सांकेतिक तस्वीर।
कीव/मॉस्को। रूस-यूक्रेन के बीच जारी भीषण जंग के 61 दिनों से अधिक हो जाने पर अमेरिका द्वारा रूस पर तंज कसने की खबर सामने आ रही है,चूंकि यूक्रेन दौरे पर पहुंचे अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने कहा कि रूस नाकाम हो रहा है। बता दें कि अमेरिका के दोनों शीर्ष अधिकारियों ने यूक्रेन की राजधानी कीव में राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की के साथ आमने-सामने की बात भी की। इस दौरान इन दोनों अधिकारियों ने यूक्रेन को रूस के खिलाफ लड़ाई में उसकी जीत में मदद करने का भरोसा भी दिया। वहीं,ब्रिटेन ने भी दावा किया कि है कि रूस को यूक्रेन के पूर्वी औद्योगिक शहर मारियुपोल पर किए गए हमलों में अब तक सफलता हासिल नहीं हुई है।
दरअसल,जेलेंस्की के साथ मुलाकात में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने कहा कि अमेरिका ने 16.5 करोड़ डॉलर के गोला-बारूद की बिक्री को मंजूरी दी है और वह विदेशी सैन्य वित्तपोषण से 30 करोड़ डॉलर से अधिक की मदद प्रदान करेगा। वोलोडिमिर जेलेंस्की और अन्य यूक्रेनी अधिकारियों से मुलाकात के एक दिन बाद पोलैंड में संवाददाताओं से ब्लिंकन ने कहा कि हमने जो रणनीति बनाई है,उसमें यूक्रेन के लिए बड़े पैमाने पर समर्थन,रूस के खिलाफ भारी दबाव,इन प्रयासों में लगे 30 से अधिक देशों के साथ एकजुटता के वास्तविक परिणाम शामिल हैं।
इस दौरान उन्होंने आगे यह भी कहा कि जब रूस के युद्ध के उद्देश्यों की बात आती है,तो रूस नाकाम हो रहा है। यूक्रेन सफल हो रहा है। रूस अपने प्रमुख उद्देश्य के रूप में यूक्रेन को पूरी तरह से अपने अधीन करना,उसकी संप्रभुता को छीनना,उसकी स्वतंत्रता को छीनना चाहता है। वह विफल रहा है। इधर,जेलेंस्की ने भी बैठक में कहा कि वह अमेरिकी सहायता के लिए “बहुत आभारी” हैं और विशेष रूप से उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की उनके “व्यक्तिगत समर्थन” के लिए प्रशंसा की।
इसी बीच यूक्रेन के राष्ट्रपति ने कहा कि हमारी सेना की ताकत और कुछ क्षेत्रों में समर्थन के मामले में प्राथमिकताएं अमेरिका और हमारे सहयोगियों,यूरोपीय नेताओं से हथियार तथा समर्थन हैं। दूसरा मुद्दा पूर्ण पैमाने पर आक्रमण और यूक्रेन में रूस द्वारा उत्पन्न किए गए आतंक के कारण रूसी संघ के खिलाफ प्रतिबंध नीति है।आक्रमण की शुरुआत के 60वें दिन रविवार को तीन घंटे तक चली बैठक में यूक्रेन ने पूर्वी यूक्रेन के डोनबास क्षेत्र में रूस के अभियान के खिलाफ अधिक शक्तिशाली हथियारों के लिए पश्चिम देशों पर दबाव डाला। उस इलाके में मॉस्को की सेना यूक्रेनी सैनिकों को खदेड़ने की कोशिश में जुटी है।
उधर,ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय ने भी सोमवार को एक बयान में कहा कि रणनीतिक शहर में एक इस्पात संयंत्र में छिपे यूक्रेनी सैनिक रूसी सेना को उलझाए हुए हैं तथा उन्हें डोनबास में कहीं और आक्रामकता में शामिल होने से रोक रहे है। यही नहीं मंत्रालय ने आगे भी कहा कि कई रूसी इकाइयां शहर में स्थिर हैं और उन्हें फिर से तैनात नहीं किया जा सकता है। इसने कहा गया है कि यूक्रेन की मारियुपोल की रक्षा ने भी कई रूसी इकाइयों को समाप्त कर दिया है और उनकी युद्ध प्रभावशीलता को कम कर दिया है। मंत्रालय ने कहा कि अब तक रूस ने डोनबास पर पूरी तरह से कब्जा करने के लिए अपना ध्यान केंद्रित करने के बाद से कुछ क्षेत्रों में मामूली प्रगति की है। पर्याप्त साजो-सामान और गोला-बारूद की आपूर्ति के बिना, रूस को अभी तक महत्वपूर्ण सफलता हासिल नहीं हुई है।”
ऑस्टिन ने कहा कि यूक्रेन में लड़ाई की प्रकृति अब बदल गई है और रूस ने डोनबास के पूर्वी औद्योगिक गढ़ पर ध्यान केंद्रित करने के लिए उत्तरी क्षेत्र से खुद को दूर खींच लिया है। लड़ाई की प्रकृति अब व्यापक हो गई है, इसलिए यूक्रेन की सैन्य जरूरतें भी हैं और ज़ेलेंस्की अब अधिक टैंक, तोपखाने और अन्य हथियारों पर ध्यान दे रहे हैं। यह पूछे जाने पर कि अमेरिका सफलता के रूप में क्या देखता है, ऑस्टिन ने कहा कि हम यूक्रेन को एक संप्रभु देश के रूप में देखना चाहते हैं। एक लोकतांत्रिक देश अपने संप्रभु क्षेत्र की रक्षा करने में सक्षम है। हम रूस को उस बिंदु तक कमजोर देखना चाहते हैं जहां वह यूक्रेन पर हमले जैसे कदम न उठा सके।
गौरतलब है कि रूस-यूक्रेन के बीच जारी भीषण लड़ाई अब 61 दिनों से अधिक हो चली है,ऐसे में रूसी हमलों में यूक्रेन के कई हिस्सों में भीषण बर्बादी का आलम है लेकिन फिर भी यूक्रेन अभी तक दुश्मन के सामने सरेंडर नहीं किया,वहीं यूक्रेन के काउंटर अटैक में भी रूस को अब तक भारी नुकसान उठाना पड़ा है,जहां इस दौरान कई बार रूस की तरफ से यूक्रेन के कई हिस्सों पर कब्जा करने का दावा किया जाता रहा तो वहीं यूक्रेन ने इन दावों को खारिज करते हुए सिर्फ नुकसान की बात हीं कबूला है। फिलहाल,रूसी फौज पर इस समय भारी दबाव है, क्योंकि उसे आगे आने वाले 9 मई तक इस लड़ाई को पूरा करना है, लेकिन हालात अभी भी रूसी फौज के पक्ष में दिख नहीं रही है।