एक्सक्लूसिव रिपोर्ट

अमेरिकी खुफिया एजेंसी के चीफ ने श्रीलंका में चीनी साजिश का किया चौंकाने वाला खुलासा – सतीश उपाध्याय/अमरनाथ यादव


अमेरिकी ऐजेंसी CIA के चीफ बिल,फोटो-(सोशल मीडिया)

वाशिंग्टन/कोलंबो। अमेरिकी खुफिया एजेंसी के चीफ बिल बर्न्स ने श्रीलंका की मौजूदा आर्थिक दुर्दशा को लेकर चौंकाने वाला दावा करते हुए बड़ा संकेत दिया कि कर्ज जाल में फंसाने की चीनी कूटनीति इस पूरे घटनाक्रम की जिम्मेदार है। उन्होंने आगे भी कहा है कि श्रीलंका बीजिंग के दांव को समझ नहीं सका और मूर्खतापूर्वक उसके जाल में फंसता ही गया। ऐसे में दुनिया के अन्य दूसरे देशों को इस ताजे घटनाक्रम से बड़ा सबक लेना चाहिए।

बताते चले कि वॉशिंगटन स्थित एस्पेन सिक्योरिटी फोरम को संबोधित करते हुए अमेरिकी खुफिया एजेंसी के चीफ बर्न्स ने कहा कि श्रीलंका की इस गलती को अन्य देशों को चेतावनी के रूप में लेना चाहिए। दरअसल,एस्पेन सिक्योरिटी फोरम,एस्पेन इंस्टीट्यूट आफ ह्यूमेनेटिक स्टडीज की बनाई गई गई अंतरराष्ट्रीय संस्था है। जो कि यह विश्वभर में समतामूलक समाज की स्थापना के लिए काम करती है।

इतना ही नहीं CIA चीफ ने आगे भी कहा कि श्रीलंका अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) के साथ चर्चा कर अभूतपूर्व आर्थिक संकट का बेहतर हल निकालने में विफल रहा और चीन के जाल में फंस गया।

इसी कड़ी में बर्न्स ने आगे भी चौंकाने वाला दावा करते हुए खुलासा किया कि चीनी कंपनियां दूसरे देशों में बड़ा निवेश कर सकती हैं,इसके लिए वे आकर्षक प्रस्ताव रखती हैं। आज श्रीलंका जैसे देशों की हालत को देखना चाहिए। वह चीन के भारी कर्ज के दबाव में है। उसने अपने आर्थिक भविष्य के बारे में मूर्खतापूर्ण दांव लगाए और नतीजतन आर्थिक और राजनीतिक दोनों तरह से बहुत विनाशकारी हालात का सामना कर रहा है। ऐसे में दुनिया के अन्य देशों को चाहिए कि वे चीन से किसी भी करार से पहले अपनी आंखें खुली रखें। बर्न्स ने कहा कि न केवल मध्य पूर्व या दक्षिण एशिया में बल्कि दुनिया भर में कई अन्य देशों के लिए श्रीलंका एक सबक होना चाहिए।

गौरतलब है कि चीन ने नकदी की कमी से जूझ रहे श्रीलंका में भारी पैमाने पर निवेश किया। उसने पूर्व राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे के साथ मिलकर श्रीलंका को कर्ज के जाल में फंसाया। उसने हंबनटोटा बंदरगाह के विकास के लिए श्रीलंका को बड़ा कर्ज दिया। इसके बाद 2017 में श्रीलंका 1.4 अरब डॉलर का चीनी कर्ज चुकाने में विफल हो गया। इसके बाद यह बंदरगाह 99 साल के लिए एक चीनी कंपनी को लीज पर पर देने के लिए मजबूर किया गया। इसके लिए चाइना हार्बर इंजीनियरिंग कंपनी (सीईसी) और चीन हाइड्रो कॉर्पोरेशन ने संयुक्त उद्यम किया। और आज श्रीलंका की क्या स्थिति है ? बताने की जरूरत नहीं है। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि चीन अपने फायदे के लिए किसी भी देश के साथ वह कुछ भी कर सकता है भले ही वह उसका मित्र देश ही क्यों न हो।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *