एक्सक्लूसिव रिपोर्ट

खेरसाॅन से रूसी फौज के पीछे हटने के फैसले से बौखलाये पुतिन के सबसे करीबी ने रूसी राष्ट्रपति के कत्ल का किया आवाहन, कहा ‘उनकी हत्या कर दो’ – सतीश उपाध्याय/अमरनाथ यादव


अलेंक्जेंडर दुगिन,रूसी राष्ट्रपति पुतिन के सबसे करीबी,फोटो साभार-(दुगिन के टेलिग्राम से)

मॉस्को। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सबसे खास और बेहद करीबी माने जाने वाले एलेक्जेंडर दुगिन इस समय पुतिन के खिलाफ हो गए हैं। इतना ही नहीं उन्होंने पुतिन की हत्या का आह्वान भी कर दिया है। दरअसल,यूक्रेन के दक्षिणी खेरसाॅन से रूसी फौज को वापस बुलाने के फैसले को लेकर पुतिन के खिलाफ दुगिन का गुस्सा सातवें आसमान पर है। बताया जा रहा है कि एलेक्जेंडर दुगिन पुतिन के इस कदम से इतने नाराज हैं कि उन्होंने राष्ट्रपति पुतिन के हत्या तक का आह्वान कर दिया है। अपने टेलीग्राम पोस्ट में दुगिन ने लिखा ‘उनकी हत्या कर दो’

बता दे कि यूक्रेन के खिलाफ जंग भढ़काने में सबसे अहम भूमिका दुगिन की हीं थी। कहा जाता है कि दुगिन ने ही पुतिन को यूक्रेन के खिलाफ खतरनाक जंग लड़ने के लिए उकसाया था। जिसके बाद ही रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने यूक्रेन के खिलाफ जंग छेड़ा था। शुरूआती दौर में तो रूसी फौज अपने इस आॅपरेशन में सफल रही लेकिन बाद में हर फ्रंट पर मुश्किलों का सामना करना पड़ गया। जिस वजह से कई फ्रंट पर रूसी सप्लाई प्रभावित होने लगी। जहां क्रेमलिन ने पुतिन के आदेश के बाद खेर्सोन से सेना हटाने का फैसला किया था,जिसके बाद से हीं दुगिन भढ़के हुए हैं।

मालूम हो कि एलेक्जेंडर दुगिन को पश्चिमी देश राष्ट्रपति पुतिन का दिमाग कहते हैं। दुगिन को यूक्रेन पर हमले का मास्टर माइंड कहा जाता है, जिसके बाद उनकी हत्या का प्रयास भी हुआ। मॉस्को में हुए कार हमले में दुगिन तो बच गए पर उनकी बेटी कार ब्लास्ट में मारी गई। जहां जांच के दौरान रूसी ऐजेंसियों ने इस हमले के लिए यूक्रेन को जिम्मेदार ठहराया था।

ऐसे में यदि पुतिन के सबसे करीबी दुगिन उनकी हत्या का खुलेआम आवाहन कर रहे हैं तो वाकहीं पुतिन के लिए चिंता और निराशा पैदा करने वाली बात है। हालांकि, क्रेमलिन ने यह भी दावा किया कि खेरेसोन अभी भी अधिकृत रूप से रुस का हिस्सा हैं। तथा आगे इसकी रिकवरी कर ली जायेगी। वहीं, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि सेकेंड वर्ल्ड वार के दौरान स्टालिनग्राड सिटी में जब जर्मन फौज घुसी तो रूसी फौज एक सीक्रेट प्लान के तहत पीछे हट गई। उसके बाद उसे चारो तरफ से घेरकर इतना खतरनाक हमला किया गया कि भारी नुकसान उठाने के बाद जर्मन फौज के कमांडर ने रूस के सामने सरेंडर कर दिया। वहीं स्थिति यहां भी हो सकती है।

अब भले ही तमाम दावें रूस के पक्ष में हो लेकिन इस समय यूक्रेन पूरी सावधानी के साथ अपने इस “विजय” को सेलीबब्रेट कर रहा है। वहीं अब यह कहा जा रहा है कि यूक्रेन की फौज अब नीपरो नदी को क्रास करने की तैयारी में बहुत तेजी से जुटी हुई हैं,क्योंकि, इस नदी को पार करते ही क्रीमिया है जो कि दोनों ही देशों के लिए सबसे बड़ा अचीव होगा। अब क्रीमिया पर किसका झंडा फहरेगा ? यह अभी तय नहीं है,लेकिन रूस वहां से अब भी कीव को चिढ़ा रहा है।

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