सांकेतिक तस्वीर।
इस्लामाबाद। भारी नौटंकी के बाद भले ही पाकिस्तान में “अविश्वास प्रस्ताव” पास हो गया और भले ही इमरान खान की सरकार गिर गई हो,लेकिन पाकिस्तान में अभी हालात अस्थिर होने की पूरी संभावना हैं,क्योंकि इसकी पूरी तैयारी पहले ही की जा चुकी है,यहीं वजह है कि पाकिस्तान की सभी ऐजेंसियों के साथ-साथ पूरी पाकिस्तानी फौज फुल अलर्ट पर है,सभी एअरपोर्ट पर सेना आदेश जारी कर रखी है कि ब्यूरोक्रेसी से और राजनीति से जुड़ा कोई भी शख्स बिना अनुमति के देश नहीं छोड़ सकता है। इस दौरान सरकार से जुड़े कई हस्तियों के इस्तीफा देने का दौर तेजी में चल रहा है तो वहीं कुछ गिरफ्तारियों की भी रिपोर्ट सामने आ रही है, हालांकि गिरफ्तारियों के संबंध में अभी तक अधिकृत जानकारी सामने नहीं आई है।
दरअसल,सूत्रों का कहना है कि पिछले कई दिनों से जारी भीषण सियासी उठापठक के बीच इमरान खान बार बार सार्वजनिक रैली करना चाहते थे,लेकिन पाक ऐजेंसियों को इन रैलियों में बड़ा खतरा नजर आ रहा था,यही वजह रही कि इमरान खान को कई बार रैलियों से सख्त परहेज करने को कहा गया लेकिन फिर भी किसी न किसी माध्यम से इमरान खान पाकिस्तान की अवाम को बरगलाने की कोशिश करते रहे हैं। चूंकि पाकिस्तानी ऐजेंसियों को बखूबी मालूम है कि इमरान खान विदेशी साजिश के मुद्दे को पूरे देश में तूल देना चाहते हैं ताकि अवाम भढ़के और उसका पूरा फायदा इमरान को मिले। लेकिन पाक ऐजेंसियों के साथ-साथ पाकिस्तानी सेना भी फुल अलर्ट पर है,इसीलिए सेना ने हर उस शख्स के देश छोड़ने पर पाबंदी लगा रखी है जो कि राजनीति या अफसरशाही से जुड़ा है और यह पाबंदी तब तक लागू रहेगी जब तक कि देश में हालात सामान्य न हो जाए, इन पाबंदियों के पीछे एक और बड़ी वजह बताई जा रही है कि नयी सरकार के गठन होने के बाद सबसे पहले विदेशी साजिश से संबंधित प्रकरण की जांच होगी,जहां इस दौरान मय पूरी टीम इमरान खान के इस घटनाक्रम में गिरफ्तारी होने की संभावना है,चूंकि विदेशी साजिश वाले मुद्दे को सेना और अन्य ऐजेंसियां कब की नकार चुकी है,जिससे जांच के बाद दोषियों के विरूद्ध देशद्रोह जैसे गंभीर आरोपों का सामना करना पड़ सकता है।
क्योंकि विदेशी साजिश वाला मुद्दा इतना खतरनाक रूप धारण कर चुका है कि पाकिस्तान की नयी हुकूमत के लिए इसे जल्द पर्दाफाश करने का भारी दबाव रहेगा,जिसमें कि अमेरिका भी शामिल है। और अमेरिका भी चाहता है कि यह फर्जी कलंक जितना जल्दी हो उसके माथे से मिटे। वहीं, अन्य सूत्रों का कहना है कि विदेशी साजिश वाली बात का रायता इमरान ने चीन के इशारे पर फैलाया है। दरअसल, चीन इस्लामाबाद से अमेरिकी पकड़ को हमेशा-हमेशा के लिए खत्म करना चाहता है और उसे ऐसे ही एक मौके की तलाश थी जो कि इमरान खान के रूप में पूरी हुई।
अब वहीं इमरान खान के कार्यकाल पर नजर डाला जाये तो पता चलता है कि 3 साढ़े तीन साल के कार्यकाल में इमरान खान का चीन की तरफ बहुत ही ज्यादा झुकाव रहा है,यही कारण रहा कि इमरान खान सरकार ने अपने पूरे कार्यकाल में
चीन को अधिक लाभ पहुंचाने का काम किया चाहे वह हथियारों से जुड़ा हो या बलूचिस्तान में चीन के अन्य परियोजनाओं से रहा हो,कुल मिलाकर इमरान खान को बतौर चीनी ऐजेंट घोषित करने पर कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। यानि इमरान खान के कार्यकाल में चीन इस्लामाबाद से बहुत मालामाल हुआ है अब ऐसे में जब पाकिस्तान में विदेशी साजिश की बात उठी और उसमें फर्जी तरीके से अमेरिका का नाम उछला तो चीन की तरफ से तुरंत प्रतिक्रिया सामने आई और उसने इस दौरान साफ किया कि वह इमरान खान की पूरी मदद करेगा। चूंकि चीन के साथ कारोबार के दौरान इमरान सरकार भारी घोटाले में लिप्त रही है,इसीलिए इमरान पूरी ताकत के साथ किसी भी स्थिति में सत्ता नहीं छोड़ना चाहते थे। क्योंकि उन्हें डर था कि नयी सरकार जांच करेगी और जांच के दौरान इमरान खान के तमाम घोटाले सामने आयेंगे जहां जेल तो जाना ही होगा साथ ही साथ राजनैतिक कैरियर पर भी भारी दाग लगेगा जो कि कभी मिट ही नहीं सकता। वहीं कुछ लोगों का यह भी कहना है कि सेना से भिड़ना भी इमरान खान के डेट फिक्स होने का बड़ा कारण बना है।
फिलहाल,विदेशी साजिश का मुद्दा इमरान खान के लिए डूबते का तिनके के सहारे के रूप में बड़ा आधार बनता दीख रहा है,जिसके सहारे पाकिस्तान को जलाने के लिए काफी होगा, फिर भी पाक एजेंसियां फुल अलर्ट पर है ताकि पाकिस्तान को जलने से बचाया जा सकें लेकिन पाक ऐजेंसिया अपने इस मकसद में कितनी कामयाबी पाती है ? यह तो आने वाला वक्त हीं बता सकता है।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 9 व 10 अप्रैल की दरम्यानि रात में पाकिस्तानी सदन में अविश्वास प्रस्ताव पारित होने के बाद इमरान खान की सरकार गिर चुकी है जहां अब शहबाज शरीफ पाकिस्तान के 23वें प्रधानमंत्री के रूप में जल्द शपथ लेंगे।