एक्सक्लूसिव रिपोर्ट

यूक्रेन में नाटों की “शांति सेना” की नियुक्ति की रूस को मिली आहट, बौखलाहट में नाटों को चेताया मॉस्को – चंद्रकांत मिश्र/सतीश उपाध्याय

कीव/मॉस्को। रूस और यूक्रेन के बीच जारी भीषण लड़ाई का आज 28वां दिन है,इस दौरान यूक्रेन में कई फ्रंट पर रूस भीषण हमला जारी रखा हुआ है,इस युध्द में रूस की तरफ से हवाई व मिसाइल हमला भी किया जा रहा है तो वहीं कुछ फ्रंट पर जमीनी लड़ाई भी चल रही है,हालांकि पिछले 28 दिनों से भीषण गोलाबारी व अन्य घातक हमलों को यूक्रेन झेल रहा है लेकिन फिर भी यूक्रेन अभी तक सरेंडर नहीं कर रहा है,वहीं बताया जा रहा है कि रूसी हमले में अब तक यूक्रेन के कई शहर पूरी तरह से बर्बाद हो गए हैं,भारी संख्या में यूक्रेन के आम नागरिकों के साथ बच्चे और महिलाएं भी इन हमलों की शिकार हो चुकी है और लगभग 33 लाख नागरिक देश छोड़कर पड़ोसी देशों में शरण ले रखे हैं।

इसी घटनाक्रम में युद्ध के 28वें दिन पोलैंड से रिपोर्ट सामने आ रही है कि पोलैंड ने 45 रूसी डिप्लोमैट को देश से निकालने का फैसला किया है,बताया गया है कि इन रूसी राजनयिकों पर जासूसी का है।

तो वहीं यूक्रेन संकट से संबंधित तीन शिखर वार्ताओं के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के आधिकारिक विमान ‘एयरफोर्स वन’ के ब्रसेल्स की धरती पर उतरने से पहले पश्चिमी सहयोगी देश एकजुट नजर आ रहे हैं,इसकी मुख्य वजह रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन है। बता दें कि यूक्रेन पर 24 फरवरी से शुरू हुए रूसी हमले के बाद अमेरिका के सहयोगी देश एकजुट नजर आ रहे हैं। इन देशों ने अभूतपूर्व प्रतिबंधों से रूस की कमर तोड़ने और यूक्रेन को मदद करने के लिए त्वरित कदम उठाए।

इसी क्रम में यूक्रेन से जारी जंग के बीच आर्थिक रूप से कमजोर रहे है रूस ने सभी गैर-मित्र देशों से कहा है कि वह निर्यात किए जा रहे गैस के बदले केवल रूसी करेंसी रूबल स्वीकार करेगा,बताते चले कि रूस से गैस लेने वालों में काफी संख्‍या में यूरोपीय संघ के देश भी शामिल हैं।

उधर,रूस ने एक बार फिर NATO देशों को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर उसने यूक्रेन में शांति सेना भेजने की कोशिश की तो इसके बेहद गंभीर परिणाम देखने को मिलेंगे, क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा,यूक्रेन में शांति सेना भेजना बहुत ही खतरनाक फैसला साबित हो सकता है।
दरअसल,इस समय चर्चा जोरो पर चल रही है कि नाटों की शांति सेना यूक्रेन जा रही है,हालांकि अभी तक इस संबंध में कोई अधिकृत रिपोर्ट सामने नहीं आई है।

इधर,यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने रूस की सेना पर नागरिकों को काफिले को रोकने और उन्‍हें बंधक बनाने का आरोप लगाया है,जेलेंस्की ने टेलीग्राम पर अपने नवीनतम संबोधन में कहा कि मंगुश के पास रूसी सेना ने एक मानवीय काफिले को बंधक बना लिया,जेलेंस्‍की ने आरोप लगाते हुए कहा,देश के आपातकालीन सेवा के कर्मचारियों और बस चालकों को बंदी बना लिया गया है।

इसी कड़ी में यह भी दावा सामने आ रहा है कि रूस से जारी जंग के बीच ब्रिटेन में मौजूद यूक्रेन के राजदूत ने ब्रिटेन से लंबी दूरी के एंटी-टैंक हथियारों की तत्काल मांग की है, जहां उन्‍होंने यह भी कहा है कि अगर रूस की सेना से उन्‍हें मुकाबला करना है तो उसे और ताकतवर हथियार की जरूरत होगी,उन्‍होंने आगे भी कहा कि अगर यूक्रेन के पास लंबी दूरी के एंटी टैक हथियार होंगे तो वह रूस की सेना का अच्‍छे से मुकाबला कर सकेंगे।

उधर,अमेरिकी ऐजेंसी FBI ने अलर्ट जारी करते हुए आगाह किया है कि यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की शुरुआत के बाद से अमेरिका की ऊर्जा कंपनियों में रूसी हैकरों की रूचि बढ़ रही है,हालांकि FBI ने यह नहीं बताया कि संभावित साइबर हमले से निपटने के लिए क्या योजना है ?

तो वहीं इस कड़ी के दौर में अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यूक्रेन के बहादुर नागरिक आत्मसमर्पण करने से इनकार कर रहे हैं, वे डटकर रूसी सैनिकों का सामना कर रहे हैं। वे अपने घरों तथा अपने शहरों की रक्षा कर रहे हैं,उन्होंने कहा कि हालांकि रूस अपने “क्रूर“ सैन्य अभियान के जरिए कुछ और क्षेत्रों पर कब्जा कर सकता है, लेकिन यूक्रेन के लोगों से उनका देश नहीं छीन सकता,बताते चले कि रूस द्वारा यूक्रेन के दोनेत्स्क और लुहांस्क क्षेत्रों की स्वतंत्रता को मान्यता देने के तीन दिन बाद 24 फरवरी को रूसी सेना ने यूक्रेन के खिलाफ एक विशेष सैन्य अभियान की शुरुआत की थी,इसी घटनाक्रम के बारे में जेक सुलिवन ने मंगलवार को संवाददाताओं से कहा कि यूक्रेन के खिलाफ अकारण हमला शुरू कर रूस अपने तीन बुनियादी लक्ष्यों को पूरा करना चाहता है,इनमें से सबसे पहला लक्ष्य यूक्रेन को अपने अधीन करना है,दूसरा,अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रूस की ताकत एवं प्रतिष्ठा को बढ़ाना है,जबकि तीसरा लक्ष्य पश्चिमी देशों को विभाजित कर उन्हें कमजोर करना है,जहां रूस अब तक इन तीनों लक्ष्यों को पूरा करने में स्पष्ट रूप से विफल रहा है, वास्तव में रूस ने अब तक इन लक्ष्यों के विपरीत परिणाम ही हासिल किए हैं।

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