कीव/मॉस्को। पिछले 33 दिनों से रूस के भीषण बमबारी को झेल रहा यूक्रेन अब सुलह के रास्ते पर जाने के लिए क्यों मजबूर है ? किसी से छुपा नहीं है,लेकिन एक बात तो एक बार फिर से साफ हो गई कि धोखा देना सीखना हो तो कोई अमेरिका और नाटों से सीखें,इस जंग ने साबित कर दिया कि यूक्रेन से बड़ा कोई नहीं है,जो दुनिया के सबसे बड़े मिलीट्री पावर के सामने पूरी तटस्थता के साथ डटा रहा,काउंटर अटैक के जरिए दुश्मन को कई फ्रंट पर जबरदस्त जवाब दिया,अफसोस जीती हुई बाजी सिर्फ मामूली सप्लाई की वजह से समझौता करने के लिए मजबूर कर रही है।
बता दें कि यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा है कि यूक्रेन तटस्थता की घोषणा करने और देश के बागी हुए पूर्वी इलाकों पर समझौता करने को तैयार है। उन्होंने यह घोषणा दोनों देशों के बीच मंगलवार को युद्ध रोकने लिए होने वाली अगले दौर की वार्ता से पहले की। हालांकि, जेलेंस्की ने दोहराया कि केवल रूसी नेता से आमने सामने की वार्ता से ही युद्ध समाप्त हो सकता है। वहीं इसी बीच रूसी वार्ताकार तुर्की की राजधानी इस्तांबुल पहुंच गए हैं । यूक्रेन से अगली दौर की वार्ता करने के लिए रूसी प्रतिनिधि सोमवार को इस्तांबुल पहुंच गए।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार दावा किया जा रहा है कि रूसी सरकार का विमान सोमवार को इस्तांबुल हवाई अड्डे पर उतरा,जहां दोनों पक्षों का मंगलवार और बुधवार को वार्ता करने का कार्यक्रम है। वहीं इससे पहले वीडियो कांफ्रेंस तथा आमने-सामने की वार्ताएं युद्ध को रोकने के मुद्दे पर प्रगति करने में असफल रही थीं। इस युद्ध में अबतक हजारों लोगों की मौत हो चुकी है और करीब 40 लाख यूक्रेनी नागरिकों को विस्थापित होना पड़ा है।
बताते चले कि एक स्वतंत्र रूसी मीडिया संस्थान को दिए इंटरव्यू में जेलेंस्की ने संभावित रियायत का संकेत देने के साथ यह भी कहा कि यूक्रेन की प्राथमिकता अपनी संप्रभुता को सुनिश्चित करने और मॉस्को को उनके देश के हिस्से को अलग करने से रोकना है जिसके बारे में कुछ पश्चिमी देशों का कहना है कि यह रूस का लक्ष्य है। उन्होंने कहा लेकिन, सुरक्षा गारंटी और तटस्थता,हमारे देश का गैर परमाणु दर्जा कायम रखने के लिए हम तैयार हैं।
उल्लेखनीय हैं कि रूस लंबे समय से मांग कर रहा है कि यूक्रेन पश्चिम के नाटों गठबंधन में शामिल होने की उम्मीद छोड़ दे क्योंकि मॉस्को इसे अपने लिए खतरा मानता है। जहां इस दौरान जेलेंस्की ने यह भी जोर देकर कहा कि किसी भी समझौते में उसे सुरक्षा की गारंटी चाहिए। उन्होंने कहा कि सुरक्षा गांरटी और तटस्थता, हमारे देश के गैर परमाणु दर्जे को लेकर बात करने को हम तैयार हैं।
उधर,रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने सोमवार को कहा कि दोनों देशों के राष्ट्रपति मिल सकते हैं लेकिन तभी जब संभावित समझौते के अहम बिंदुओं पर बातचीत हो जाए। उन्होंने कहा कि बैठक आवश्यक है लेकिन पहले हमें एक बार सभी अहम मुद्दों के समाधान के बारे स्पष्ट हो जाएं। वहीं लावरोव ने सर्वियन मीडिया को दिए साक्षात्कार में आरोप लगाया कि यूक्रेन केवल फॉलोअप मीटिंग करना चाहता है जबकि रूस को ठोस नतीजे की जरूरत है।
कुल मिलाकर यह साफ हो गया कि यदि यूक्रेन को सिर्फ मामूली सप्लाई ही मिलती रहती तो शायद आज इस युध्द की तस्वीर कुछ और ही होता,अफसोस यूक्रेन के मददगार देश डर गए और सप्लाई में हीलाहवाली करने लगे,जिस वजह से न चाहते हुए भी यूक्रेन को अब झुकना पड़ रहा है।