सांकेतिक तस्वीर।
बीजिंग/नई दिल्ली। रूस-यूक्रेन जंग के बीच दुनिया अब चीन-ताइवान के बीच जारी भीषण तनातनी की अनुभव कर रही है। जहां चीनी सेना समुंदर में ताइवान को 6 तरफ से घेरकर लगातार ड्रिल कर रही है,साथ ही साथ चीन के लड़ाकूं विमान भी ताइवानी एअर स्पेस में भी घुसपैठ की घटना को अंजाम देने में लगातार जुटे हुए हैं। वहीं,ताइवान भी सहयोगी देशों की मदद के साथ दुश्मन को फ्रंट पर नेस्तनाबूद करने की तैयारी में जुटा हुआ हैं। ऐसे में अमेरिका ताइवान की मदद में पहले से ही अपने कई युध्दपोत समुंदर में तैनात कर रखा है। तथा अब भारत के साथ अमेरिका के बीच अक्टूबर में होने वाले सैन्याभ्यास की रिपोर्ट सामने आने पर चीन एक दम से बौखला गया है।
बताया जा रहा है कि भारत-अमेरिका के ज्वाइंट ड्रिल से बीजिंग बौखला गया है। यही नहीं उसने इस ड्रिल पर आपत्ति भी जताया है। बता दे कि चीन ने गुरुवार को कहा कि ऐसा करना सीमा विवाद के द्विपक्षीय मामले में दखल जैसा है। इसके अलावा यह दिल्ली और बीजिंग के बीच हुए समझौते का भी उल्लंघन है। इस करार के तहत यह तय किया गया था कि भारत और चीन की सीमा LAC पर कोई मिलिट्री ड्रिल नहीं की जाएगी।
चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल तान केफेई के हवाले से कहा गया कि हम भारत और चीन की सीमा के मामले में किसी भी तरह से किसी तीसरे पक्ष के दखल का तीखा विरोध करते हैं।’
दरअसल,अक्टूबर में चीन से लगती सीमा से 100 किलोमीटर की दूरी पर उत्तराखंड के आउली में भारत-अमेरिका का संयुक्त सैन्याभ्यास किया जाने वाला है। बता दे कि भारत और अमेरिका के बीच यह 18वां सैन्याभ्यास होगा और इस बार यह 10,000 फुट की ऊंचाई पर करने की तैयारी है। यह सैन्याभ्यास ऐसे वक्त में होने जा रहा है, जब भारत और चीन के बीच रिश्ते तनावपूर्ण हैं। पूर्वी लद्दाख में चीन और भारत के बीच तनाव देखने को मिला है। दोनों ही देशों ने सीमा पर अपनी सेना और हथियारों की तैनाती में इजाफा किया है। पैंगोंग लेक और डोकलाम जैसे इलाकों में लंबे वक्त दोनों देशों के बीच गतिरोध भी रहा है।
फिलहाल, अमेरिकी गतिविधियों से चीन सशंकित है,क्योंकि चीन ने जैसे ही ताइवान के खिलाफ ड्रिल शुरू किया उसके तुरंत बाद ही अमेरिका हरकत में आ गया। जहां इस बीच अमेरिका की तरफ से साफ कर दिया गया कि वह ताइवान की सुरक्षा को लेकर सतर्क है, इतना ही नहीं अमेरिकी नेवी के कई युद्धपोत इस समय हिंदमहासागर में भी मौजूद,इसके साथ-साथ अमेरिकी फोर्स भारतीय सेना के साथ अक्टूबर में ज्वाइंट ड्रिल भी करने जा रहे हैं। उधर दक्षिण कोरिया के साथ भी अमेरिका ड्रिल कर रहा है। ऐसे में चीन का सशंकित होना स्वाभाविक है,शायद यही कारण है कि वह अभी तक ताइवान पर हमला करने की हिमाकत नहीं कर रहा है। हालांकि,अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पहले ही साफ कर चुके हैं कि चीन सिर्फ ड्रिल तक हीं सीमित रहेगा।