्रेन मसलें पर नहीं निकला कोई ठोस परिणाम, दोनों पक्ष अपने मुद्दों पर रहें कायम, खुफिया ऐजेंसियों ने चेताया यूक्रेन को तीन ओर से घेर रही रूसी सेना – चंद्रकांत मिश्र/राकेश पांडेय


रुसी युध्दपोतों की फ्लीट (फाईल फोटो)

माॅस्को/वाशिंगटन। यूक्रेन और अफगानिस्तान को केंद्रित करके अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने मंगलवार को वर्चुअल मीटिंग की,इस दौरान दोनों नेताओं ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शाम को 6:08 बजे से लेकर 8:10 बजे तक यानि करीब दो घंटे तक चर्चा की।

इस दौरान अमेरिका अपना रूख साफ करते हुए कहा कि रूस किसी भी तरह से यूक्रेन पर हमला न करे। वहीं रूस भी नाटों के विस्तार को लेकर अमेरिका से ठोस आश्वासन चाहता है।

बताते चले कि यह मीटिंग ऐसे वक्त में हुई जब रुस,यूक्रेन के सीमा पर अपनी फौज भारी संख्या में तैनात किया हुआ हैं। इस तनाव को अमेरिका समाप्त करने की कोशिश कर रहा है। इस दौरान अमेरिका ने यह भी साफ कर दिया कि अगर रूस हमला करता है तो अमेरिका रूस पर कई तरह के कड़े प्रतिबंध लगा सकता है।

वहीं कई देशों की खुफिया ऐजेंसियां साफ दावा कर रही है कि रूस की सेना यूक्रेन को तीन तरफ से घेर रही है। जो कि किसी भी समय यूक्रेन पर हमला कर सकती है। वहीं दूसरी तरफ,अमेरिका कोशिश कर रहा हैं कि रूस इस मामले को ज्यादा तूल न देते हुए शांति पर काम करें। हालांकि बातचीत के इतर अमेरिका ने रूस को साफ चेतावनी भी दे चुका है कि हमले के बाद रुस नतीजा भुगतने के लिए तैयार रहे।

तो वहीं यूरोपीय यूनियन भी यूक्रेन को लेकर रूस पर आक्रामक रूख कायम किया हुआ हैं। बता दें कि यूरोपीय संघ के चीफ वॉन डेर लेयेन ने रुस को चेतावनी देते हुए साफ किया कि हम नहीं चाहते कि रूस कोई भी ऐसी कार्रवाई करे जिससे हमें कड़े फैसले लेने पर मजबूर होना पड़े।

एक अन्य रिपोर्ट में यह भी दावा किया जा रहा है कि अमेरिका और नाटों भी इस मसलें पर अपनी पूरी तैयारी पर है,क्योंकि नाटों ब्लैक सी में पूरे दल बल के साथ डंटा हुआ है।

दरअसल, रूस को डर है कि अगर यूक्रेन और पश्चिमी देशों की रिश्ते मजबूत हुए तो भविष्य में नाटो सेनाएं रूस के करीब पहुंच जाएंगी और ये उसके लिए बड़ा खतरा होगा। यही वजह है कि वो यूक्रेन को ही अपने कब्जे में लेना चाहता है। अमेरिका और नाटो इसका विरोध करते हुए यूक्रेन के साथ खड़े हो गए हैं।
हालांकि मंगलवार को हुए अमेरिका-रुस की बातचीत का कोई सकारात्मक निर्णय सामने नहीं आया है, जिससे ये महज औपचारिकता प्रतीत होती है।
वहीं विशेषज्ञों का मानना है कि यदि युध्द भढ़का तो इसका क्षेत्र व्यापक होगा, हो सकता है दुनिया के कई देश इस लड़ाई में हिस्सा लें, जिस वजह से यह युध्द विश्वयुद्ध में बदल सकता है और दुनिया पूर्व में हुए दो विश्वयुद्ध का परिणाम देख हीं चुकी है। जिसमें कि अपार जनहानि हुई थी।

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