स्पेशल रिपोर्ट

यमन में हूती विद्रोहियों को लेकर सीज फायर की अवधि न बढ़ने से भारत सहित दुनिया के कई देश हुए चिंतित, इस संघर्ष में अब तक डेढ़ लाख लोगों की हो चुकी है मौत – विजयशंकर दूबे/राजेंद्र दूबे


UN में भारतीय राजदूत रुचिरा कंबोज, फोटो साभार -(रूचिरा के ट्वीटर से)

दुबई। यमन सरकार और ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों के बीच सीज फायर श की मियाद नहीं बढ़ने पर भारत ने गहरी निराशा जताई है। संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थाई दूत रुचिरा कंबोज ने कहा कि भारत यमन की एकता और संघर्षग्रस्त देश के लोगों के प्रति एकजुटता प्रकट करता है।

दरअसल,कंबोज ने यमन पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में कहा कि यह बहुत निराशाजनक है कि युद्धरत गुटों के बीच सीज फायर की मियाद बढ़ाने के लिए सहमति नहीं बनी। यमन की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सरकार और ईरानी समर्थित हौथी विद्रोहियों के बीच एक संघर्ष विराम 2 अक्टूबर को समाप्त हो गया है।

बता दे कि यूएन में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने इस पर कहा कि भारत यह जानकर बहुत निराश है कि संबंधित पक्ष युद्धविराम के और विस्तार के लिए सहमत नहीं हुए। संघर्ष का एकमात्र टिकाऊ समाधान शांतिपूर्वक बातचीत और राजनीतिक हल है। इससे यमन के लोगों की आकांक्षा पूरी होगी और खुशहाली आएगी।

वहीं,यूएन महासचिव एंतोनियो गुतेरस ने भी यमन के युद्धरत पक्षों से न केवल युद्धविराम समझौते को नए सिरे से लागू करने बल्कि उसके विस्तार की अपील की है। गुतेरस ने बीते दिनों कहा था कि 2014 में यमन में शुरू हुए गृह युद्ध के बाद देश में शांति बनाए रखने में इस समझौते ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

चूंकि,यमन में वर्ष 2014 में हूती विद्रोहियों ने राजधानी सना समेत देश के उत्तरी इलाकों पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद देश में भीषण गृह युद्ध की शुरुआत हुई थी। इसके कारण यमन सरकार को निर्वासित घोषित कर दिया गया था। इसके बाद सऊदी अरब के नेतृत्व वाली गठबंधन सेना ने 2015 में यमन में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सरकार को बहाल करने की कोशिश शुरू की थी।

गौरतलब है कि यमन में हुए संघर्ष में 150,000 से अधिक लोग मारे गए थे। इनमें 14,500 आम नागरिक थे। इसके बाद दोनों पक्षों ने संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता में दो अप्रैल को मुस्लिम पवित्र महीने रमजान की शुरुआत के साथ ही दो महीने के लिए युद्धविराम समझौते को स्वीकार कर लिया था। इसके बाद संघर्ष विराम समझौते की अवधि दो बार बढ़ाई जा चुकी है, लेकिन विस्तारित मियाद इसी माह दो अक्तूबर को खत्म हो गई जिसे लेकर भारत सहित दुनिया के कई देशों ने अपनी चिंता जाहिर की है।

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